अयोध्या में श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा मंदिर में विराजे रामलला
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा 'राम आग नहीं, ऊर्जा हैं... राम सिर्फ हमारे नहीं, सबके हैं'
मोदी जी में कहा देव से देश और राम से राष्ट्र निर्माण करना है
संजय शर्मा संपादक हैलो धार पत्रिका/ हैलो धार न्यूज़ पोर्टल
अयोध्या। अयोध्या में श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम सोमवार को पूरा हो गया। मोदी बतौर मुख्य यजमान हल्के पीले रंग की धोती और कुर्ता पहनकर 12 बजे मंदिर परिसर में पहुंचे। उनके हाथ में एक थाल थी, जिसमें श्रीरामलला का चांदी का छत्र था। संकल्प के साथ प्राण प्रतिष्ठा की विधि 12 बजकर 5 मिनट पर शुरू हुई, जो 1 घंटे से ज्यादा समय तक चली।
प्रधानमंत्री ने भगवान की आरती कर चंवर डुलाया। मुख्य पुजारी सत्येन्द्र दास से कलावा बंधवाया और उनके पैर छुए। इसके बाद उन्होंने श्रीरामलला की परिक्रमा की और साष्टांग प्रणाम किया। उन्होंने राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के भी पैर छुए। PM ने अपना 11 दिन का व्रत भी तोड़ा।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद PM ने लोगों को संबोधित किया। 35 मिनट की स्पीच PM ने राम-राम से शुरू की और जय सियाराम पर खत्म किया। उन्होंने देशवासियों को बधाई दी और कहा- कुछ तो कमी थी जो मंदिर बनने में सदियां लग गईं। ये राम मंदिर भारत के उत्कर्ष-उदय का साक्षी बनेगा। PM 4 बजे दिल्ली लौट गए।
मंदिर बनने पर: आज की तारीख हजारों साल याद रखी जाएगी
मोदी बोले- रामलला अब टेंट में नहीं, दिव्य मंदिर में रहेंगे। राम मंदिर के निर्माण के बाद से देशवासियों में नया उत्साह पैदा हो रहा था। आज हमें सदियों की धरोहर मिली है, श्रीराम का मंदिर मिला है। 22 जनवरी, 2024 का ये सूरज एक अद्भुत आभा लेकर आया है। ये कैलेंडर पर लिखी एक तारीख नहीं, बल्कि ये एक नए कालचक्र का उद्गम है। लोग इसे हजारों साल याद करेंगे।
कोर्ट के फैसले पर: न्यायपालिका ने लाज रख ली
PM ने कहा- मैं प्रभु राम से क्षमा याचना करता हूं। हमारे त्याग, तपस्या, पूजा में कोई तो कमी रह गई होगी कि इतने साल मंदिर निर्माण का काम नहीं हो पाया। आज ये कमी पूरी हुई। मुझे विश्वास है कि प्रभु राम हमें क्षमा करेंगे। भारत के संविधान की पहली प्रति में राम विराजमान हैं। दशकों तक प्रभु राम के अस्तित्व पर कानूनी लड़ाई चली। मैं न्यायपालिका का शुक्रगुजार हूं कि उसने लाज रख ली।
देश में दीपावली मनाई जा रही, राम ज्योति जल रही
आज गांव-गांव में कीर्तन-संकीर्तन हो रहे हैं। स्वच्छता अभियान चल रहा है। देश दीपावली बना रहा है। आज शाम घर-घर राम ज्योत जलेगी। कल मैं धनुषकोडि में था। जिस घड़ी राम समुद्र पार करने निकले थे, उसे कालचक्र बदला था। अब कालचक्र फिर बदलेगा।
मैं सौभाग्यशाली हूं कि अनुष्ठान के दौरान सागर से सरयू तक की यात्रा का मौका मिला। राम भारतवासियों के मन में विराजे हुए हैं। किसी के भी मन को छुएंगे तो एकत्व की अनुभूति होगी। मुझे देश के कोने-कोने में रामायण सुनने का अवसर मिला।
राम भक्तों को नमन किया, कारसेवकों को याद किया
प्रधानमंत्री ने कहा- ऋषियों ने कहा है कि जिसमें रम जाएं, उसी में राम है। हर युग में लोगों ने राम को जिया है। हर युग में लोगों ने अपने-अपने शब्दों, अपनी-अपनी तरह राम को व्यक्त किया है। ये राम रस निरंतर बहता रहता है। आज के इस ऐतिहासिक समय में देश उन व्यक्तित्वों को भी याद कर रहा है, जिनकी वजह से शुभ दिन देख रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा- हम उन अनगिनत कारसेवकों, संत-महात्माओं के ऋणी हैं। आज उत्सव का क्षण तो है ही, साथ ही ये क्षण भारतीय समाज की परिपक्वता का भी है। ये क्षण विजय ही नहीं, विनय का भी है। कई राष्ट्र अपने ही इतिहास में उलझ जाते हैं।
राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं
प्रधानमंत्री ने कहा- जब भी उन्होंने इतिहास की गांठें सुलझाने का प्रयास किया तो मुश्किल परिस्थितियां बन गईं। हम जिस गांठ को भावुकता और समझदारी के साथ खोला है, वो बताता है कि भविष्य बहुत सुंदर होने जा रहा है। कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। राम मंदिर किसी आग को नहीं, ऊर्जा को जन्म दे रहा है।
ये समन्वय, उज्ज्वल भविष्य के पथ पर बढ़ने की प्रेरणा लेकर आया है। राम आग नहीं, ऊर्जा हैं। राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं। राम सिर्फ हमारे नहीं, सबके हैं। राम वर्तमान नहीं, अनंत काल हैं। ये मंदिर महज देव मंदिर नहीं, भारत की दृष्टि-दर्शन का मंदिर है। राम भारत का विचार-विधान है।
राम भारत का चिंतन, चेतना, प्रवाह, प्रभाव, नेति, निरंतरता है। राम विश्व है, विश्वात्मा हैं। इसलिए जब राम की स्थापना होती है तो उसका प्रभाव हजारों वर्षों के लिए होता है। आज के युग की मांग है कि हमें अंत:करण को विस्तार देना होगा।
. मां शबरी को भरोसा था- राम आएंगे
मोदी बोले- हनुमान जी की भक्ति, उनका समर्पण ऐसे गुण हैं, जिन्हें बाहर नहीं खोजना पड़ता। यही तो देव से देश और राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार है। दूर कुटिया में जीवन गुजारने वाली मां शबरी का ध्यान आता है। वो हमेशा कहती थीं- राम आएंगे। ये सच हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा- निषादराज की मित्रता सब बंधनों से परे हैं। सब समान हैं। मैं तो बहुत सामान्य हूं, मैं तो बहुत छोटा हूं, कोई ये सोचता है तो उसे राम की मदद करने वाली गिलहरी का ध्यान करना चाहिए। सबका अपना योगदान होता है। यही दिव्य और समर्थ भारत बनने का कारण बनेगा।
मंदिर तो बन गया अब आगे क्या
प्रधानमंत्री ने कहा- हमें नित्य पराक्रम, पुरुषार्थ का प्रसाद प्रभु राम को चढ़ाना होगा। तभी भारत को वैभवशाली बना पाएंगे। आज भारत युवाशक्ति की ऊर्जा से भरा है। हमें अब झुकना नहीं है, अब बैठना नहीं है। मैं युवाओं से कहूंगा कि आपके सामने हजारों सालों की प्रेरणा है।
युवाशक्ति चांद पर तिरंगा फहरा रही है तो 15 लाख किमी दूर अंतरिक्ष में यान पहुंचा रही है। आने वाला समय अब सफलता का है। आने वाला समय सिद्धि का है। ये राम मंदिर भारत के उत्कर्ष-उदय का साक्षी बनेगा। मंदिर सिखाता है कि लक्ष्य प्रमाणित हो तो उसे हासिल किया जा सकता है। शताब्दियों की प्रतीक्षा के बाद हम यहां पहुंचे हैं। अब हम रुकेंगे नहीं।
प्रधानमंत्री के 11 दिन का व्रत स्वामी गोविंददेव ने तुड़वाया
प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूरा होने के बाद प्रधानमंत्री सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हुए। मंदिर परिसर में श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव, संघ प्रमुख मोहन भागवत, योगी आदित्यनाथ ने संबोधित किया। इसके बाद प्रधानमंत्री को बोलना था।
प्रधानमंत्री की स्पीच से पहले श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव ने भगवान राम का चरणामृत पीलाकर उनका व्रत खुलवाया। प्रधानमंत्री 12 जनवरी से 11 दिन के उपवास पर थे।
प्रधानमंत्री ने श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले 11 दिन के अनुष्ठान के दौरान उपवास, जप और गाय की पूजा की। वे 11 दिन तक फर्श पर सोए और सिर्फ नारियल पानी पीकर, फल खाकर रहे। मोदी इस दौरान रामायण से जुड़े 4 राज्यों के 7 मंदिरों में दर्शन-पूजन भी किए।
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