नेशनल लोक अदालत में 3856 प्रकरणों का निराकरण किया जाकर 9 करोड़ 22 लाख 26 हजार 682 रूपये के अवार्ड पारित किये
संजय शर्मा संपादक
हैलो धार पत्रिका/ हैलो धार न्यूज़ पोर्टल
धार- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा अनुमोदित केलेण्डर अनुसार तथा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार 11 सितंबर शनिवार को संपूर्ण देश में नेशनल लोक अदालत आयोजित की गई। इसी कड़ी में जिला मुख्यालय धार व तहसील के समस्त न्यायालयों में भी लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिला न्यायालय धार में प्रधान जिला न्यायाधीश अखिलेश जोशी द्वारा दीप प्रज्वलित कर लोक-अदालत का शुभारंभ किया गया। इसी प्रकार तहसील न्यायालय बदनावर ,सरदारपुर, कुक्षी, मनावर एवं धरमपुरी में भी लोक अदालत का शुभारंभ किया गया।
शुभारंभ अवसर पर प्रधान जिला न्यायाधीश श्री जोशी द्वारा उपस्थित न्यायिक अधिकारी, अभिभाषकगण, विद्युत विभाग, बैंक, नगरपालिका, वन-विभाग आदि के पदाधिकारी को संबोधित करते हुए कहा कि लोक-अदालत एक न्यायालयीन महापर्व की तरह आयोजित किया जाता है। इस लोक-अदालत को सफल बनाने हेतु अर्थात् अधिक से अधिक समझौता योग्य प्रकरणों के निराकरण हेतु समस्त अधिकारीगण द्वारा काफी मेहनत की गई। लोक-अदालत का सफल आयोजन हेतु जिला अभिभाषक संघ की ओर से भी प्रशंसनीय सहयोग प्रदान किया जाता रहा है । समस्त अधिकारीगण अपने-अपने न्यायालय के लंबित समझौता योग्य प्रकरणों के निराकरण हेतु भरसक प्रयास करेंगे।
इस लोक अदालत में ‘R’ (परिवर्तित नाम) जिनका विवाह-विच्छेद का प्रकरण विगत कई माह से कुटुम्ब न्यायालय में लंबित था। इस अवसर पर कुटुम्ब न्यायालय धार के प्रधान न्यायाधीश के.जी. सुरेका द्वारा दोनो पति-पत्नि से बारी-बारी से चर्चा की गई। दोनों के मध्य विवाद का मुख्य बिंदू यह था कि धर्मपत्नि पति को घर पर लेट आने के कारण तरह-तरह के सवाल-जवाब करती रहती थी। जिस कारण छोटा-छोटा सा मन-मुटाव धीरे-धीरे इतना बढ़ा कि बात विवाह-विच्छेद तक पहुंच गई। श्री सुरेका द्वारा दोनों पक्षों को समझाईश दी गई तथा विवाह-विच्छेद के पश्चात् आने वाले विकट समय के परिदृश्य से अवगत कराया। तब दोनों पक्ष आपसी मनमुटाव को भूलकर राजी-मर्जी से साथ-साथ रहने के लिए सहमत हो गये। इसी प्रकार कुटुम्ब न्यायालय के एक और प्रकरण में जिसमें पत्नि द्वारा पति के विरूद्ध मुख्य आक्षेप शिकायत यह थी कि सास-बहु के झगड़े में उनके पति कभी अपनी पत्नि का साथ नहीं देते थे। इस प्रकरण में भी समझौता- वार्ता सफल रही तथा दोनों पक्ष जो कई वर्षाें से अलग रह रहे थे आज राजी-खुशी दोनों साथ-साथ अपने घर की ओर चल पड़े। विगत कई वर्षाें से विशेष न्यायाधीश के न्यायालय में विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम के तहत संविदा के पालन हेतु प्रकरण विचाराधीन था। जिस पर आज सफलतापूर्वक सुलह-समझौता कार्यवाही की गई। जिस पर दोनों पक्ष राशि 1 करोड़ 4 लाख रूपये के लेन-देन पर सहमत हुए व प्रकरण का निराकरण किया गया। इस प्रकरण को न्यायालय में फाईल करने हेतु 1 लाख 50 हजार रूपये का न्याय शुल्क जमा किया गया था, जो कि पक्षकारों को वापस प्राप्त हो सकेगा।
इस नेशनल लोक अदालत में न्यायालय के समझौता योग्य कुल लंबित 24867 प्रकरणों में से लोक अदालत में निराकरण हेतु. 7285 प्रकरण रैफर किये गये। जिनमें से 735 प्रकरणों का निराकरण सुलह-समझौता के आधार पर किया गया एवं कुल राशि 8 करोड़ 33 लाख 7 हजार 9571 रूपये के अवार्ड पारित किये गये। इसी प्रकार बैंक, नगरपालिका, विद्युत-विभाग, दूरसंचार विभाग, लोकोपयोगी लोक अदालत अन्तर्गत प्रिलिटिगेशन के कुल 11446 प्रकरण निराकरण हेतु रखे गये जिनमें से 3121 प्रकरणों का निराकरण किया गया व राशि रूपय 88 लाख 47 हजार 111 रूपये वसूल की गई। इस प्रकार आयोजित नेशनल लोक अदालत में कुल 3856 प्रकरणों का निराकरण किया जाकर राशि 9 करोड़ 22 लाख 26 हजार 682 रूपये के अवार्ड पारित किये गये। इस प्रकार कुल 5181 व्यक्ति लाभांन्वित किये गये। लोक अदालत से निराकृत प्रकरणों के पक्षकारों को न्याय वृक्ष के रूप में फलदार पौधे वितरित किये गये।
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