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Thursday 12 August 2021

वाईसेस फोर चाईल्ड प्रोटेक्षन कार्यक्रम का आगाज,कलेक्टर ने जागरूकता वाहन को हरी झण्डी दिखाकर किया रवाना

 वाईसेस फोर चाईल्ड प्रोटेक्षन कार्यक्रम का आगाज,कलेक्टर ने जागरूकता वाहन को हरी झण्डी दिखाकर किया रवाना

संजय शर्मा संपादक 

हैलो धार पत्रिका/ हैलो धार न्यूज़ पोर्टल

            धार -  कोविड-19 ने प्रदेश के लोगों के सामने सामाजिक, आर्थिक एवं मनोसामाजिक स्तर पर चुनौतीपूर्ण स्थितियां खड़ी कर दी हैं। इसकी वजह से विशेषतः महिलाओं और बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इन परिस्थतियों के मद्देनजर, मध्यप्रदेश सरकार, यूनिसेफ और उसकी सहयोगी संस्थाओं द्वारा बाल संरक्षण एवं कोविड-19 सुरक्षा केन्द्रित कार्यक्रम आग़ाज़ - ‘‘वाईसेस फोर चाईल्ड प्रोटेक्षन’’ की शुरुआत मध्यप्रदेश राज्य में की गई है।

         शुभारंभ दिवस के इस अवसर पर आग़ाज़ जागरूकता वाहन को कलेक्टर आलोक कुमार सिंह द्वारा झंडी दिखाकर रवाना भी किया गया। इस अवसर पर ज़िला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग, चाइल्ड लाइन एवं ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फ़ॉर मदर एंड चाइल्ड के जिला समन्वयक मौजूद थे। 

          इस कार्यक्रम के तहत जागरूकता वाहन के द्वारा धार जिलों में बाल अधिकार एवं बाल संरक्षण से जुड़े विभिन्न मुद्दें (बाल हिंसा, बाल विवाह, बाल श्रम, बाल भिक्षावृति, बाल तस्करी, लैंगिक शोषण, मनोसामाजिक समस्या, शिक्षा आदि) तथा कोविड-19 से सुरक्षा के ऊपर बच्चों एवं लोगों के बीच जागरूकता फ़ैलाने का काम पुरे ब्लॉक में एक माह तक किया जाएगा। साथ ही ज़िले के किशोरों एवं युवाओं को बाल संरक्षण केन्द्रित प्रयास/कार्य करने हेतु इंटर्नशिप का मौका भी यूनिसेफ के द्वारा प्रदान किया जाएगा। पुरे प्रदेश से (हर जिले से कम से कम 2) कुल 235 किशोरों एवं युवाओं को इस अवसर की प्राप्ति होगी।

          जैसा की विदित है, कोविड -19 ने देश के सामने सामाजिक, आर्थिक और मनोसामाजिक स्तर पर चुनौतीपूर्ण स्थितियां खड़ी कर दी हैं। इसकी वजह से विशेषतः महिलाओं और बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। महिलाओं पर घरेलू हिंसा के मामलों में वृद्धि देखी गयी। वहीँ बच्चों (विशेषकर किशोरियों) के लिए बाल विवाह, बाल श्रम, तस्करी, लैंगिक शोषण सहित हिंसा के अन्य रूपों में वृद्धि तथा स्कूल, पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की कमी हुई है। जबकि महामारी की शुरुआत से पहले भी राज्य में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा हमेशा उच्च स्तर पर रही है। इसके अलावा, मोबाइल फोन और इंटरनेट तक बच्चों की निरंतर पहुंच की वजह से उनके साथ ऑनलाइन जोखिम/अपराध की सम्भावना भी बढ़ी है। महामारी के दौरान बच्चों के शोषण के अन्य रूप, जैसे बाल श्रम, तस्करी, बाल विवाह आदि भी बढ़ रहे हैं।


       इस अवसर पर कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम से ज़िले में बाल हिंसा, बाल विवाह, बाल श्रम, लैंगिक शोषण, शिक्षा आदि पर जागरूकता आएगी।

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