शिवभक्तों के लिए अच्छी खबर:अब उज्जैन में बारह ज्योतिर्लिंग दर्शन एक ही मंदिर में, मूल स्वरूप जैसे शिवलिंगों की प्राण प्रतिष्ठा
महामंडलेश्वर स्वामी शांतिस्वरूपानंद गिरि के सान्निध्य में प्राण प्रतिष्ठा और महारुद्र यज्ञ अनुष्ठान की पूर्णाहुति हुई
संजय शर्मा संपादक
हैलो धार पत्रिका/ हैलो धार न्यूज़ पोर्टल
उज्जैन - हरसिद्धि-जयसिंहपुरा मार्ग पर नव निर्मित बारह ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शन की शुरुआत सोमवार को आद्य शंकराचार्य जयंती के मौके पर हुई। मंदिर में बारह ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृति प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा पूर्ण हो जाने के बाद मंदिर दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया। उज्जैन आने वाले तीर्थ यात्री एक ही जगह पर बारह ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकेंगे।
इस मौके पर कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए आयोजित महारुद्र यज्ञ की भी पूर्णाहुति हुई। यह मंदिर अखंड आश्रम परिसर में बनाया गया है। महामंडलेश्वर स्वामी शांतिस्वरूपानंद गिरि के सान्निध्य में 13 मई से प्राण प्रतिष्ठा और महारुद्र यज्ञ अनुष्ठान की शुरुआत हुई थी। सोमवार दोपहर इनकी पूर्णाहुति हुई।
इसी परिसर में इसके पहले स्वामीजी के सान्निध्य में चारधाम मंदिर का निर्माण किया गया था। स्वामीजी की परिकल्पना थी कि उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं को चारधाम के साथ बारह ज्योतिर्लिंग के दर्शन भी कराए जाना चाहिए। इससे जो यात्री बारह ज्योतिर्लिंग स्थलों पर नहीं जा पाते वे यहां दर्शन का लाभ ले सकते हैं।
प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर स्वामीजी ने बताया दादा गुरु स्वामी अखंडानंदजी महाराज की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। यह आश्रम उन्हीं के द्वारा स्थापित है। गुरु युगपुरुष परमानंदजी के आशीर्वाद से इसका विस्तार किया गया है। स्वामीजी ने इस मौके पर मौजूद यजमानों व अतिथियों को आशीर्वचन भी दिए।
भगवान आद्य शंकराचार्य की जयंती मनाई, यज्ञ में आहुतियां डाली, फिर किया नवनिर्मित मंदिर का लोकार्पण
पूर्णाहुति में तीर्थ मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष माखनसिंह चौहान, मप्र जन अभियान परिषद उपाध्यक्ष विभाष उपाध्याय शामिल हुए। दोपहर में 12.30 से 1.30 बजे मुहूर्त में प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा व यज्ञ की पूर्णाहुति में यजमानों ने आहुतियां डाली। यजमानों व अतिथियों ने यज्ञशाला में आरती कर मंदिर में विराजित प्रतिमाओं के दर्शन किए।
इसके बाद मंच पर भगवान श्री शंकराचार्यजी के चित्र का विधिवत पूजन-अर्चन किया गया। संत भगवान बापू ने ओम नम: शिवाय भजन सुनाया। प्रतिष्ठा, यज्ञ अनुष्ठान के प्रधान आचार्य पं. वासुदेव शास्त्री का अभिनंदन किया। संचालन चारधाम मंदिर ट्रस्ट कोषाध्यक्ष अशोक प्रजापत ने किया। मंदिर के प्रबंधक पं. रामलखन शर्मा आदि मौजूद थे।
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