आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर अमृत महोत्सव मनाया
देश की स्वाधीनता पर आज कभी आने न देंगे - संजय शुक्ला
संजय शर्मा संपादक
हैलो धार पत्रिका
धार /- आजादी आंदोलन में आदिवासी अंचल के क्रांतिकारी की भूमिका भी उल्लेखनीय रही है। अंग्रेजों का सामना जिस तरह से हमारे पूर्वज और हिंदुस्तानियों ने किया है उसकी मिसाल पूरी दुनिया में नहीं है। आजादी आंदोलन के सेनानियों की कथा और गाथा का जब उल्लेख हुआ तो युवाओं से भरा सदन कई बार तालियों से गूंजा तो कई बार आंखे नम भी हुई। अवसर था साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद भोपाल द्वारा जिला पाठक मंच के स्थानीय सहयोग से हीरक जयंती अमृत महोत्सव आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर शहीद पर्व का। धार के स्थानीय मॉडल विद्यालय परिसर में स्वतंत्रता आंदोलन में धार जिले का योगदान विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान में मुख्य वक्ता शिक्षाविद डॉ श्रीकांत द्विवेदी विशेष रुप से उपस्थित रहे। उन्होंने आजादी आंदोलन में धार जिले के नामी और गुमनाम शहीदों का तिथि वार और क्रमवार उल्लेख किया और कई नामों से पहली बार युवाओं को परिचित करवाया।
डॉ द्विवेदी ने कहा कि आजादी मैं आत्मानुशासन मूल तत्व है। आजादी का परिमार्जन बहुत जरूरी है ताकि हमारे धर्म और संस्कृति सुरक्षित बनी रहे। कई युद्धों के बाद ही हमारा लोकतंत्र आहत हुए बिना समर्थ बना हुआ है यह देश और दुनिया के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण है। आजादी आंदोलन में धार जिले का योगदान बहुत उल्लेखनीय है क्योंकि राणा बख्तावर सिंह ने जनजाति क्षेत्रों से भील पलटन का गठन करके अंग्रेजों की भोपावर सरदारपुर जैसी समर्थ छावनी को अंग्रेज विहीन किया। स्वतंत्रता आंदोलन में धार क्षेत्र के नामी आंदोलनकारियों के साथ गुमनामी में रहे कन्हैया लाल जैन, कालूराम विरुलकर, गोपाल खत्री, लक्ष्मण सिंह खादीवाला, नत्थू सिंह तोमर, कृष्णलाल शर्मा, बालकृष्ण शर्मा कवि, मथुरा लाल जैन, भारत सिंह चौहान के योगदान का उल्लेख करते हुए प्रजामंडल की स्थापना तथा अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कि सारगर्भित जानकारी दी। आयोजन में विशेष वक्ता के रूप में समाज सेवी श्रीमती अनीता शर्मा ने कहा कि हम देशभक्ति करे ना करे कोई बात नहीं लेकिन गद्दारी कभी नहीं होना चाहिए क्योंकि हमारे कई सेनानी और क्रांतिकारी गद्दारों के कारण ही असमय काल के गर्त में समा गए। श्रीमती शर्मा ने चीन सीमा स्थित नाथूला दर्रा पर कैप्टन हरभजन सिंह की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि वह सशरीर देश के सेनानी रहे लेकिन आज भी शरीर ना होने के बाद भी देश की सेवा करते हैं। देशसेवा उनसे सीखी जानी चाहिए। कार्यक्रम के विशेष वक्ता धार महाविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी इंजू खान ने कहा कि देश की सेवा हम कहीं भी कर सकते हैं। अंग्रेजों को भारत से भगाने में आदिवासी अंचल के क्रांतिकारी की भूमिका विशेषकर राणा बख्तावर सिंह की भूमिका उल्लेखनीय रही है।
विशेष वक्ता विवेकानंद मार्गदर्शन प्रकोष्ठ की प्रभारी अधिकारी डॉ अरुणा मोटवानी ने कहा कि इस तरह के आयोजन युवाओं के लिए प्रेरणा दाई है। नई पीढ़ी को आजादी आंदोलन के सत्य तथ्यों से परिचित करवाने से लोगों में देश के प्रति, देश की धरती के प्रति प्रभाव बढ़ता है और शहीदों के प्रति सम्मान। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विचारक एवं प्राचार्य संजय शुक्ला ने कहा कि "सिंह की खेती किसी सियार को खाने ना देंगे, और देश की स्वाधीनता पर आंच कभी आने ना देंगे, तुम ना समझो देश को स्वाधीनता यूं ही मिली है, हर कली इस बाग की कुछ खून पीकर ही खिली है।
पाठक मंच संयोजक डॉ दीपेंद्र शर्मा ने कार्यक्रम की प्रस्तावना और भूमिका रखते हुए कहा कि हमें अपने आजादी के क्रांतिकारियों के प्रति सदैव सम्मान रखना चाहिए क्योंकि उन्होंने हमारे सुखों की खातिर अपना पूरा जीवन समर्पित समर्पित किया है। आज हमें देश पर जान देने की नहीं देश के लिए जीने की आवश्यकता है। आयोजन के पहले चरण में स्वतंत्रता आंदोलन संघर्ष से आजादी तक इस विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन हुआ जिसमें बच्चों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। प्रथम पर आस्था शर्मा, द्वितीय निशा परिहार और तृतीय स्थान पर चेतना कटारे रही।
इसी तरह कार्यक्रम के अंतिम चरण में युवा कवियों की देशभक्ति आधारित कविता पाठ में देदला के चेतन शर्मा प्रथम और धार के श्री रुपेश राठौड़ द्वितीय और दुर्गेश नागर तृतीय स्थान पर है। विजेताओं को प्रमाण पत्र और सांची उत्पाद देकर सम्मानित किया गया जो आकर्षण का केंद्र रहा। निबंध और काव्य प्रतियोगिता के निर्णायक श्रीमती गीता प्रजापति, पूजा व्यास और कवि शरद जोशी रहे। मॉडल स्कूल के बच्चों का अनुशासन प्रभावी रहा। सरस्वती वंदना सुश्री नेहा सोलंकी ने व्यक्त प्रस्तुत की। संचालन रमेश फुलमाली ने किया। आभार उप प्राचार्य सोमला सिसोदिया ने व्यक्त किया किया। यह जानकारी संस्थान के मीडिया प्रभारी राकी मक्कड़ ने दी।
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