धरोहर के लिए:20 करोड़ मिले, पुरातत्व विभाग ने शुरू की किले की मैपिंग, 15 दिन में बनेगी याेजना
धार किले और अमझेरा के महल के क्षरण को बचाने के लिए केंद्र से आया फंड
कलेक्टर आलाेक कुमार सिंह ने धार किले पहुंचकर व्यवस्थाएं देखी
जानिए धार किला का इतिहास
संजय शर्मा संपादक
हैलो धार पत्रिका
धार - धार के किले काे संवारने की प्रक्रिया शुरू हाे चुकी है। साेमवार काे किला परिसर मेें पुरातत्व विभाग ने मैपिंग का काम शुरू किया। अपने साजाे-सामान के साथ पहुंची पुरातत्व विभाग की टीम ने मैपिंग के जरिए यह तय किया कि कहां क्या बनना है। किले के दूसरी तरफ जर्जर हिस्से की जुड़ाई का काम भी किया जा रहा है। सोमवार शाम कलेक्टर आलाेक कुमार सिंह ने किला पहुंचकर एक घंटा 30 मिनट व्यवस्थाएं देखी। कलेक्टर ने कहा कि पुरातत्व विभाग के साथ आर्किटेक्ट काे भी बुलाया है। पहले किले के मैंटेनेंस पर जाेर देंगे। साथ ही किले के अंदर वाॅक-वे, गार्डन सहित पर्यटकाें के लिए जरूरी व्यवस्थाएं जुटाएंगे।
दरअसल, 15वें वित्त आयाेेग से केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार काे स्मारकाें, ऐतिहासिक धराेहराें के संरक्षण और विकास कार्य के लिए करीब 110 कराेड़ रुपए उपलब्ध कराए हैं। संग्रहालयाें की देखरेख और उनके निर्माण आदि के लिए 70 कराेड़ रुपए मिले हैं। इसमें धार शहर के धार किला और अमझेरा के महल काे संवारने के लिए प्रदेश सरकार ने 30 कराेड़ रुपए स्वीकृत किए हैं।
जिसके तहत 20 कराेड़ रुपए से किले और 10 कराेड़ रुपए से महल काे संवारना प्रस्तावित है। कार्ययाेजना बनाने के लिए जिला प्रशासन के पास 30 दिन का समय है। ऐसे में जिला प्रशासन बिना देर किए कार्य याेजना बनाने में जुट गया है। कलेक्टर के अनुसार 15 दिन में प्लानिंग कर शासन काे भेज दी जाएगी।
शीश महल : प्रतीकात्मक रूप से हिंदू धर्म के धार्मिक चिह्न लगे हैं
इस रानी महल में किसी समय 40 फीट ऊंची हल्दू लकड़ी पर कांच की नक्काशी से पूरा महल निर्मित था। महल में प्रतीकात्मक रूप से हिंदू धर्म के धार्मिक चिह्न महल के छज्जे पर लगे हुए हैं। किले के मुख्य द्वार एवं चाहर दीवारियाें के अंदर की ओर मराठा शैली के मांडने और भित्ति चित्र बने हुए हैं।
किले का इतिहास : खरबूजा महल में हुआ था बाजीराव पेशवा द्वितीय का जन्म
किले की चार दीवारी और खरबूजा महल केंद्रीय पुरातत्व विभाग के पास है। पूर्व जेल, गुफाएं, रानी का शीश महल राज्य पुरातत्व विभाग के अधीन है। पंवार शासकाें ने 1732 ईसवीं में किले पर आधिपत्य किया था। बताया जाता है कि एक गुफा के रास्ते का उपयाेग गढ़ कालिका मंदिर की सुरक्षा के लिए सैनिक करते थे। एक गुफा उज्जैन भृतहरि में निकलती है और एक अन्य गुफा मांडू की ओर जाती है।
धार किले का इतिहास :
धार दुर्ग ( धार का किला) मध्य प्रदेश के धार नगर में स्थित है। यह किला नगर के उत्तर में स्थित एक छोटी सी आयताकार पहाड़ी पर बना हुआ है। इस किले को बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री इसी छोटे से टीले से ली गई है जिसमें लाल बलुआ पत्थर ,ठोस मुरम व काला पत्थर शामिल है, किले की स्थापत्य शैली हिन्दू, मुस्लिम और अफगान शैली है किले का मुख्य द्वार पश्चिम में बनाया गया था।
धार के परमार शासक राजा भोजदेव [1010-1055] के समय इस किले को [[धार गिरी लीलोद्यान]] के नाम से जाना जाता था । अलाउद्दीन खलजी के दिल्ली सिंहासन पर बैठने के कारण इस्लामिक प्रभाव धार में फैलने लगा, जिसके परिणामस्वरूप १३०५ मे अलाउद्दीन खलजी के सेनापति आईनुल मुल्क मुल्तानी ने मालवा पर आक्रमण कर परमार शासक महलकदेव की हत्या कर परमार वंश का अन्त कर दिया उसने द्वार तोड़ कर दुर्ग पर कब्जा कर लिया बाद मे इसी ने किले को पुनर्निर्मित कर दुर्गीकरण का कार्य पूर्ण किया ।
सन १३४६ मे मुहम्मद विन तुगलक भी देवगिरि जाते समय इस किले मे कुछ समय के लिये रुका । 1857 के विद्रोह के समय धार मध्य भारत के प्रमुख केंद्र के रुप मे रहा, इस किले पर भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने कब्जा कर लिया और जुलाई से अक्टूबर , चार माह तक अपने कब्जे में रखा। [पुनर्निर्माण कर्ता एवम् वर्ष, किले मे पुरातात्विक विभाग द्वारा दी गयी जानकारी पर आधारित है ]
किले के अंदर और भी कई संरचना मौजूद हैं, जो काफी महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि खड़बूजा महल, शीश महल । इतिहास में स्पष्ट है कि जहांगीर ने शीश महल बनबाने मे सहायता की थी । दारा शिकोह जो कि शाहजहां का सबसे बड़ा बेटा था, उसने भी औरंगजेब से युध्द के दौरान इस किले में शरण ली थी इसी समय खरबूजा महल, जिसे कस्तूरी तरबूज के आकार के कारण यह नाम मिला है, 16 वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था।
पवार वंश ने 1732 ईस्वी में इस किले पर कब्जा कर इसे शाही महल के रूप में उपयोग मे लिया। मराठा संघर्ष के दौरान, रघुनाथ राव की पत्नी आनंदी बाई ने यहां आश्रय लिया, और उन्होंने इस स्थान पर पेशवा बाजीराव द्वितीय को जन्म दिया। वैरासिंह परमार ने 10 वीं शताब्दी में धार पर विजय प्राप्त की और अपनी राजधानी बनाई।
आज यह किला खंडहर हो गया है, पर जो भी अवशेष है, वे इसके वैभवशली अतीत के प्रमाण है। किलेबंदी की दीवार उपेक्षा, रखरखाव की कमी, पानी की कमी और पेड़ों और भारी झाड़ियों की वृद्धि के कारण ढह गई थी। लेकिन प्रशासन ने और अधिक गिरावट को नियंत्रित करने के लिए मरम्मत योजनाओं को निष्पादित करना शुरू कर दिया है; एक ही डिजाइन और पैटर्न के साथ नए लकड़ी के दरवाजे के पैनलों को उकेरने की योजना है, किलेबंदी की दीवार को मजबूत किया गया है, चूने के ऊपर रेत पत्थर के पटिया का उपयोग करके प्लस्तर संरक्षण कार्य किया गया है।
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