वर्ष 2020 विधानसभा उप चुनाव बदनावर में राजवर्धन सिंह दत्तिगांव भाजपा और कमल सिंह पटेल कांग्रेस के बीच मुकाबला है
महा-उपचुनाव:63 साल में 14 चुनाव, 7 बार कांग्रेस ताे 7 बार भाजपा विचारधारा उम्मीदवार काे मिला माैका
मंत्री और स्थानीय उम्मीदवार ? का फैसला 3 नवंबर को जनता तय करेंगी !
संजय शर्मा संपादक
हैलो धार पत्रिका
धार / बदनावर- बदनावर उपचुनाव 3 नवंबर काे होगा। यहां 63 साल में 14 बार चुनाव हुए। इसमें 7 बार कांग्रेस ताे 7 बार भाजपा विचारधारा उम्मीदवार को माैका मिला। 2013 व 2018 काे छाेड़ दें ताे 1980 के बाद बदनावर की जनता ने हमेशा सत्ता के खिलाफ वाेट दिया है। इसलिए यहां विकास नहीं हाे पाया। इस बार जनता ट्रेंड बदलेगी या पुरानी परंपरा बनी रहेगी यह देखना राेचक हाेगा।
जाने कब किस दल की सरकार बनी और बदनावर में विधायक किस दल का रहा
1985 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन कांग्रेस के उम्मीदवार रघुनाथसिंह माथुर चुनाव हार गए, रमेशचंद्रसिंह राठाैर गट्टू बना बीजेपी से विधायक बने।
1989 में राम लहर से बीजेपी की सभी दूर प्रचंड सीटें आई लेकिन बदनावर की जनता ने कांग्रेस के उम्मीदवार प्रेमसिंह दत्तीगांव काे जीता दिया। बीजेपी से जगदीश प्रतापसिंह राठाैर दत्तीगांव से चुनाव हार गए थे।
1993 में कांग्रेस से प्रेमसिंह दत्तीगांव और बीजेपी से रमेशचंद्र राठाैर गट्टू बना में मुकाबला हुअा। सरकार कांग्रेस की बनी। लेकिन यहां से बीजेपी के गट्टू बना जीते।
1998 में सरकार बनी कांग्रेस की, लेकिन विधायक भाजपा के खेमराज पाटीदार बने, उन्हाेंने धार के कद्दावर नेता माेहनसिंह बुंदेला काे हराया था।
2003 में खेमराज पाटीदार काे बीजेपी से टिकट मिला, राजवर्धनसिंह दत्तीगांव काे कांग्रेस में प्रवेश मिल गया था, यहां से कांग्रेस ने उन्हें उम्मीदवार बनाया। भाजपा नेत्री उमा भारती बदनावर आई थी ताे कहकर गई थी कि आप खेमराज पाटीदार काे जीताओ मैं उन्हें मंत्री बनाउंगी, लेकिन जनता ने अपना मत राजवर्धनसिंह के पक्ष में दिया। प्रदेश में सरकार बीजेपी की बनी।
2008 में सरकार बनी बीजेपी की बनी, भाजपा के खेमराज पाटीदार और कांग्रेस के राजवर्धनसिंह दत्तीगांव में मुकाबला हुआ। फिर से खेमराज हार गए।
2013 और 18 में टूटा मिथक
साल 2013 में यह मिथक टूटा। प्रदेश में सरकार बीजेपी की बनी और बदनावर से बीजेपी उम्मीदवार भंवरसिंह शेखावत जीते। उनके सामने कांग्रेस के राजवर्धनसिंह हार गए। इसी प्रकार 2018 में 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी और बदनावर से कांग्रेस के ही उम्मीदवार राजवर्धनसिंह चुनाव जीत गए, लेकिन डेढ़ साल में यह सरकार गिर गई। अब उपचुनाव हाे रहे हैं।
सिंधिया खेमे से हाेने पर तत्कालीन कांग्रेस जिलाध्यक्ष हाेने पर भी कट गया था टिकट : साल 1998 के चुनाव में गुटीय राजनीति का एक राेचक किस्सा आज भी चर्चा का विषय बनता है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष रहते हुए भी माधवराव सिंधिया के करीबी हाेने से प्रेमसिंह दत्तीगांव का टिकट काटकर धार से उस समय के दिग्विजयसिंह के खास लाेगाें में से एक माेहनसिंह बुंदेला काे बदनावर से टिकट दे दिया गया था।
सिंधिया बदनावर से प्रेमसिंह दत्तीगांव और धार से करणसिंह पवार काे टिकट देना चाहते थे। धार से पवार काे टिकट मिल गया। इस समय दिल्ली में सर्विस कर रहे राजवर्धनसिंह दत्तीगांव बदनावर लाैटे और निर्दलीय चुनाव लड़े। 29000 लगभग मत प्राप्त किए हालांकि जीत नहीं पाए। उनका चुनाव चिन्ह बैलगाड़ी था। कांग्रेस से बुंदेला 700 वाेट से चुनाव हार गए थे।
बदनावर विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 1957 से अब तक विधायक
वर्ष 1957 में मनोहर सिंह मेहता कांग्रेस
वर्ष 1962 में गोवर्धन लाल शर्मा जनसंघ
वर्ष 1967 में गोवर्धन लाल शर्मा जनसंघ
वर्ष 1972 में चिरंजीवी लाल अलावा कांग्रेस
वर्ष 1977 में गोवर्धन लाल शर्मा जनता पार्टी
वर्ष 1980 में रघुनाथ सिंह माथुर कांग्रेस
वर्ष 1985 में रमेश चंद्र सिंह राठौर भाजपा
वर्ष 1990 में प्रेम सिंह दत्तिगांव कांग्रेस
वर्ष 1993 में रमेश चंद्र सिंह राठौर भाजपा
वर्ष 1998 में खेमराज पाटीदार भाजपा
वर्ष 2003 में राजवर्धन सिंह दत्तिगांव कांग्रेस
वर्ष 2008 में राजवर्धन सिंह दत्तिगांव कांग्रेस
वर्ष 2013 में भंवर सिंह शेखावत भाजपा
वर्ष 2018 में राजवर्धन सिंह दत्तिगांव कांग्रेस
वर्ष 2020 उप चुनाव राजवर्धन सिंह दत्तिगांव भाजपा और कमल सिंह पटेल कांग्रेस के बीच है
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