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Saturday 19 September 2020

मुख्यमंत्री ने वन अधिकार पत्रों का वितरण कार्यक्रम में हितग्राही सागरिया से पुछा की आपके बच्चों की शादी में बुलाओगे की नहीं

 मुख्यमंत्री  ने वन अधिकार पत्रों का वितरण कार्यक्रम में हितग्राही सागरिया से पुछा की आपके बच्चों की शादी में बुलाओगे की नहीं

जिला पर्यटन के ब्रांड एम्बेसेडर आनंदीलाल भावेल को स्मृति चिन्ह तथा 51 हजार रुपए का चेक भेंट किया

प्रदेश में वितरित पट्टो के 10 प्रतिशत पट्टे हमारे धार जिले में दिए जा रहे है - कलेक्टर आलोक कुमार सिंह 

संजय शर्मा संपादक 

हैलो धार पत्रिका 

               धार 19 सितम्बर 2020/ आदिवासी विकास विभाग द्वारा ‘‘गरीब कल्याण पखवाड़ा’’ वन अधिकारी अधिनियम 2006 के तहत वन अधिकार पत्रों का वितरण समारोह शनिवार को विकासखण्ड तिरला के ग्राम पाडल्या में आयोजित हुआ। स्वीकृत दो हजार 115 दावों में विकाखण्ड उमरबन में 122, कुक्षी में पांच, गंधवानी में 476, तिरला में 229, डही में 283, धरमपुरी में 103, नालछा में 260, बदनावर में 160, बाग में 190, मनावर में 42, तथा सरदारपुर में 245 है। 


               समारोह की मुख्य अतिथि विधायक धार नीना विक्रम वर्मा थी। समारोह की अध्यक्षता जिला पंचायत अध्यक्ष मालती मोहन पटेल ने की तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में जनपद पंचायत तिरला की अध्यक्ष बिरजबाई गणेश उपस्थित रही। इसके साथ ही कार्यक्रम में कलेक्टर आलोक कुमार सिंह, सहायक आयुक्त ब्रजेशचंद्र पाण्डेय व आमजन उपस्थित थे। सर्वप्रथम समस्त अतिथियों ने कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के छायाचित्र पर दीप प्रज्वलित एवं माल्यार्पण कर किया। अतिथियों ने लाभार्थी हितग्राहियों को प्रतीकात्मक रूप से वन अधिकार पत्रों का वितरण भी किया। 

           इसके साथ ही कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने धार जिले के विकाखण्ड तिरला के ग्राम मोहनपुर के 51 वर्षीय हितग्राही सागरिया पिता खुमान से सीधा संवाद किया। ज्ञात रहे कि प्रदेश के साथ साथ धार जिले में भी मनाया जा रहा है। इसमे 16 सितम्बर से 23 सितम्बर तक विभिन्न जन-कल्याणकारी योजनाओं में हितग्राहियों को लाभान्वित करने का कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। यह कार्यक्रम गरीबों की जिंदगी में प्रसन्नता के रंग भरेंगे। कार्यक्रम को जिला पंचायत अध्यक्ष मालती मोहन पटेल व विधायक नीना विक्रम वर्मा ने भी सम्बोधित किया। उपस्थित अतिथियों द्वारा जिले के प्रसिद्ध लोक गायक व जिला पर्यटन के ब्रांड एम्बेसेडर आनंदीलाल भावेल को स्मृति चिन्ह तथा 51 हजार रुपए का चेक भेंट किया गया।

                    मुख्यमंत्री  चौहान ने हितग्राही सागरिया से चर्चा करते हुए उनसे कहा कि कमान कंधे पर लटकाए ओर तीर बगल में है। आप पूरे आदिवासी वेशभूषा में है। आपका जमीन पर कब्जा कब से था - 20 साल से। अभी तक पट्टा नही मिला था - नही मिला था। आज आपको पट्टा मिल रहा है, कौन कौन सी फसल लगाते है - उड़द, तुअर ओर मक्का बोते है। इस साल फसल के क्या हाल है - हो जाएगी 4-5 क्विंटल। सिंचाई का इंतजाम है कि नही - इंतजाम तो है पर यहां तालाब होना जरूरी है। 

                 धार कलेक्टर सुन रहे है क्या सागरिया जी को तालाब देना है नोट कर लिया जाए क्योंकि तालाब बनेगा तो उसमे पानी रुकेगा और जमीन में भी जाएगा। जमीन में पानी होगा तभी फसल अच्छी होगी वरना सुखी जमीन में कायकी फसल पैदा होगी। पानी चाहिए चाहे कुआं खोद कर दे, या तालाब बनाकर दे या कही से भी लाया जा सकता है हम वहां से लाएंगे। आपके घर मे कोन-कोन है - छः सदस्य है। बच्चे पड़ रहे है या नही - बच्चे सब बड़े बड़े हो गए है दो की शादी हो गई है और दो की अभी नही हुई। जिनकी शादी हो गई है उनके बच्चे है या नही आपके नाती वगेरह है या नही - एक लड़के की छोटी लड़की है। आप उनको अच्छे से पढ़ाना और जो दो की शादी नही हुई है उनकी शादी में बुलाओगे की नही-बुलायांगा मामाजी। जरूर बुलाना मक्के की रोटी खाएंगे। आप बताए कि आप खेती के अलावा भी कुछ करते है क्या - नही सिर्फ खेती में ही काम चल जाता है। आपका कोई सुझाव है क्या की हमे ओर क्या करना चाहिए - मेरा एक ही सुझाव है कि फसल कटने के बाद आप तालाब का कार्य करवा दीजिए जिससे सभी को खेती करने में परेषानी ना हो।  


                     कलेक्टर आलोक कुमार सिंह ने सम्बोधित करते हुए कहा की तीन-तीन पीढ़ियों के कब्जे काबिज होने के बाद हमारे मुख्यमंत्रीजी ने जो व्यवस्था बनाई उसके तहत इन्हें आज पट्टे का अधिकार दिया जा रहा है। यह मूल रूप से उन्ही का हक था, लेकिन सालों साल नियम प्रकिया के तहत चलता आ रहा था और उन्हें पट्टा नही मिल पा रहा था। लेकिन मुख्यमंत्री जी ने संवेदनशील दिखाते हुए और इस अभियान को पिछले दो माह से प्रारम्भ किया। जिसमे पूरी टीम दिन रात इस कार्य मे लगी रही। प्रदेश के 10 प्रतिशत पट्टे हमारे धार जिले में दिए जा रहे है। इसके लिए सभी को बधाई। मैं सभी को बताना चाहूंगा कि एक विशेष प्रयास पिछले पांच महीनों से जारी है, जिसमे समस्त चीजें पोर्टल पर ऑनलाइन है। जिससे अब एक-एक चीजे पारदर्शी तरीके से हो रही है। इस बार शासन ने यह भी सुविधा दी है कि अगर हमारे आदिवासी बंधु के पास 2005 से पहले कब्जे का कोई रिकार्ड नही है, तो उसमे गांव के दो बुजुर्गों के बयान होते है, तो उसको भी इस बार पट्टा दिया गया है। इन्हें सिर्फ पट्टा मिलना ही काफी नही है बल्कि इन्हें पानी व बिजली की भी आपूर्ति के लिए शासन प्रयासरत है।


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