बेटी की गुहार से पिघले कलेक्टर आलोक कुमार सिंह चोईथराम नेत्रालय के ट्रस्टी से मदद को कहा
लड़की ने कहा आलोक सर की बदौलत पिता की जिंदगी हुई आलोकित
संजय शर्मा संपादक
हैलो धार पत्रिका
धार - "कलेक्टर" इस संस्था पर जनता का भरोसा इस कदर है कि खासजन तो लोगों की समस्यायों को लेकर मिलते ही हैं तथा आमजन भी अपनी व्यक्तिगत परेशानियों को लेकर आए दिन कलेक्ट्रेट आते हैं। कमोबेश देखने में यह भी आता है कि कलेक्टर हमेशा ही लोगों की मदद के लिए तत्पर रहते हैं। सोचिए कभी कोई ऐसा आ जाए जिसकी शासन की किसी भी योजना से तत्काल मदद करना संभव नहीं हो तब क्या होता होगा।
हाल ही में ऐसा वाक्य धार कलेक्टर आलोक कुमार सिंह के समक्ष आया। पिछले 13 सितंबर को रोज की तरह कलेक्टर श्री सिंह आवेदकों से मिल रहे थे, एक लड़की अपने पिता बसंत गौतमपुरकर को लेकर उनके पास आए आई। उसने बताया की उसके पिता धार के निजी विद्यालय में शिक्षक है। कोरोना काल में न तो स्कूल चल रहा है न ही वेतन मिल रहा है। इनकी दायीं आँख से बहुत कम दिखाई दे रहा है एवं बायीं आँख की रोशनी भी नहीं के बराबर है। आंखों के ऑपरेशन की तुरंत आवश्यकता है परन्तु अस्पताल का खर्च करने में सक्षम नहीं है। आप से मदद मांगने के लिये आज मैं उपस्थित हुई हूं। कलेक्टर श्री सिंह ने पड़ताल की कि किस तरह इस बच्ची की शासकीय मदद संभव हो फिर मामला तत्काल राहत देने का भी था। ऐसे में कलेक्टर को अपने मित्र इंदौर के चोईथराम नेत्रालय के ट्रस्टी अश्विनी वर्मा की याद आई। कॉल किया परिवार की गरीबी का हवाला दिया। श्री वर्मा ने तत्काल निशुल्क ऑपरेशन की सहमति दी।
14 सितंबर को नेत्रालय के नेत्र विशेषज्ञों से जांच करवाई गई। नेत्रालय के रेटिना विशेषज्ञ डॉ. धैवत शाह द्वारा समस्त जाँच कर पाया कि मधुमेह कि अधिकता के कारण बाई आँख का पर्दा उखड गया है एवं मोतियाबिंद भी पक चुका है। ऑपरेशन कर आँख की रोशनी को बचाया जा सकता है। तत्समय ही मरीज का उपचार प्रारम्भ कर 17 सितंबर को मरीज की बायीं आँख का ऑपरेशन निःशुल्क किया गया। 18 सितंबर को मरीज को निःशुल्क दवाईयों देकर डिस्चार्ज किया गया मरीज नेत्रालय के सेवाकार्य से बहुत प्रसन्न एवं आभारी है। कलेक्टर श्री सिंह की संवेदनशीलता से शिक्षक की आँखों की रोशनी बचाना संभव हो सका।
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