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Wednesday 11 March 2020

श्रीमंत महाराज ज्योतिरादित्य के पास इतनी अकूत संपत्ति कि फीके पड़ जाएं बड़े-बड़े बिजनेसमैन

श्रीमंत महाराज ज्योतिरादित्य के पास इतनी अकूत संपत्ति कि फीके पड़ जाएं बड़े-बड़े बिजनेसमैन

पुरे देश में अचूक सम्पति है 200 मिलियन डालर का तो महल ही है, मुंबई में परिवार के पास 1200 करोड़ की संपत्ति है.श्रीमंत महाराज के पास 

कांग्रेस की टॉप लीडरशिप में शामिल रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास देशभर में फैली हुई हजारों करोड़ संपत्ति है. करीब 40 हजार करोड़ रुपए की इस संपत्ति पर विवाद चल रहा है.

संजय शर्मा संपादक  
हैलो धार पत्रिका 
              ग्वालियर - श्रीमंत महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) इस समय भारतीय मीडिया की मुख्य सुर्खियां हैं. उन्हें लेकर कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक हर तरफ उहापोह मची हुई है. सिंधिया राजघराने (Scindia Royal Dynasty) को लेकर मध्य प्रदेश में काफी सम्मान है और आजादी के बाद से ही ये परिवार राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में रहा है. लोगों के बीच सम्मान से देखे जाने वाले इस घराने में संपत्ति को लेकर गंभीर विवाद चल रहा है. करीब 30 साल पहले परिवार में संपत्ति विवाद शुरू हुआ जो करीब 40 हजार करोड़ की संपत्ति पर है. विवाद ज्योरादित्य सिंधिया और उनकी तीन बुआ के बीच में है.

             हालांकि साल 2017 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ से कोर्ट से बाहर मामला निपटाने का निवेदन भी किया गया था. इंडिया लीगल वेबसाइट पर प्रकाशित एक स्टोरी के मुताबिक ज्योतिरादित्य के निवेदन के बाद कोर्ट ने भी समझाइश की थी कि इस विवाद से जुड़े सभी लोग पढ़े-लिखे हैं, वो कोर्ट से बाहर भी मामले का निपटारा कर सकते हैं. जज ने यह भी कहा था कि सिंधिया फैमिली से जुड़े संपत्ति विवाद के मामले बॉम्बे, दिल्ली, पुणे, जबलपुर और ग्वालियर कोर्ट में चल रहे हैं. हालांकि अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है.

आजादी के बाद अकूत धन-संपत्ति
           आजादी के बाद सिंधिया परिवार के पास करीब 100 से ज्यादा कंपनियों के शेयर थे. इनमें बॉम्बे डाइंग के 49 प्रतिशत शेयर भी शामिल हैं. परिवार के सिर्फ ग्वालियर में करीब 10 हजार करोड़ की संपत्ति है. इनमें कई महल जैसे जय विलास, सख्य विलास, सुसेरा कोठी. कुलेठ कोठी शामिल हैं. ग्वालियर से बाहर मध्य प्रदेश में परिवार के पास करीब 3 हजार करोड़ की संपत्ति है. इनमें शिवपुरी के कई महल और उज्जैन में एक महल शामिल है. दिल्ली में परिवार के पास करीब 7 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति है. इसमें ग्वालियर हाउस, सिंधिया विला और राजपुर रोड में एक प्लॉट शामिल है.

            यूपी के वाराणसी में परिवार के पास अच्छी-खासी संपत्ति है. शहर में पद्म विलास नाम का एक महल है. गोवा में संपत्ति का कुछ हिस्सा है. इसके मुंबई में परिवार के पास 1200 करोड़ की संपत्ति है.

माधवराव की बहनें
             ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया की तीन बहनें हैं. ऊषा राजे, वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे. माना जाता है कि परिवार की संपत्ति पर मुख्य रूप से यशोधरा राजे ने ही दावा ठोंका है. सबसे बड़ी बहन ऊषा राजे नेपाल में शादी के बाद वहीं बस गई हैं और वहां पर उनके पास बड़ी संपत्ति है. कुछ ऐसा ही वसुंधरा राजे के साथ भी है. उनकी शादी धौलपुर राज घराने में हुई है. लेकिन यशोधरा की शादी एक लंदन बेस्ड डॉक्टर से हुई थी जिससे तलाक के बाद वो वापस मध्य प्रदेश आ गईं. वर्तमान में वो शिवपुरी से भारतीय जनता पार्टी की 

विवाद की कहानी
         इस विवाद की कहानी समझने के लिए ग्वालियर राजघराने के इतिहास को समझना ज़रूरी है. मध्य प्रदेश की राजनीति में भले ही माधव राव सिंधिया और ज्योतिरादित्य ने कांग्रेस की सियासत की लेकिन जीवाजी राव सिंधिया, राजमाता विजयाराजे, यशोधरा राजे सिंधिया और राजस्थान में वसुंधरा राजे इसी घराने के उन कुछ नामों में से हैं जो हिंदू महासभा, जनसंघ और अब बीजेपी में रहकर कांग्रेस विरोधी राजनीति के कद्दावर चेहरे माने जाते हैं.

              राजमाता विजयाराजे के राजनीतिक जीवन की शुरुआत भले ही कांग्रेस के जरिए हुई थी, लेकिन पार्टी छोड़ने के बाद उन्होंने कभी कांग्रेस से समझौता नहीं किया और एमपी में कांग्रेस की सरकार गिराने का कारनामा तक कर डाला. महज 48 साल की उम्र में जीवाजी राव का निधन हो गया था. राजमाता ने अकेले ही रियासत, परिवार और राजनीति तीनों को संभाला. फिलहाल भाई ध्यानेंद्र सिंह, भाभी माया सिंह, बेटी वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया बीजेपी की ओर से उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. जबकि ज्योतिरादित्य ने माधवराव सिंधिया की विरासत को आगे बढ़ाया.

1980 में मां-बेटे बढ़ गई थी दरार

               12 अक्टबर 1980 को राजमाता के 60वें जन्मदिन पर एक पार्टी रखी गई थी जहां उन्होंने माधवराव से संपत्ति के बंटवारे की बात कह दी. इसके बाद मां-बेटे के रिश्ते इतने ख़राब हो गए कि राजमाता की बीमारी के वक्त भी माधवराव मिलने नहीं गए. 25 जनवरी 2001 को राजमाता के देहांत के बाद सामने आई वसीयत में माधवराव और ज्योतिरादित्य को अरबों की संपत्ति से बेदखल करने की बात सामने आई थी. वसीयत के हिसाब से उन्होंने अपनी बेटियों को तमाम जेवरात और अन्य कीमती चीजें दी थीं और संभाजी राव आंगरे को विजयाराजे सिंधिया ट्रस्ट का अध्यक्ष बना दिया.

             रिश्ते इतने ख़राब हो गए थे कि ग्वालियर के जयविलास पैलेस में रहने के लिए उन्होंने माधवराव से एक रुपए साल का किराया भी मांग लिया था. माधवराव से राजमाता इतनी नाराज थीं कि 1985 में अपने हाथ से लिखी वसीयत में उन्होंने माधवराव को अंतिम संस्कार में शामिल होने से भी इनकार कर दिया था. हालांकि राजमाता का अंतिम संस्कार बेटे माधवराव ने ही किया था.

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