शिवमहापुराण कथा के प्रथम दिवस ऋचा गोस्वामीजी ने कहा की श्रद्धा और विश्वास लौकिक व्यवहार में भी जरूरी है
संजय शर्मा संपादक
हैलो धार पत्रिका
भोपाल - सिंरौंजिया अग्रवाल पाठशाला भवन सराफा बाजार में श्री सिंरौंजिया अग्रवाल पंचायत सभा एवं श्री सखी संगम महिला मंडल आयोजन समिति द्वारा परम विदुषी ऋचा गोस्वामी जी के श्रीमुख से संगीतमय सात दिवसीय शिवमहापुराण के प्रथम दिवस अपने उद्बोधन में कहा कि श्रद्धा और विश्वास लौकिक व्यवहार में जरूरी है और पारलौकिक व्यवहार में तो इनकी नितान्त आवश्यक है।
शिवमहापुराण के महात्म्य का वर्णन ऋचाजी ने दो कथाओं के माध्यम से किया जिसमें देवराज जैसा दुष्ट पापी भी शिवपुराण का श्रवण करने से शिवलोक को प्राप्त होता है।कथा के प्रारंभ होने से पूर्व भव्य कलश यात्रा का आयोजन हुआ जिसमें हिन्दू उत्सव समिति के अध्यक्ष कैलाश बेगवानी , पार्षद सोनू बाबा,प्रहलाद अग्रवाल , संजय अग्रवाल , महेंद्र सिंह ठाकुर , सखी संगम महिला मंडल की सभी महिलाएं उपस्थित रहे।कथा 17 सितंबर तक दोपहर 3 बजे से 7 बजे तक चलेंगी।
परम विदुषी ऋचा गोस्वामीजी परिचय
परम विदुषी ऋचा गोस्वामीजी 5 वर्ष की उम्र से ही भागवत कथा कर रही हैं , मात्र दस वर्ष की अवस्था में 100 भागवत कथाएं कहने का कीर्तिमान हरिद्वार में स्थापित किया था।ऋचाजी को 9 भाषाओं का ज्ञान है। हिंदी , इंग्लिश, संस्कृत , पंजाबी, गुजराती , उड़िया ,बंगाल, उर्दू, तेलगु इत्यादि । विदुषी ने देश के लगभग 24 राज्यों के विभिन्न शहरों में कथाएं कर चुकी हैं।
विदुषी ऋचा गोस्वामी भागवत कथा के अतिरिक्त देवी भागवत , शिवपुराण, नर्मदा पुराण, श्रीराम चरित मानस भक्तमाल आदि कथाएं भी विद्वतापुर्ण शैली से कहती हैं। लगातार 25 घंटे तक श्रीमद भागवत पर प्रवचन देने का रिकार्ड भी ऋचाजी ने 17 वर्ष की आयु में कायम किया था।विदुषी का आश्रम अमरकंटक में है वहा श्री अमरेश्वर महादेव की स्थापना भी की गई है।यह शिवलिंग 11 फुट ऊचा व 51 टन वजन है लगभग 15 करोड़ रुपए की लागत से वह मंदिर का निर्माण हुआ है।
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