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Thursday 14 February 2019

सीआरपीएफ के काफिले पर हमले में 42 जवान शहीद, विस्फोटकों से भरी गाड़ी के जरिए 18 साल बाद बड़ा हमला

सीआरपीएफ के काफिले पर हमले में 42 जवान शहीद, विस्फोटकों से भरी गाड़ी के जरिए 18 साल बाद बड़ा हमला

फिदायीन आतंकी ने विस्फोटकों से भरी गाड़ी एक बस से टकरा दी, जिसमें सीआरपीएफ के 42 जवान सवार थे
इससे पहले अक्टूबर 2001 में कश्मीर विधानसभा पर इसी तरह के हमले में 38 मौतें हुई थीं
सितंबर 2016 में उड़ी के सैन्य मुख्यालय पर हमला हुआ था, इसमें 19 जवानों के शहीद होने के बाद सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी
संजय शर्मा 
हैलो -धार पत्रिका 

             श्रीनगर. जम्मू से श्रीनगर जा रही सीआरपीएफ की 70 गाड़ियों के काफिले पर कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों ने फिदायीन हमला कर दिया। अधिकारी के मुताबिक, हमले में 42 जवान शहीद हो गए, कई घायल हैं। इस काफिले में 2500 जवान शामिल थे। जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली है।

              जैश के आतंकी आदिल अहमद उर्फ वकास कमांडो ने दोपहर 3:15 बजे यह फिदायीन हमला किया। उसने एक गाड़ी में विस्फोटक भर रखे थे। जैसे ही सीआरपीएफ का काफिला लेथपोरा से गुजरा, आतंकी ने अपनी गाड़ी जवानों से भरी बस से टकरा दी। अक्टूबर 2001 में कश्मीर विधानसभा और जनवरी 2004 में सुरक्षा बलों के काफिले पर भी इसी तरह हमला हुआ था। पुलवामा के काकापोरा का रहने वाला आदिल 2018 में जैश में शामिल हुआ था।
जिस बस को निशाना बनाया, उसमें 39 जवान सवार थे
       एक अधिकारी ने बताया कि काफिला सुबह 3:30 बजे जम्मू से रवाना हुआ था और इसे शाम होने से पहले श्रीनगर पहुंचना था। घाटी लौटने वाले जवानों की संख्या ज्यादा थी, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से मौसम खराब होने की वजह से हाईवे पर ज्यादा भीड़भाड़ नहीं थी और इसके कुछ प्रशासनिक कारण भी थे। आमतौर पर ऐसे काफिलों में एक बार में एक हजार जवान होते हैं। लेकिन, इस बार इनकी संख्या 2547 थी। काफिले में रोड ओपनिंग पार्टी और बख्तरबंद आतंकरोधी गाड़ियां भी शािमल थीं। जिस बस को हमले के लिए निशाना बनाया गया, वह 76वीं बटालियन की थी और इसमें 42 जवान सवार थे। फॉरेंसिक और बम विशेषज्ञ टीमें मौके पर पहुंच गई हैं।
 शहादत बेकार नहीं जाएगी- मोदी
     मोदी ने कहा, "पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हमला घृणित है। जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। पूरा देश जवानों के परिवार के साथ खड़ा है।'' राहुल ने भी इस हमले पर दुख जाहिर किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यह कायराना हरकत से मैं बुरी तरह व्यथित हूं।
 पहले कब हुए इस तरह से आतंकी हमले
           1 अक्टूबर 2001 को जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने हमला किया था। एक फिदायीन आतंकी विस्फोटकों से लदी टाटा सूमो में सवार था। उसने गाड़ी को विधानसभा के मेन गेट से टकरा दिया था। हमले में 38 मौतें हुई थीं। वहीं, 15 जनवरी 2004 को आतंकियों ने श्रीनगर के पास अर्द्धसैनिक बल के एक काफिले पर विस्फोटकों से भरी कार से हमला कर दिया था। हालांकि, इस हमले में कोई भी हताहत नहीं हुआ था।

जैश ने की पुष्टि, वकास कमांडो ने किया हमला
    जैश-ए-मोहम्मद के प्रवक्ता मुहम्मद हसन ने एक लोकल मीडिया से कहा कि हमारा संगठन सीआरपीएफ के काफिल पर हुए हमले की जिम्मेदारी लेता है। इस फिदायीन हमले को आदिल अहमद उर्फ वकास कमांडो ने अंजाम दिया। वह पुलवामा के गुंडी बाग से ऑपरेट करता था।
 वकास का घर जलाने के बाद जैश ने जून में किया था ग्रेनेड अटैक
           रिपोर्ट्स के मुताबिक, श्रीनगर के बादशाह चौक में 2 जून 2018 को सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड अटैक किया गया था। इस हमले की जिम्मेदारी जैश ने ली थी। इससे पहले सुरक्षाबलों ने 31 मई की रात को वकास कमांडो का घर जला दिया था। सेना के इस एनकाउंटर में वकास बच निकला था।

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