सुमित्रा-कैलाश और गौर की वजह से इंदौर-भोपाल की सीटों में देरी !,मुख्यमंत्री भी आ सकते है मैदान में अब शाह लेंगे फैसला
संजय शर्मा
हैलो धार
भोपाल की गोविंदपुरा सीट पर बाबूलाल गौर अड़े, संघ बीडी शर्मा को टिकट देने के पक्ष में विकल्प के तौर पर शिवराज सिंह चौहान हो सकते है उम्मीदवार !यह हो सकता है विकल्प - भोपाल की गोविंदपुरा सीट पर बाबूलाल गौर, इंदौर की क्षेत्र क्रमांक एक- गोलु शुक्ला ,क्षेत्र क्रमांक दो -आकाश विजयवर्गीय,इंदौर की क्षेत्र क्रमांक तीन -मंदार महाजन या पंडित उमेश शर्मा ,इंदौर की क्षेत्र क्रमांक चार मालिनी गौड़ ,इंदौर की क्षेत्र क्रमांक पांच महेंद्र हार्डिया ,राऊ से कैलाश विजयवर्गीय या रमेश मेंदोला ,महू अम्बेडकर नगर से - राधेश्याम यादव या कविता पाटीदार ,देपालपुर से - मनोज पटेल या चिंटू वर्मा ,सावेर से - प्रेम चंद गुडडू या सोनकर
भोपाल- भाजपा की सोमवार को आई विधानसभा के 17 प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट में भी इंदौर को लेकर कोई फैसला नहीं हो सका। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटों की दावेदारी के चक्कर में इंदौर का गणित गड़बड़ा गया है। इनमें इंदौर की क्षेत्र क्रमांक एक से पांच, महू, राऊ, देपालपुर और सांवेर की सीट शामिल है। इसके साथ भोपाल की गोविंदपुरा व उत्तर सीट पर भी पेंच फंसा हुआ है।
इन सभी सीटों में चल रही खींचतान को देखते हुए पार्टी ने तय किया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से चर्चा के बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। सूत्र बताते है की मुख्यमंत्री भी आ सकते है मैदान में ! इंदौर में महाजन अपने बेटे मंदार और विजयवर्गीय अपने बेटे आकाश के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। रविवार को सीएम हाउस में हुई बैठक में भाेपाल की गोविंदपुरा व उत्तर सीट तथा इंदौर की सीटों को लेकर चर्चा हुई थी। इसके बाद तय हुआ कि शाह और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल से एक बार और बात की जाए।
सुबह सुर बदले, दोपहर में गौर-कृष्णा ने खरीदा पर्चा: भोपाल की गोविंदपुरा से भाजपा की टिकट को लेकर चल रहा ड्रामा सोमवार को भी जारी रहा। नाराज चल रहे बाबूलाल गौर और उनकी बहू कृष्णा गौर के तेवर सुबह तो नरम दिखे, लेकिन दोपहर में दोनों ने नामांकन फॉर्म खरीद कर सरगर्मी फिर बढ़ा दी। बाबूलाल और कृष्णा एक दिन पहले तक निर्दलीय लड़ने की धमकी दे रहे थे। सोमवार सुबह होते-होते दोनों के सुर बदल गए। गौर ने कहा कि उन्होंने अपने मन की बात सुनकर यह निर्णय लिया है कि पार्टी टिकट देगी तो ही चुनाव लड़ेंगे, वर्ना राम नाम जपेंगे। कृष्णा गौर ने कहा कि पार्टी जो भी निर्णय लेगी, उसी हिसाब से काम करेंगी। दरअसल, रविवार रात नरेंद्र सिंह तोमर ने उन्हें काफी देर तक समझाइश दी थी।
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