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Monday 22 October 2018

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, दीवाली पर सिर्फ दो घंटे ही चला पाएंगे कम प्रदूषण वाले पटाखे

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, दीवाली पर सिर्फ दो घंटे ही चला पाएंगे कम प्रदूषण वाले पटाखे

हैलो धार 
       नई दिल्ली: दीवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के उत्पादन, बिक्री और जलाने पर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने पटाखों की बिक्री, उत्पादन और जलाने पर रोक तो नहीं लगाई लेकिन कड़ी शर्तें जरूर लगाई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ग्रीन पटाखे (कम प्रदूषण वाले पटाखे) बनाने की अनुमति दी जाए. सिर्फ लाइसेंस धारक ही बेचे. सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन पटाखों की बिक्री पर भी रोक लगा दी है. कोर्ट ने पटाखे जलाने का समय भी निर्धारित कर दिया है. रात आठ बजे से रात 10 बजे तक ही पटाखे जलाए जा सकते हैं, नए साल और क्रिसमस पर 11 :55 PM से 12 :15 AM तक पटाखे चला सकेंगे.
   कोर्ट ने देशभर में प्रशासन को आदेश दिया कि लगातार पटाखा बनाने की फैक्ट्री में जांच की जाए कि हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल न हो. कोर्ट ने साफ किया कि ये आदेश दीवाली ही नहीं किसी भी धार्मिक और सामाजिक पर्व पर लागू होगा. 28 अगस्त को जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने दलील पूरी होने के बाद फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था.
      केंद्र सराकर पटाखा बिक्री पर रोक लगाए जाने के खिलाफ है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि पटाखों के उत्पादन को लेकर नियम बनाए जा सकते हैं. पटाखों में एल्युमिनियम और बेरियम जैसी सामग्री का इस्तेमाल रोकना सही होगा. इसके साथ ही तमिलनाडु के पटाखा बिक्रेताओं ने कहा था पिछले साल कोर्ट ने बिना किसी ठोस रिसर्च के बिक्री पर रोक लगा दी थी, जिससे कई लोगों का रोजगार प्रभावित किया.
       कोर्ट ने पिछले साल दीवाली पर दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई थी. याचिकाकर्ता इसे पूरे देश मे लागू करने की मांग कर रहे हैं. केंद्र सरकार ने कहा है कि पटाखों की बिक्री रोकने से बेहतर है, उनके उत्पादन को लेकर नियम बनें.
पिछले साल दिल्ली एनसीआर में लगाई थी रोक
        पिछले साल सु्प्रीम कोर्ट ने सितंबर में शर्तों के साथ दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री का आदेश दिया था. लेकिन बाद में अक्टूबर में एक फिर आदेश सुनाते हुए बिक्री पर रोक लगा दी थी. फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो रोक के साथ यह देखना चाहते हैं कि क्या इससे प्रदूषण के स्तर में कमी आती है.

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