राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त कम्प्यूटर बाबा ने दिया इस्तीफा
छह महीने पहले ही मिला था पद, बोले- अब नर्मदा बचाओ अभियान की फिर शुरूआत करेंगेहैलो धार
भोपाल- राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त कम्पयूटर बाबा ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने प्रदेश सरकार को हिंदू धर्म विरोधी भी कहा। अब कम्पूयटर बाबा नर्मदा बचाओ अभियान की फिर से शुरुआत करेंगे। करीब छह महीने पहले ही प्रदेश सरकार ने कम्पयूटर बाबा को राज्यमंत्री बनाया था।
विवार को खजुराहो में मुख्यमंत्री की प्रदेश में स्वतंत्र गो मंत्रालय बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद सोमवार को कम्पयूटर बाबा ने कहा कि सरकार ने गायों के लिए क्या किया। प्रदेश में गाये मर रही हैं, सरकार कुछ नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से कई बार नर्मदा में अवैध उत्खनन रोकने के बारे में कहा पर उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि सरकार भविष्य में गायों के लिए क्या करेगी ये बात मायने नहीं रखती। मुख्यमंत्री ये बताएं कि अभी तक उन्होंने गायों के लिए क्या किया।
मेरी एक बात नहीं मानी गई
कम्पयूटर बाबा ने कहा कि संत-पुजारियों के हित में मठ-मंदिर सरंक्षण, गो संरक्षण, नर्मदा संरक्षण के साथ-साथ अनेकों धार्मिक कोर्यों के लिए अथक प्रयास करने के बाबजूद अपनी बात सरकार से मनवाने में नाकाम रहा। मुख्यमंत्री ने मेरी एक भी बात नहीं मानी।
इसलिए दिया इस्तीफा
उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा लगा कि शिवराज धर्म के ठीक विपरीत हैं और धर्म का काम कुछ करना ही नहीं चाहते हैं। मैंने गायों की स्थिति और नर्मदा से हो रहा अवैध उत्खनन के बारे में चर्चा की थी। लेकिन मुझे कुछ भी करने के लिए इजाजत नहीं दी गई। मैं संतों के विचार सरकार के सामने नहीं रख सका और इस लिए मैं ऐसी सरकार का हिस्सा नहीं बनना चाहता।
नर्मदा मंत्रालय बनाने की मांग
उन्होंने गो मंत्रालय की तरह नर्मदा मंत्रालय बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी की स्थिति अच्छी नहीं है। इसके लिए एक मंत्रालय होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जितना सुख सुविधा गौमाता के लिए चाहिए उतना ही नर्मदा के लिए भी चाहिए।
कम्पयूटर बाबा ने क्या लिखा इस्तीफे में
कम्पयूटर बाबा ने मुख्यमंत्री को भेजे अपने इस्तीफे में लिखा है कि मैं भारी मन से आपसे अनुरोध कर रहा हूं कि मैं संत-पुजारियों के हित में मठ-मंदिर सरंक्षण, गो संरक्षण, नर्मदा संरक्षण के साथ-साथ अनेकों धार्मिक कोर्यों के लिए अथक प्रयास करने के बाबजूद अपनी बात सरकार से मनवाने में नाकाम रहा।
अतेव संतों के भारी दबाव के कारण में अपना त्यागपत्र मुख्यमंत्री कार्यालय प्रेषित कर रहा हूं। तत्काल स्वीकृत करने का कष्ट करें।
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