बदनावर विधायक भंवर सिंह शेखावत का टिकट कटेगा ? नए चेहरे को मौका मिलेगा ?
संजय शर्मा संपादक
हैलो धार पत्रिका
धार /बदनावर - वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा दावेदारों की आपसी खींचतान की वजह से हाईकमान ने गुटबाज़ी ख़त्म करने एंव जिताऊ उम्मीदवार मैदान इंदौर से आकर भंवर सिंह शेखावत विजय भी हुए इस विजय के पीछे कई कारण रहे थे।
मुख्य रूप से कांग्रेस तत्कालीन विधायक राजा राजवर्धन सिंह दत्तीगांव से अपने ही कार्यकर्ता की अधिक नाराजगी ,दूसरा सबसे बड़ा कारण बदनावर विधायक पद प्रत्याशी वर्ष 2013 से शिवराज लहर में भाजपा के वरिष्ठ नेता चुनाव जीतते है तो सीधे मंत्री बनेंगे क्योकि बदनावर विधानसभा से आज तक कोई विधायक मंत्री नहीं बना। साथ ही बदनावर की जनता ने भाजपा उम्मीदवार को जीता दिया ,क्षेत्र में अनेकों विकास कार्य तो हुए है लेकीन पिछले पांच वर्षो के विधायक कार्यकाल को देखे तो बदनावर में गुटबाज़ी ओर अधिक बड़ी है। इन्हीं के कारण भाजपा सरकार व क्षेत्रीय विधायक भाजपा का होने के बावजुद बदनावर नगर पंचायत चुनाव में कई पार्षद सहित अध्यक्ष पद पर कांग्रेस जीत गई।
वैसे तो वर्तमान विधायक जनसंपर्क कर 5 नवम्बर 2018 को नामांकन पर्चा भरने की बात कर रहे है लेकिन अभी भी स्थानीयवाद का मुद्दा ठंडा नहीं हुआ है दावेदारों में - पूर्व विधायक खेमराज पाटीदार ,मनोज सोमानी ,महेंद्र सिंह चाचू बना ,राजेश अग्रवाल ,डॉ प्रह्लाद सिंह सोलंकी सहित अनेक नेता भोपाल से दिल्ली तक अपने पार्टी नेताओ को अपनी मन की बात बता चुके है।
सूत्रों की माने तो पार्टी इस पर विचार करती दिख रही है ? ऐसा लगता है की 9 नवम्बर नामांकन भरने की अंतिम तारीख को कुछ बड़े ही नाटकीय ढंग से उम्मीदवार बदला जा सकता है ? यह तो तय है की अगर शेखावत का टिकिट कटता है तो कोई नया ही चेहरा तीसरे विकल्प के रूप में सामने आएगा जो भाजपा कार्यकर्ताओ को सर्व मान्य होगा,और जिताऊ उम्मीदवार भी होगा। देखा जाए तो कांग्रेस सशक्त दावेदार भी कमजोर उम्मीदवार नहीं मान सकते है ,राजवर्द्धन सिंह के प्रति पार्टी कार्यकर्ताओ की नाराजगी थी वह अब खत्म होते हुए दिख रही है।
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