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Friday 27 April 2018

विरासत संरक्षण और नागरिक एक सिक्के के दो पहेलू - नागरिक कार्यशाला सम्पन्न

विरासत संरक्षण और नागरिक एक सिक्के के दो पहेलू - नागरिक कार्यशाला सम्पन्न

इंटेक के विरासत संरक्षण और शिक्षा के कार्य सराहनीय और अनुकरणीय - डाॅ चौहान  

          धार  - भारत की विरासतीय धरोहर विविध आयामी है। विविधता और विस्तारता के कारण धरोहरों का समुचित संरक्षण एक बड़ी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का कार्य है। संरक्षण कार्य बिना नागरिक सहयोग के अधूरा ही माना जाता है। इंटेक ने देशभर में विरासत संरक्षण और शिक्षा के लिए सराहनीय और अनुकरणीय कार्य किया है। देश  की पहचान इन धरोहरों के प्रति समाज को विषेष जागरुकता और अपनत्व दिखाना होगा। विरासत एक बार नष्ट हो जाये तो वह हमेशा  के लिए नष्ट हो जाती है। प्राकृतिक, और मानव निर्मित कई धरोहरे हमारी सांस्कृतिक पहचान है इन्हे  बचाये रखना हम सब की जिम्मेदारी है। हम कोई धरोहर बना नहीं सकते तो हमें उसे विकृत करने और नष्ट करने को कोई अधिकार ही नहीं है। स्कूली और महाविद्यालयीन छात्रों के मध्य इस तरह के आयोजन किये जाने चाहिये ताकि उन्हें धरोहर और इनके संरक्षण का ज्ञान मिल सके। ये उद्गार इंटेक धार और मुख्यालय नईदिल्ली द्वारा धार में आयोजित पहली धरोहर संरक्षण नागरिक कार्यशाला में अतिथियों ने व्यक्त किये। उद्घाटन समारोह के अतिथि प्राचार्य महाराजा भोज स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय धार के प्राचार्य  बीएल चौहान , विचारक और हास्य कवि  संदीप शर्मा, इंटेक मुख्यालय दिल्ली से पधारी सुश्री शिवा रावत, जिला कोषालय अधिकारी श्रीमती भगवती काग और इंटेक धार चेप्टर के संयोजक डाॅ दीपेन्द्र षर्मा थे। कार्यशाला का आरंभ हमारी विरासत हमारी सोच और इंटेक का परिचय देती फिल्मों के प्रदर्षन से हुआ। कार्यशाला की प्रस्तावना और स्वागत भाषण चेप्टर संयोजक डाॅ दीपेन्द्र शर्मा ने दिया। कार्यशाला में छात्र, शिक्षक, ग्रामीण और शहरी नागरिक, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और महिलाएं बड़ी संख्या में सहभागी हुई। कार्यषाला में नवीन आजीवन सदस्यों को इंटेक पिन, प्रमाण और परिचय पत्र भेंट किये गये। कार्यषाला में चलो गाॅव की ओर हेरीटेज वाक की घोषणा भी चेप्टर संयोजक ने की। यह कार्यषाला मध्यप्रदेष में इंटेक की पहली नागरिक धरोहर संरक्षण कार्यशाला थी।  
        उद्घाटन सत्र के बाद पहले वैचारिक सत्र में संदीप शर्मा ने विरासत का संरक्षण क्यों और कैसे विषय पर अपनी चिरपरिचत हास्य षैली के साथ ही नये आयामों को उद्घाटित कर कार्यशाला को उचाइयाॅ प्रदान की। श्री शर्मा ने कहा कि हम हमारी धरोहरों को देखे, समझे उनका मुल्य और महत्व जाने तो इनका संरक्षण कार्य आसान हो सकता है। आज की सबसे बड़ी आवष्यकता है हमें जागरुकता बाहर से नहीं अन्दर से लानी होगी। पनाला दुर्ग, माण्डू, गोवा और पस्तून इलाकों में राजा भोज के निर्माण और षिल्प के नवीन तथ्य उद्घाटित किये जो सबके आकर्षण का केन्द्र रहे। स्मारकों की गदंगी, और उपेक्षा पर उन्होंने व्यंग्य किये। 
        दूसरे सत्र में मुक्त संवाद का आयोजन किया गया। जिसमें धरोहर संरक्षण के क्षेत्र में हमारा कार्य हमारा योगदान अपेक्षा और संभावनाएं विषय पर ग्रामीण अचंल से पधारे कलाकार अशोक पाटीदार, नागरिक केके दुबे, जितेन्द्र जायसवाल, हरिहरदत्त षुक्ला, नवीन भंवर, नंदकिशोर उपाध्याय, नारायण प्रसाद तिवारी, दुर्गेष नागर, मानस ओक आदि ने सार्थक संवाद स्थापित किया। तीसरे सत्र मे हमारी विरासत और नागरिक विषय पर लघु फिल्म प्रदर्षन के साथ ही दिल्ली से आयी शिखा रावत ने हेरीटेज के विविध स्वरुपों और नागरिकों के सहयोग पर अपनी बात रखी। 
       चतुर्थ सत्र में धरोहर संरक्षण में मीडिया की भूमिका पर पत्रकार पे्रमविजय पाटिल ने अपनी बात कहते हुए मीडिया की भूमिका को रेखाकिंत किया। श्री पाटिल ने कहा कि मीडिया के माध्यम से ही धरोहरों का सही पक्ष जनता और सरकार के समक्ष आता है। मीडिया जनता और प्रशासन तथा विभागों के मध्य सेतू का कार्य करता है। कमियाॅ और अच्छाईया उजागर कर उन्हें प्रचारित प्रसारित करता है। धार किला, होषंगषाह का मकबरा माण्डू, सर जान मालकम कोठी नालछा, मुनीम जी की बावड़ी धार जैसे अनेकों स्थान मीडिया की नजर से पूर्नसंरक्षित हुए है। कुछ का कार्य जारी है। वैचारिक संवाद का पंचम सत्र प्रसिद्ध वास्तुविद श्री वल्लभ अग्रवाल ने लिया। विरासतीय धरोहर एक वास्तुकार की नजर में विषय पर उन्होंने धार और माण्डू की इमारतों के निर्माण, षैली, विशेषताओं के साथ ही संरक्षण की तकनीकों और निरीक्षण प्रक्रिया पर अपनी बात प्रभावी ढंग से रखी। उपस्थित नागरिकों के प्रष्नों के समाधानकारी उत्तर भी दिये। अंतिम सत्र में विविधि धरोहरों के संरक्षण में हमारी भूमिका पर प्रायोगिक कार्य सत्र हुआ जिसमें उपस्थित प्रतिभागियों के पाॅच समुह बनाकर हैरीटेज महत्व, हमारा योगदान, अपेक्षाऐं और कार्यविधि पर समूह प्रदर्षन के साथ ही संवाद हुआ। कार्यशाला का प्रभावी संचालन शिक्षक ष्याम शर्मा ने किया। आभार निकिता भवानी जोशी  ने प्रकट किया। अतिथियों का स्वागत डाॅ. दीपेन्द्र शर्मा, श्रीमती किरण बांगर, सुषील जैन कुक्षीवाला, निकिता जोशी  ने किया। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किये गये। समापन सामुहिक राष्ट्रगान से हुआ। यह जानकारी पराग भौंसले ने दी है।    

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