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Friday 27 April 2018

पराक्रम का पराक्रम 500 करोड़ का आसामी बन बैठा आबकारी अधिकारी

पराक्रम का पराक्रम 500 करोड़ का आसामी बन बैठा आबकारी अधिकारी

       इंदौर ,धार -27 अप्रैल, मध्यप्रदेश में लोकायुक्त पुलिस की भ्रष्टाचारी नौकरशाह पर लगातार कार्यवाही जारी है. नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर के यहाँ से करोडों की सम्पत्ति उजागर करने के बाद अब धार में पदस्थ जिला आबकारी अधिकारी की करोडों की सम्पत्ति का पर्दाफाश किया है. बताया जा रहा है कि आबकारी अधिकारी के पास करीब 500 करोड की दौलत का मालिक है. अधिकारी कांग्रेस के पूर्व मंत्री दिवंगत महेंद्र सिंह का भतीजा है. कार्यवाही जारी है. शुक्रवार सुबह लोकायुक्त की उज्जैन और इन्दौर की टीम ने मिलाकर धार में पदस्थ जिला आबकारी अधिकारी पराक्रम सिंह चन्द्रावत के रतलाम, धार, और इन्दौर के ठिकानों में एक साथ छापा मारा. इस छापे के लिए आठ से ज्यादा अधिकारियों के साथ करीब 50 लोगों की छह टीमें बनायी गई थी. इन टीमों ने रतलाम के जावरा तथा कालूखेडा गाँव सहित इन्दौर के तीन ठिकानों वा धार के जिला आबकारी कार्यालय पर धावा बोला. धार में जिला आबकारी कार्यालय को सील कर दिया गया है. पत्नी की नाम निकले वेयर हाउस  वही जावरा में छह वेयर हाउस मिले है.जिनमें से दो वेयर हाउस आबकारी विभाग के पास किराये से थे. इनमें आबकारी विभाग ने शराब स्टोर कर रखी है. वही अन्य चार में अनाज भरे हुए थें. ये वेयर हाउस नाबार्ड योजना के तहत बनाये गये थें. जांच में सामने आया है कि वेयर हाउस की जमीन अधिकारी की पत्नी के नाम पर है. वही इन्दौर में टीम ने स्कीम -74  स्थित आवास तथा सयाजी के पास  एम आर-10 रोड पर स्थित पेट्रोल पम्पों पर भी कार्यवाही की है. स्कीम -74 में करीब सिंह ने करीब 5 हजार वर्गफीट में आलीशान बंगला बना रखा है. जिसमें करोडों रुपये इंटीरियर में खर्च किया गया है. उनके पास से दो मर्सडीज और एक ऑडी कार भी मिली है. एक मर्सडीज कार की कीमत करीब 87 लाख रुपये है. वही ऑडी करीब 70 लाख रुपये की है. सयाजी वाले पेट्रोल पम्प से 88 लाख एम आर-10 पेट्रोल पम्प से 30 लाख तथा घर से 10 लाख के आस-पास नगद रुपये मिले है. यही नहीं कालूखेडा गाँव में बने पैतृक मकान में सिंह वाले हिस्से में भी इंटीरियर के नाम पर करोडों रुपये खर्च किये गये है. लोकायुक्त एसपी इन्दौर दिलीप सोनी का कहना है कि अभी कार्यवाही जारी है. इसलिए मिली सम्पत्तियों का आंकलन नहीं किया गया है.यह बात भी सामने आ रही है कि कुछ बेनामी नामों से भी सम्पत्तियाँ खरीदी गई है. दिग्विजय सिंह के काल में मिली थी अनुकम्पा नियुक्ति पराक्रम सिंह के पिता स्वर्ण. नरेन्द्र सिंह चन्द्रावत महू टीआई थे तब उनकी हत्या एक गुंडे ने कर दी थी. पिता के सर्विस के दौरान मौत होने पर दिग्विजय सिंह के समय उन्हें अनुकम्पा नियुक्ति मिली. काका  महेन्द्र सिंह कालूखेडा उस समय मंत्री थे. इसलिए उन्हें सीधे सहायक आबकारी अधिकारी के पद पर नियुक्ति दी गई. कहा जाता है कि वे इस पद की योग्यता को पूरा नहीं करते थें. नौकरी में आने के बाद पिता की शहादत पर एक पेट्रोल पम्प मिला. वही दूसरा पम्प उनकी पत्नी के नाम पर है....

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