मनीषा अलावा व कमल अलावा के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज
धार - वर्तमान में शासकीय हाई सेकेंडरी स्कूल बगड़ी में पदस्थ वरिष्ठ अध्यापक मनीषा अलावा एवं शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय धार में वनस्पति विज्ञान के सहायक प्राध्यापक व मनीषा अलावा के पति कमल अलावा पिता जस्सू के विरुद्ध न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट धार ने आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है।आपराधिक प्रकरण डॉ स्मृति रत्न मिश्र द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट धार के समक्ष भारतीय दंड विधान की धारा 211 एवं 500 के अंतर्गत प्रस्तुत परिवाद पर संज्ञान लेते हुए उक्त अपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है जिसमें अभियुक्त मनीषा अलावा एवं कमल अलावा को न्यायालय में उपस्थित होने का सम्मन जारी किया गया है ।
क्या है मामला
श्रीमती मनीषा अलावा वरिष्ठ अध्यापक के पद पर शासकीय बालक उमावि केसुर जिला धार में कार्यरत थी। तथा डॉक्टर स्मृति रत्न मिश्र प्राचार्य के पद पर कार्यरत थे।तत्समय अर्धवार्षिक परीक्षा एवं वार्षिक परीक्षाओं में श्रीमती अलावा के कक्ष में बार बार नकल पाए जाने पर प्राचार्य डॉ मिश्र द्वारा अलावा को नोटिस दिए गए थे तथा कार्यवाही प्रस्तावित की गई थी जिस पर कोई कार्यवाही ना हो इस कारण बदले की भावना से श्रीमती मनीषा अलावा ने डॉ मिश्र की फर्जी ,मनगढ़ंत ,मानहानिकारित, जातिगत शिकायतें कलेक्टर ,पुलिस अधीक्षक, अनुसूचित जनजाति आयोग ,मानव अधिकार आयोग ,स्थानीय परिवार समिति आदि सभी जगह की थी। शिकायतों की जांच में डॉ मिश्र को निर्दोष पाया गया था ।श्रीमती मनीषा अलावा एवं उसके पति कमल पिता जस्सू अलावा ने संयुक्त रूप से भी शिकायत की थी ।इन शिकायतों में एवं जांच के दौरान दिए गए कथनों में अनेक मानहानिकारित शब्दों का प्रयोग किया गया था।तत्समय हुई जाँचो मे डॉ मिश्र को निर्दोष पाया जा कर श्रीमती अलावा की शिकायतें असत्य पाई गई थी ।इन शिकायतों से व्यथित होकर डॉ स्मृति रत्न मिश्र ने न्यायालय का सहारा लिया और परिवाद प्रस्तुत किया जिस पर माननीय न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए मनीषा अलावा एवं उसके पति कमल जस्सू अलावा के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
अब क्या
माननीय न्यायालय द्वारा मनीषा अलावा और उसके पति कमल सिंह जस्सू अलावा के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज होने पर इन दोनों को न्यायालय में मुजरिम के रूप में उपस्थित होकर जमानत करवानी होगी और इसके बाद इन पर मुकदमा चलेगा।न्यायालय में दोष सिद्ध होने पर 2वर्ष के कारावास का प्रावधान है।प्रकरण में डॉ मिश्र की तरफ से पैरवी वरिष्ठ अभिभाषक निसार अहमद ने की।
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