आचार्य श्री विद्यासागर जी पर विशेष आवरण जारी हुआ
आचार्य श्री विद्यासागर जी के सँयम स्वर्ण महोत्सव पर श्रवणबेलगोला मे बना भव्य कीर्ती स्तम्भ
आचार्य श्री विद्यासागर जी के सँयम स्वर्ण महोत्सव पर श्रवणबेलगोला मे बना भव्य कीर्ती स्तम्भ
बदनावर - संत शिरोमणि दिगंबर जैनाचार्य 108 श्री विद्यासागर जी महाराज पर भारतीय डाक विभाग द्वारा गुरूवार को विशेष आवरण (स्पेशल कव्हर) जारी किया गया । यह स्पेशल कव्हर विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थ श्रवणबेलगोला के पोस्ट ऑफिस से आचार्य श्री के दिक्षा के 50 वर्ष पुर्ण होने पर देशभर मे मनाये जा रहे सँयम स्वर्ण महोत्सव के अवसर पर जारी किया गया ।
ज्ञातव्य है कि हाल ही में श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) मैं भगवान बाहुबली महा-मस्तकाभिषेक का आयोजन बहुत बडे पेमाने पर विगत 17 से 25 फरवरी के बीच में किया गया था । यह महा मस्तकाभिषेक हर 12 साल में एक बार किया जाता है । जिसमे देश विदेशों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आकर भगवान बाहुबली का मस्तकाभिषेक करने का लाभ लेते है ।
इस अवसर पर भारत के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री सहित कई जानी मानी हस्तियों ने सिरकत करके अपने आप को धन्य माना ।उस समय भी गोमतेश्वर बाहुबली के मस्तकाभिषेक पर एक विशेष कव्हर जारी किया गया था ।श्रवणबेलगोला से सिर्फ 20 दिनो के दरमियान जैन धर्म पर जारी होने वाला यह दूसरा कव्हर है जिसे भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी किया गया है ।जिससे समाज व डाक टिकट सँग्रहको मे काफी हर्ष है ।जानकारी देते हुये दिगंबर जैन समाज के सचिव व डाक टिकट संग्रह कर्ता ओम पाटोदी ने बताया कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज वर्तमान में दि. जैन समाज के सर्वोच्च संत में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं । आपके द्वारा हजारों की संख्या में दिक्षित सन्त, आर्यीका माताजी व त्यागी श्रमण पूरे भारतवर्ष में जैन धर्म की और अहिंसा धर्म की पताका फहरा रहे ।
वर्तमान में आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी से दीक्षित लगभग 108 दिगंबर संत, 182 आर्यिका माताजी और आपके द्वारा ही दीक्षित हजारो की सँख्या मे ब्रम्हचारी भाई - बहने है जो कि धर्म सँस्कृति के उत्थान के कार्य में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं । आचार्य श्री के आशीर्वाद से भारत में सैकडो गौशालाएं एवं स्वावलंबन स्वदेशी मिशन के तहत कई हथकरघा उद्योग संचालित किए जा रहे हैं । जिसमें पूरी तरह अहिंसात्मक रूप से कपड़े का उत्पादन किया जा कर स्वदेशी कि नारा बुलन्द किया जा रहा है । आचार्य श्री की कठिन साधना ओर विशुध्द चर्या को देखते हुये भक्तगण उन्हे "वर्तमान के वर्धमान" कहते है।
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