समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने आज भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा
नरेश अग्रवाल के बड़ बोलों’से बाल-बाल बची भाजपा
नरेश अग्रवाल के बड़ बोलों’से बाल-बाल बची भाजपा
नई दिल्ली : राज्यसभा का टिकट नहीं मिलने से नारात्र समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने आज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया, पर इस मौके पर उनके‘बड़ बोलों’ने भाजपा के ही माथे पर बल ला दिये। हालांकि पार्टी ने बेहद खूबसूरती से उनके विवादास्पद बयान को उनके सामने ही खारिज कर दिया। श्री अग्रवाल और उनके समर्थकों ने यहां भाजपा मुख्यालय में पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं रेल मंत्री पीयूष गोयल और राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ। संबित पात्रा की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। श्री गोयल ने श्री अग्रवाल की प्रशंसा करते हुए कहा कि श्री शाह से चर्चा के बाद वह भाजपा में शामिल हो रहे हैं और उनके कुशल नेतृत्व का लाभ पार्टी को मिलेगा। उन्होंने कहा कि भाजपा श्री गोयल का उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी योगदान लेगी। इस अवसर पर श्री अग्रवाल ने कहा कि किसी राष्ट्रीय पार्टी में रहे बिना सही तरीके से देश की सेवा नहीं की जा सकती इसलिए वह भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बहुत प्रभावित हैं और जिस प्रकार से देश आगे बढ़ रहा है, वह भी अपना योगदान देना चाहते हैं। उन्होंने सपा के साथ अपने संबंध का खुल कर इत्रहार किया। उन्होंने कहा, ‘मैं मुलायम सिंह जी और राम गोपाल जी का साथ कभी नहीं छोड़गा क्योंकि उन्होंने मुझे बहुत इज्त्रत दी। लेकिन सपा के मौजूदा नेतृत्व ने गठबंधन के माध्यम से पार्टी की हैसियत को एक क्षेत्रीय पार्टी से भी नीचे गिरा दी है। कभी वह कांग्रेस और कभी बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन कर रही है। सपा अपने आप से ही समझ रही है कि अब वह नहीं रहेगी।’ उन्होंने सपा से श्रीमती जया बच्चन को फिर उम्मीदवार बनाये जाने पर नारात्रगी व्यक्त करते हुए नाम लिए बगैर कहा, ‘जिस प्रकार से सपा को समाप्त किया जा रहा है और फिल्मों में काम करने वाली से मेरी हैसियत कर दी गयी। फिल्मों में डाँस करने वाली, रोल करने के नाम पर मेरा टिकट काटा गया, उसे किसी ने भी उचित नहीं कहा है।
राजनीति में कई नावों की सवारी कर चुके हैं नरेश अग्रवाल
नरेश अग्रवाल नें अपनी राजनीतिक पारी 1980 में कांग्रेस से शुरु की थी. इसके बाद दल बदलने का और जिसकी सत्ता हो उसके करीब रहने का इतिहास रहा है. कांग्रेस छोड़कर लोकतांत्रिक कांग्रेस बनाई और बीजेपी की कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह की सरकार में मंत्री बने थे.
2002 में मुलायम सिंह की सरकार में शामिल हुए और फिर मुलायम की सत्ता जाते ही बीएसपी का दामन थाम लिया था. 2007 में चुनाव सपा के चुनाव चिन्ह पर लड़ा लेकिन मायावती की सरकार आते ही वो बीएसपी में शामिल हो गए. 2012 में सपा की अखिलेश सरकार के आते ही वो वापस सपा मे आए और राज्यसभा पहुंच गए. अब सपा की सरकार 2017 में चली गई और राज्यसभा नहीं मिला तो बीजेपी में शामिल हुए.
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