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Sunday 4 March 2018

असाधारण व्यक्तित्व का साधारण व्यक्ति :शिवराज

5 मार्च जन्मदिवस पर विशेष

असाधारण व्यक्तित्व का साधारण व्यक्ति :शिवराज 

भोपाल :अजय वर्मा
            साधारण दिखने वाले असाधारण व्यक्ति श्री शिवराज सिंह चौहान 5 मार्च को जीवन के 59 वर्ष पूर्ण कर रहे हैं। उच्च मानवीय गुणों से भरपूर व्यक्तित्व,जीवनपथ,संघर्ष,सफलताओं और समाज-जीवन में उनके क्रियाकलापों ने इस तथ्य को सर्वमान्यता के साथ स्थापित किया है कि जन्म नहीं,कर्म व्यक्ति को महान बनाते हैं। खास मानवीय गुणों के बल पर ही साधारण किसान परिवार की पृष्ठभूमि और ग्रामीण परिवेश वाले आम आदमी ने सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने में सफलता प्राप्त की है। शीर्ष पर बने रहने का कीर्तिमान बनाया है। यह सफलता उनके करिश्माई व्यक्तित्व का परिणाम है। आत्मीय रिश्तों की डोर से जनता को बांध, उस का प्यार प्राप्त किया है। राजनैतिक ,सामाजिक,आध्यात्मिक विषय हो चहुँओर,उनका व्यक्तित्व परिलक्षित होता है। संवेदनशीलता, सहृदयता,सदाशयता, सहजता, सरलता उनके क्रिया कलापों में समान रूप से समाई हुई है। उनका व्यक्तित्व ऐसे सात्विक कार्यकर्ता का है,जो अपने कर्म को ही अपना भगवान मानता है।
    श्री चौहान का व्यक्तित्व अद्भुत है। संघर्षशील व्यक्तित्व है |जिद ,जूनून के साथ संघर्ष का जस्बा जन्मजात है । जिसमे दीन दु:खी की आशाओं अपेक्षाओं को समझने और उनको दूर करने की ललक भी शामिल है | यही कारण था कि जब वे खेतों पर जाने लगे तो सबसे पहले उनको गरीब मजदूरों की मजदूरी की चिंता हुई। इस चिंता ने किशोरावस्था में ही संघर्ष की अग्नि को प्रज्जवलित कर दिया । कमजोर को उसका हक दिलाने के लिए किया गए इस संघर्ष ने उनके जीवन को दिशा देने का कार्य किया और उनके दिल में ऐसी ज्वाला जला दी जो आज भी अपनी पूरी ऊष्मा के साथ जल रही है |इसीलिए आपातकाल के अंधकार में वे लोकतंत्र के प्रहरी के रूप में खड़े हो गये। भोपाल जेल में 1976-77 निरूद्ध रहे।संघर्ष की इस ज्वाला में सुरक्षित भविष्य को अर्पित कर जनसेवा के पथ पर अग्रसर हो गए।
   उनका व्यक्तित्व जीवन की चुनौतियों को आँख में आँख डालकर सामना करने वाला है। पढ़ाई के क्षेत्र में वे सदैव उत्कृष्ट रहे। स्नातकोत्तर की उपाधि स्वर्ण पदक के साथ अर्जित की। सार्वजनिक वक्तव्य कला के प्रारंभिक प्रयास में विफलता से हताश और निराश हुए बिना सर्वश्रेष्ठ वक्ता के रूप में स्थापित होने वाला अतुलनीय व्यक्तित्व है। आज उनके व्यक्तित्व का प्रभावी पहलु उनकी विशिष्ट संवाद क्षमता है। वे सीधी सरल शब्दावली के माध्यम से श्रोताओं के साथ सीधा सम्पर्क स्थापित कर लेते है। उनके भाषण को सुनकर अथवा उनके साथ चर्चा करने वाला अनायास उनके मोहपाश में बंध जाता है। वे अमीरों की बैठक में बिना किसी लाग –लपेट के सीधे-सीधे कह लेते है कि अमीर तो व्यवस्था में एडजस्ट हो जाते है अथवा कर लेते हैं |ये गरीब ही है जिसे सरकार की सबसे अधिक जरूरत है। भौतिक प्रगति की बाते करते हुये वे जीवन में आनंद के विषय को भी शामिल करते है। योग गुरू बाबा रामदेव ने भी एक बार उनकी संवाद क्षमता की सराहना करते हुये कहा था कि श्री चौहान देश के राजनेताओं में कम से कम समय में अधिक से अधिक बात कहने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने कहा था कि एक मिनिट की अवधि में सर्वाधिक प्रमाणिक शब्द बोलने की अद्भुत क्षमता श्री चौहान में है। जनता के साथ सीधा संवाद उनकी नेतृत्व क्षमता का सशक्त आयाम है। पेटलावद दुर्घटना के पीड़ितों के साथ सड़क पर बैठ चर्चा कर उनके घावों पर मलहम लगाने की जीवटता और जोखिम श्री चौहान जैसा जननेता ही अंजाम दे सकता है।
     राजनीति में भी श्री चौहान ने एक ऐसे व्यक्तित्व का निर्माण किया है। जो साधारण सी काया में उच्च मानवीय गुणों से भरपूर दिल और दिमाग रखता है। दिल की हर धड़कन गरीब कमजोर के लिए धड़कती है,तो दिमाग उनकी आशाओं अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए सक्रिय रहता है। यही कारण है कि बाल्यकाल में माताओ, बहनों और बेटियों के साथ होने वाला भेदभाव अथवा पुत्र के प्रति अतिरेक स्नेह प्रदर्शन के प्रसंग की गहरी छाप उनके दिल पर अंकित है। अवसर मिलते ही मस्तिष्क की विचार शीलता महिला सशक्तिकरण के नवाचारों को आकर देंने लगती है |इससे प्रदेश में महिला सशक्तिकरण की ऐसी धारा प्रवाहित हुई है | जिस में लाड़ली लक्ष्मी, विवाह योजना, सरकारी नौकरियों स्थानीय निकायों में महिला आरक्षण जैसे अभिनव कार्यों को अंजाम दिया है ।
     एक राजनेता के रूप में श्री चौहान का व्यक्तित्व अतुलनीय है। राजनीति में शुचिता को स्थापित करने वालों में उल्लेखनीय है। दूसरों की लकीर को छोटा कर आगे बढ़ने के राजनैतिक वातावरण में बिना दूसरे की लाईन की चिंता के खुद की लम्बी लकीर बनाकर राजनीति के शिखर तक पहुंचे हैं। उनकी राजनितिक मान्यतायों में गलाकाट प्रतिस्पर्धा का कोई स्थान नहीं है। वे लाइन छोटी करने में नहीं बड़ी करने में विश्वास करते हैं। राजनीति को सेवा नीति में बदल दिया है। वे कहते है कि प्रदेश की जनता ही उनकी भगवान है। उसकी सेवा कर्म में ही उन्हें नारायण के दर्शन होते है। उनके व्यक्त्वि में सेवा धर्म ही सर्वोच्च है। इसीलिए विपक्ष द्वारा आयोजित पुतला दहन प्रदर्शन में घायल होने वाली ग्वालियर की महिला कार्यकर्ता की सहायता का प्रसंग हो अथवा कोई अन्य अवसर वह स्वयं आगे बढ़कर मदद करते है। वे खुले आम कहते हैं कि मतभेद लोकतांत्रिक व्यवस्था का आधार है। मतभेद हो सकते है, मनभेद नहीं होना चाहिए। इसीलिए सत्ता पक्ष के विधायकों के साथ उनकी वन-टू-वन चर्चा पर जब विपक्ष के विधायक भी वन-टू-वन चर्चा की इच्छा प्रगट करते है तो वे अविलंब उनके साथ चर्चा के लिए तैयार हो जाते है। पक्ष-विपक्ष के जनप्रतिनिधियों की अनुशंसाओं को भी मुख्यमंत्री के विवेकाधीन निधि में समान रूप से सम्मानित किया जाता है।
      श्री चौहान ने आत्मीयता और प्रेम की डोर से सामाजिक रिश्तों को बाँधा है |अभी कुछ दिन पूर्व मीना समाज के कार्यक्रम में कहा भी कि व्यस्तताओं के बावजूद वो प्रेम की कच्ची डोर से बंध कर कार्यक्रम में आये है | यह बात उनके आचरण में भी दिखाई दी केवल पांच –दस मिनट के रुकने का कह कर वह ना केवल एक घंटे से अधिक समय तक कार्यक्रम में उपस्थित रहे ,समाज की मांगो पर खुले दिल से कार्यवाई का भरोसा भी दिया |उनका ऐसा अपनापन समाज के सभी वर्गो,समुदायों और समूहों के प्रति है |यही कारण है , माँ से दोगुना प्यार करने वाले मामा के रूप में उनकी पहचान कायम हुई है |बच्चे तो बच्चे बाप भी उन्हें मामा जी कह कर संबोधित करने लगे है | 
       मुख्यमंत्री श्री चौहान के व्यक्तित्व का सशक्त पहलू व्यापक विचारधारा है। भारतीय ज्ञान दर्शन के मर्म की समझ और चिंतन की क्षमता ने उनके व्यक्तित्व में व्यवहारिकता और आध्यात्मिकता का अनूठा संयोजन किया है। जननेता के रूप में जहाँ एक ओर वे आमजन के भौतिक सुख के लिए प्रयासरत है, वहीं आध्यात्मिक शांति के उपक्रमों पर भी उनका विशेष आग्रह रहता है। आम आदमी के जीवन में आनंद का प्रतिशन बढ़ाने की चिंता भारतीय ज्ञान दर्शन की उनकी समझ का प्रतिफल ही है। विचारों की व्यापकता उनकी रीति-नीति में भी परिलक्षित होती है, जब वे कहते है कि प्रकृति के संसाधनों में सबका समान अधिकार है। किन्तु संसाधनों का दोहन कुछ ही लोग कर पाते हैं। फलत: प्राप्त लाभांश में उनका भी हक है जो इसका दोहन नहीं कर पाते है। उनका यही भाव जरूरतमंद की मदद में दिखता है। फिर चाहे शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग करने की बात हो या सामाजिक जिम्मेदारियों में भागीदारी की श्री चौहान के व्यक्तित्व में वर्ग, जाति और सम्प्रदाय के भेदभाव के लिये कोई स्थान नहीं है। वे कहते भी है कि भारतीय संस्कृति में ये तेरा है ये मेरा है के लिए कोई स्थान नहीं है। यहाँ तो विश्व के कल्याण और प्राणियों में सद्भावना की बात की जाती है। विचारों की ऐसी व्यापकता राजनीति में दुर्लभ ही है।

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