धरोहरों के वीराने थिरकने लगे, नृत्यांगनाओं ने किया नृत्य
संजय शर्मा "संपादक हैलो-धार"
धार -नुपूर की अनुगूंज से बोल उठा मौन। वीरान खण्डहरों के पाषाण भी खोजने लगे रसज्ञ भंगिमाओं के अर्थ। आनंद की सीमाएं स्वतः विस्तृत होने लगी। लावणी के लावण्य से ठुमरी की ठकुराई तक सब ने अपने प्रवाह में बहा दिया चेतना की सम्पूर्ण नकारात्मकता को। जैसे युग ने कालचक्र को उलटा घुमाकर अस्तित्व को पहूॅचा दिया हो अतीत में। कला के गवाक्ष से झाॅकती हुई संस्कृति ने स्पंदित कर दिया जन - जन के मन को। ये संकल्पना साकार हुई जब स्थानीय छत्री परिसर में धरोहर में नृत्य हुए। अवसर था जब विरासत शिक्षा और संरक्षण के लिए कार्यरत इंटेक के 35 वे स्थापना दिवस पर धार चेप्टर द्वारा एक नूतन और अनूठा आयोजन सम्पन्न हुआ।
धरोहर में नृत्य का आरंभ अतिथि प्रसिद्ध आर्किटेक्ट इंजीनियर श्री वल्लभ अग्रवाल और गायक हरजीत सिंह होड़ा द्वारा दीप प्रज्जवलन और माल्यार्पण से हुआ। पहले नृत्य की प्रस्तुति सुश्री प्रियांशी विजयवत ने “ ऊॅ नमः शिवाय “ से आरंभ की। नृत्य और नाद से लगा कि छतरियों में ध्यानस्थ षिव भी अस्तित्व को इस अनहद अनुभूति से तंरगित कर रहे हो। ततपष्चात निकिता भवानी जोशी ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और परम्परागत युवा संगीत के सम्मिश्रण का नयनाभिराम प्रदर्शन किया और जोरदार तालियों अपने नाम की। कभी नृत्य तो कभी ऐतिहासिक छतरियों को निहारते दर्षकों ने तीसरी प्रस्तुति के रुप में तुलजा आशीष दुबे द्वारा प्रस्तुत खड़ी लावणी “ अप्सरा आली “ से वातावरण को एक रंग और नया अहसास प्रदान किया। अगले क्रम में अमिशा संजय सोलंकी की “ मैं राधा तेरी मेरा श्याम तू “ परम्परागत नृत्य की मनमोहक झलक से सम्पूर्ण वागंमय को धर्म और स्नेह से पूरित कर दिया। समापन में सुश्री आॅचल सचान ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की अहम शैली ठुमरी “ लट उलझी मोरी बालमा “ से उपस्थित श्रोता दर्षक समुदाय को मंत्रमुग्ध सा कर दिया। युवा नृत्यांगनाओं ने अपने नृत्य कौषल से धार की भूली बिसरी छतरियों में बड़ी संख्या में सुधीजनों को आकर्षित कर धरोहरों के महत्व को पुनः स्थापित किया और उन्हें अवलोकन के लिए अनुप्रेरित किया। दर्षकों ने धार इंटेक चेप्टर की इस आयोजन के लिए भी विशेेष सराहना की।
धरोहर में नृत्य आयोजन का संचालन पराग भौंसले ने किया। स्वागत भाषण और प्रस्तावना तथा इंटेक का परिचय और धार इंटेक चेप्टर की गतिविधियों से चेप्टर संयोजक डाॅ दीपेन्द्र षर्मा ने अवगत करवाया। कलाकारों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित इंटेक प्रतिनिधि सभा के सदस्य श्री देवेन्द्र रुनवाल ने किया।
संजय शर्मा "संपादक हैलो-धार"
धार -नुपूर की अनुगूंज से बोल उठा मौन। वीरान खण्डहरों के पाषाण भी खोजने लगे रसज्ञ भंगिमाओं के अर्थ। आनंद की सीमाएं स्वतः विस्तृत होने लगी। लावणी के लावण्य से ठुमरी की ठकुराई तक सब ने अपने प्रवाह में बहा दिया चेतना की सम्पूर्ण नकारात्मकता को। जैसे युग ने कालचक्र को उलटा घुमाकर अस्तित्व को पहूॅचा दिया हो अतीत में। कला के गवाक्ष से झाॅकती हुई संस्कृति ने स्पंदित कर दिया जन - जन के मन को। ये संकल्पना साकार हुई जब स्थानीय छत्री परिसर में धरोहर में नृत्य हुए। अवसर था जब विरासत शिक्षा और संरक्षण के लिए कार्यरत इंटेक के 35 वे स्थापना दिवस पर धार चेप्टर द्वारा एक नूतन और अनूठा आयोजन सम्पन्न हुआ।
धरोहर में नृत्य का आरंभ अतिथि प्रसिद्ध आर्किटेक्ट इंजीनियर श्री वल्लभ अग्रवाल और गायक हरजीत सिंह होड़ा द्वारा दीप प्रज्जवलन और माल्यार्पण से हुआ। पहले नृत्य की प्रस्तुति सुश्री प्रियांशी विजयवत ने “ ऊॅ नमः शिवाय “ से आरंभ की। नृत्य और नाद से लगा कि छतरियों में ध्यानस्थ षिव भी अस्तित्व को इस अनहद अनुभूति से तंरगित कर रहे हो। ततपष्चात निकिता भवानी जोशी ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और परम्परागत युवा संगीत के सम्मिश्रण का नयनाभिराम प्रदर्शन किया और जोरदार तालियों अपने नाम की। कभी नृत्य तो कभी ऐतिहासिक छतरियों को निहारते दर्षकों ने तीसरी प्रस्तुति के रुप में तुलजा आशीष दुबे द्वारा प्रस्तुत खड़ी लावणी “ अप्सरा आली “ से वातावरण को एक रंग और नया अहसास प्रदान किया। अगले क्रम में अमिशा संजय सोलंकी की “ मैं राधा तेरी मेरा श्याम तू “ परम्परागत नृत्य की मनमोहक झलक से सम्पूर्ण वागंमय को धर्म और स्नेह से पूरित कर दिया। समापन में सुश्री आॅचल सचान ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की अहम शैली ठुमरी “ लट उलझी मोरी बालमा “ से उपस्थित श्रोता दर्षक समुदाय को मंत्रमुग्ध सा कर दिया। युवा नृत्यांगनाओं ने अपने नृत्य कौषल से धार की भूली बिसरी छतरियों में बड़ी संख्या में सुधीजनों को आकर्षित कर धरोहरों के महत्व को पुनः स्थापित किया और उन्हें अवलोकन के लिए अनुप्रेरित किया। दर्षकों ने धार इंटेक चेप्टर की इस आयोजन के लिए भी विशेेष सराहना की।
धरोहर में नृत्य आयोजन का संचालन पराग भौंसले ने किया। स्वागत भाषण और प्रस्तावना तथा इंटेक का परिचय और धार इंटेक चेप्टर की गतिविधियों से चेप्टर संयोजक डाॅ दीपेन्द्र षर्मा ने अवगत करवाया। कलाकारों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित इंटेक प्रतिनिधि सभा के सदस्य श्री देवेन्द्र रुनवाल ने किया।
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