पिछले निकाय चुनाव के मुकाबले इस बार भाजपा पाॅच हजार मत ज्यादा लाने के बाद भी
144 वोटों से हारी
संजय शर्मा "संपादक हैलो-धार"
धार- यू तो हर चुनाव में मुद्दे और चेहरा अलग-अलग होता है। लेकिन लोकतंत्र के इस चुनाव में कोई हारता है तो कोई जीत का सेहरा बाॅधता हैं। धार नगरीय निकाय चुनाव वर्ष 2012 में भाजपा अध्यक्ष पद प्रत्याशी को कुल 14 हजार मत मिले थे लेकिन इस मर्तबा भाजपा अध्यक्ष प्रत्याशी को लगभग 19 हजार पांच सौ मत मिले। पिछले चुनाव के मुकाबले भाजपा 5 हजार पांच सौ मत आगे रही। लेकिन जीत के सेहरे से मात्र 144 वोट पीछे रह गई।
इस बात पर कोई शक नही कि पिछले पालिका परिषद कार्यकाल में नगर का विकास नही हुआ। चाहे वह रोड़ हो या जल समस्या सभी में भाजपा सफल रही। क्यू हारी भाजपा, यह चिंतन का विषय भाजपा का है। लेकिन राजनीतिज्ञ पंडितों का यह मानना है कि भाजपा अंर्तकलह के कारण हर चुनाव में प्रत्याशी चयन प्रक्रिया में काफी देर कर देती है। अगर भाजपा विकास के नाम पर चुनाव लड रही है। तो फिर हमेशा प्रत्याशी चयन में क्यू देर हो जाती है। धार पालिका चुनाव में काॅग्रेस अपना उम्मीदवार पर्वतसिंह चौहान के रूप में लगभग एक माह पहले ही पेश कर चुकी थी। भाजपा फार्म भरने की अंतिम तारीख के एक दिन पूर्व प्रत्याशी का नाम घोषित कर पाई। वहीं इस मर्तबा गौतम गुट व बुंदेला गुट दोनो एक होकर काॅग्रेस का एकजुटता का परिचय दे रहे थे। वही भाजपा कार्यकर्ता दो गुटों के बॅटे रहे एक भाजपा अधिकृत प्रत्याशी के साथ तो दूसरा बागी प्रत्याशी अशोक जैन के साथ।
एक और एक ग्यारह मुहावरा काॅग्रेंस ने सिद्व किया?
काॅग्रेस धार नगर पालिका में पिछले 17 वर्षो से विपक्ष में बैठी थीं 17 वर्षो का वनवास खत्म करने का एक ही तरीका था सिर्फ मतभेद भुलाकर एक हो जाये। बुन्देला व गौतम गुट एक हुए तो एक और एक ग्यारह हो गये
सबका साथ सबका विकास को सिद्व नही कर पाया भाजपा संगठन?
जब राज्य से लेकर केन्द्र तक भाजपा की सरकार हो तो भाजपा का कौन सा ऐसा कार्यकर्ता होगा वह चुनाव लडकर जनप्रतिनिधि बनकर शहर का विकास कर अपना नाम रोशन नही करना चाहेगा। भाजपा ने जब अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया तो भाजपा के ही वरिष्ठ कार्यकर्ता अशोक जैन ने अपना निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन पंर्चा भरा। पार्टी के पास चार दिन का समय था लेकिन अनुशासन का पाठ पढाते हुए जैन को पार्टी से निष्कासित कर दिया लेकिन अपने साथ नही ले पाई पार्टी को सबका साथ नही मिला वही बागी प्रत्याशी जैन 8 हजार से ज्यादा वोट ले गया। आगामी चुनावी रणनीति में बागयिों को मनाना पार्टी की बडी जिम्मेदारी होगी नही तो परिणाम असंतोषजनक होगें।जिले में जहाँ भी चुनावी परिणाम भाजपा के पक्ष नही रहे वाह बागी ने खेल बिगाड़ा है।
संजय शर्मा "संपादक हैलो-धार"
धार- यू तो हर चुनाव में मुद्दे और चेहरा अलग-अलग होता है। लेकिन लोकतंत्र के इस चुनाव में कोई हारता है तो कोई जीत का सेहरा बाॅधता हैं। धार नगरीय निकाय चुनाव वर्ष 2012 में भाजपा अध्यक्ष पद प्रत्याशी को कुल 14 हजार मत मिले थे लेकिन इस मर्तबा भाजपा अध्यक्ष प्रत्याशी को लगभग 19 हजार पांच सौ मत मिले। पिछले चुनाव के मुकाबले भाजपा 5 हजार पांच सौ मत आगे रही। लेकिन जीत के सेहरे से मात्र 144 वोट पीछे रह गई।
इस बात पर कोई शक नही कि पिछले पालिका परिषद कार्यकाल में नगर का विकास नही हुआ। चाहे वह रोड़ हो या जल समस्या सभी में भाजपा सफल रही। क्यू हारी भाजपा, यह चिंतन का विषय भाजपा का है। लेकिन राजनीतिज्ञ पंडितों का यह मानना है कि भाजपा अंर्तकलह के कारण हर चुनाव में प्रत्याशी चयन प्रक्रिया में काफी देर कर देती है। अगर भाजपा विकास के नाम पर चुनाव लड रही है। तो फिर हमेशा प्रत्याशी चयन में क्यू देर हो जाती है। धार पालिका चुनाव में काॅग्रेस अपना उम्मीदवार पर्वतसिंह चौहान के रूप में लगभग एक माह पहले ही पेश कर चुकी थी। भाजपा फार्म भरने की अंतिम तारीख के एक दिन पूर्व प्रत्याशी का नाम घोषित कर पाई। वहीं इस मर्तबा गौतम गुट व बुंदेला गुट दोनो एक होकर काॅग्रेस का एकजुटता का परिचय दे रहे थे। वही भाजपा कार्यकर्ता दो गुटों के बॅटे रहे एक भाजपा अधिकृत प्रत्याशी के साथ तो दूसरा बागी प्रत्याशी अशोक जैन के साथ।
एक और एक ग्यारह मुहावरा काॅग्रेंस ने सिद्व किया?
काॅग्रेस धार नगर पालिका में पिछले 17 वर्षो से विपक्ष में बैठी थीं 17 वर्षो का वनवास खत्म करने का एक ही तरीका था सिर्फ मतभेद भुलाकर एक हो जाये। बुन्देला व गौतम गुट एक हुए तो एक और एक ग्यारह हो गये
सबका साथ सबका विकास को सिद्व नही कर पाया भाजपा संगठन?
जब राज्य से लेकर केन्द्र तक भाजपा की सरकार हो तो भाजपा का कौन सा ऐसा कार्यकर्ता होगा वह चुनाव लडकर जनप्रतिनिधि बनकर शहर का विकास कर अपना नाम रोशन नही करना चाहेगा। भाजपा ने जब अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया तो भाजपा के ही वरिष्ठ कार्यकर्ता अशोक जैन ने अपना निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन पंर्चा भरा। पार्टी के पास चार दिन का समय था लेकिन अनुशासन का पाठ पढाते हुए जैन को पार्टी से निष्कासित कर दिया लेकिन अपने साथ नही ले पाई पार्टी को सबका साथ नही मिला वही बागी प्रत्याशी जैन 8 हजार से ज्यादा वोट ले गया। आगामी चुनावी रणनीति में बागयिों को मनाना पार्टी की बडी जिम्मेदारी होगी नही तो परिणाम असंतोषजनक होगें।जिले में जहाँ भी चुनावी परिणाम भाजपा के पक्ष नही रहे वाह बागी ने खेल बिगाड़ा है।
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