ऋषिराज महाराज जी का 21 फरवरी जन्मदिन पर विशेष
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संजय शर्मा संपादक
हैलो धार पत्रिका
उज्जैन / धार - बदनावर में जन्मे ऋषि राज महाराज जी विगत 9 वर्ष की उम्र में बाल्यकाल अवस्था में भक्ति वैराग्य ज्ञान मार्ग पर चल निकले बदनावर के बालक आज बन गए ऋषि राज महाराज। बदनावर में बचपन में भक्ति के गीत गा कर एवं हाथ देखकर लोगों को संस्कृति व ज्ञान का प्रचार कर रहे थे जब अंदर से भक्ति जगी तो
गुरुदेव युगपुरुष महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद जी महाराज एवं पूज्य श्री स्वामी त्याग जी महाराज के सानिध्य में हरिद्वार चले गए पहले ब्रह्मचारी की दीक्षा ली उसके बाद कई बारभागवत गीता का ज्ञान एवं प्रवचन करना सीखा गुरुजी से योग ध्यान एवं साधना सिद्धि उसके बाद में समय अनुसार कई आश्रमों की संचालन की व्यवस्था मिली एवं समय अनुसार संत श्री ऋषि राज जी महाराज ने पहले सफेद वस्त्र पहनकर गंगा के किनारे रहे उसके बाद में पीले वस्त्र पहने गुरूजी ने योग्य अनुसार योग्यता देखकर ऋषिराज जी महाराज ने बदनावर वाले भक्तों से मिलकर एवं सभी क्षेत्र के सहयोग से करीब 2 बीघा जमीन में सिंहस्थ कुंभ में अपनी भूमिका निभाई थी।
गुरुदेव महामंडलेश्वर स्वामी शांतिस्वरूपानन्द जी महाराज चारधाम मंदिर उज्जैन पर रहकर सेवा प्रकल्पों का कार्य करने का भी कई वर्षो शुभ अवसर मिला है। वर्तमान में भी चारधाम मंदिर आश्रम उज्जैन गुरुदेव महामंडलेश्वर स्वामी शांतिस्वरूपानन्द जी महाराज का सानिध्य प्राप्त है।
ऋषि राज जी महाराज ने सभी साधु संतों एवं भक्तों के भोजन एवं ठहरने की व्यवस्था करी थी एवं शाही स्नान में शिप्रा के किनारे गुरुजी ऋषि राज जी की योग्यता देखते हुए सन्यास ग्रहण किया वैसे तो देखा जाए तो बदनावर में कम ही रहते थे
ऋषिराज महाराज अनेक जगह भोजन एवं भंडारा किसी भी धर्म आयोजन में ही ज्यादातर जाना आना भक्ति भाव एवं ज्ञान सत्य मार्ग पर ही चलते थे एवं देश के कहीं यात्रा जैसे चार धाम यात्रा एवं देश के विभिन्न भारत भ्रमण कर कर कई आश्रमों के अध्यक्ष एवं कई आश्रमों के संचालन करता रहे जब गुरुजी ने योग्यता देखकर सन्यास एवं ज्ञान पूर्ण हो गई तो आज चारधाम मंदिर उज्जैन मध्यप्रदेश में रहने की सुकृति देखकर आज वही पर रह रहे हैं
संतश्री ऋषिराज जी महाराज बचपन से ही आध्यात्मिक प्रवृति के रहे देश के सभी जगतगुरु शंकराचार्य एवं संतश्री के संपर्क में ऋषि राज जी महाराज रहते हैं एवं
देश के बड़े-बड़े राजनेता ऋषिराज जी महाराज के संपर्क में रहते हैं गुरु के प्रति श्रद्धा एवं भाव उनके अंदर समर्पण है जहां गुरुजी का आदेश हो जाता है वहीं रहते हैं बदनावर में जन्मे ऋषि राजजी महाराज के पिताश्री बापू लाल जी गुर्जर माता का नाम सुना बाई गुर्जर है।
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