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Wednesday 5 August 2020

492 साल बाद राम काज पूरा:होइहि सोइ जो राम रचि राखा, मोदी ने 31 साल पुरानी 9 शिलाओं से राम मंदिर की नींव रखी

492 साल बाद राम काज पूरा:होइहि सोइ जो राम रचि राखा, मोदी ने 31 साल पुरानी 9 शिलाओं से राम मंदिर की नींव रखी

मोदी रामलला के दर्शन करने वाले पहले प्रधानमंत्री बने, 2 बार साष्टांग प्रणाम किया; पहले हनुमान गढ़ी में भी पूजा की, अयोध्या राममय हुई

संजय शर्मा संपादक 
हैलो धार पत्रिका 
          अयोध्या  / 492 साल बाद अयोध्याजी ने अपने इतिहास का पन्ना फिर से पलट दिया है। साल 1528- तब राम मंदिर को ढेर करके यहां बाबरी मस्जिद बना दी गई थी। आजादी के बाद लंबा मुकदमा चला। नौ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। झगड़े की जमीन रामलला की हुई और आज राम काज शुरू हो गया।

              मंदिर आंदोलन लालकृष्ण आडवाणी ने चलाया था, लेकिन प्रधानमंत्री होने के नाते मंदिर निर्माण की नींव रखने का मौका नरेंद्र मोदी को मिला। दिन भी अहम है। 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा था। 5 अगस्त 2020 को मंदिर निर्माण की शुरुआत हुई है। दोनों भाजपा के वादे थे। 5 अगस्त 2021 को क्या होगा, ये किसी को पता नहीं। शायद मोदी ही बता पाएं।

          ...तो लौटते हैं अयोध्या की ओर। मोदी बुधवार सुबह यहां पहुंचे। हनुमान गढ़ी में पूजा करने वाले और रामलला के दर्शन करने वाले वे पहले प्रधानमंत्री बन गए। उनसे पहले इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी अयोध्या पहुंचे, लेकिन रामलला के दर्शन नहीं कर पाए थे।

             मोदी 29 साल बाद अयोध्या आए। इससे पहले वे 1991 में अयोध्या आए थे। तब भाजपा अध्यक्ष रहे मुरली मनोहर जोशी तिरंगा यात्रा निकाल रहे थे और यात्रा में मोदी उनके साथ रहते थे। मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त फैजाबाद-अंबेडकर नगर में एक रैली को संबोधित किया था, लेकिन अयोध्या नहीं गए थे।
रामलला को साष्टांग प्रणाम
            हनुमान गढ़ी में पूजा के बाद मोदी जब राम जन्मभूमि पहुंचे तो सबसे पहले रामलला के दर्शन किए। इसके बाद रामलला को साष्टांग प्रणाम किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ वे मंदिर के भूमि पूजन स्थल पर पहुंचे। वहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और बाकी अतिथि पहले से मौजूद थे। 17 लोगों के लिए बैठक व्यवस्था भी तय थी।
2000 पवित्र जगहों की मिट्टी, 100 से ज्यादा नदियों का पानी
         मोदी के पहुंचते ही पूजन शुरू हुआ। यहां 2000 पवित्र जगहों से लाई गई मिट्टी और 100 से ज्यादा नदियों से लाया गया पानी रखा गया था। 1989 में दुनियाभर से 2 लाख 75 हजार ईंटें जन्मभूमि भेजी गई थीं। इनमें से 9 ईंटों यानी शिलाओं को पूजन में रखा गया। पूजन के बाद मोदी को संकल्प दिलाया गया।
अपनी भेंट कार में भूल गए थे मोदी
          मोदी जब रामलला के दर्शन के बाद भूमि पूजन स्थल पर पहुंचे तो उन्होंने याद आया कि वे एक चीज कार में भूल गए हैं। वे आसन पर बैठने से पहले ही लौटे और अपनी कार की तरफ गए। कुछ ही सेकंड में वे लौटकर आसन पर बैठे। उनके हाथ में चांदी की कलशनुमा भेंट थी। यह पूरे समय उनकी पूजा की थाली में रखी थी। पूजा के दौरान मोदी ने इसे ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव जी को दिया। स्वामी जी ने उसे पूजन के लिए बने गड्‌ढे में रख दिया।
पूजन सामग्री में बकुल की लकड़ी से बना पात्र
         पूजन सामग्री में बकुल की लकड़ी से बना पात्र था, जिसे शंकु कहते हैं। इस लंबे से पात्र में सोना-चांदी समेत नौ रत्न भरे गए। भूमि पूजन के लिए जमीन में जो गड्ढा किया गया, उसके मूल में इसी बकुल के शंकु को रखा गया।

           यह पूजन विधि कांचीपुरम पीठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी महाराज ने बताई थी। इसी के साथ नाग-नागिन का जोड़ा, चांदी की ईंट और पावन जल रखा गया। 32 सेकंड के मुहूर्त में प्रधानमंत्री से पूर्णाहुति करवाई गई, जो ‘करिष्यामि’ कहने के साथ पूरी हुई। पूजन विधि 40 मिनट चली।
175 मेहमानों में 135 संत, सभी को श्रीराम दरबार का रजत सिक्का दिया गया
          कोरोना की वजह से भूमि पूजन समारोह में सिर्फ 175 लोगों को आमंत्रित किया गया। इनमें देश की कुल 36 आध्यात्मिक परंपराओं के 135 संत शामिल हुए। बाकी कारसेवकों के परिवार और अन्य लोगों को निमंत्रण दिया गया था। भूमि पूजन में शामिल होने वाले हर अतिथि को श्रीराम दरबार का रजत सिक्का दिया गया। सिक्का मंदिर ट्रस्ट ने दिया।
मंच पर सिर्फ 5 लोग
            श्रीराम जन्मभूमि परिसर में भूमिपूजन के लिए जो मंच बनाया गया, वहां सिर्फ पांच लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास मौजूद थे।

             योग गुरु बाबा रामदेव, रामभद्राचार्य, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज, मथुरा से मूलक-पीठ के राजेंद्र देवाचार्य, कांची मठ के गोविंद देवा गिरि महाराज, रेवसा डौंडिया के राघवाचार्य, चिदानंद मुनि, सुधीर दहिया कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

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