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Saturday, 2 November 2019

भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता खत्म, भाजपा अब 107, कांग्रेस 115 विधायकों के साथ पूर्ण बहुमत में

भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता खत्म, भाजपा अब 107, कांग्रेस 115 विधायकों के साथ  पूर्ण बहुमत में

कांग्रेस ने साजिश के तहत मेरी सदस्यता रद्द कर दी- प्रहलाद लोधी
पवई में चुनाव आयोग उपचुनाव कराएगा, लोधी बड़ी अदालत में फैसले को चुनौती देंगे
दो दिन पहले विशेष अदालत ने तहसीलदार से मारपीट के मामले में लोधी को दो साल जेल की सजा सुनाई थी
संजय शर्मा संपादक 
हैलो धार पत्रिका 
             भोपाल. -  तहसीलदार से मारपीट और बलवे के मामले में राजधानी की विशेष अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए पन्ना जिले की पवई सीट से भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता विधानसभा ने शनिवार को समाप्त कर दी। साथ ही नोटिफिकेशन की प्रक्रिया कर केंद्रीय चुनाव आयोग को पवई सीट रिक्त होने की सूचना भी भेज दी। गुरुवार को न्यायालय ने लोधी को दो साल की सजा दी थी। इस फैसले की प्रमाणित प्रति शनिवार को विधानसभा पहुंची तो अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कोर्ट के फैसले के पालन में लोधी की सदस्यता समाप्त कर दी। लोधी ने इस फैसले को तानाशाहीपूर्ण बताया है और कहा है कि मुझे इसकी कोई सूचना नहीं दी गई। मैं इस फैसले को बड़ी अदालत में चुनौती दंूगा।       
लोधी पर यह आरोप थे
               लोधी समेत 12 लोगों पर आरोप था कि उन्होंने रेत खनन के खिलाफ कार्रवाई करने वाले रैपुरा तहसीलदार को बीच रोड पर रोककर मारपीट की। बलवा किया। सांसदों-विधायकों के मामले देखने वाली विशेष अदालत ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी।
कांग्रेस ने साजिश के तहत मेरी सदस्यता रद्द कर दी- प्रहलाद लोधी
             प्रहलाद लोधी ने बताया ' मैं जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा तो मुझे मुकेश नायक ने रोका। जीता तो कांग्रेस के लोगों ने ट्रक चढ़ाकर मेरी हत्या की कोशिश की। विधानसभा चुनाव में मैंने मुकेश नायक को 24 हजार वोट से हराया था। मेरे साथ यह बदले की कार्रवाई की गई। आज तक मुझे कोई नोटिस नहीं दिया गया। कोर्ट ने मुझे जमानत दे दी है। 12 दिसंबर तक हाईकोर्ट जाने का मौका दिया, लेकिन इसके पहले ही साजिश के तहत मेरी सदस्यता रद्द कर दी गई। जनता मेरे साथ है। पवई से कोई नहीं जीत सकता। जिसको मैं जितवाऊंगा, वहीं जीतेगा। विधायक मेरा ही बनेगा। मैं ही विधायक बनूंगा। कोर्ट से न्याय मांगूंगा, दिल्ली तक जाऊंगा। '
क्या कहता है नियम... जनप्रतिनिधि को दो साल या इससे ज्यादा की सजा हुई तो वह अपने आप हो जाएगा अयोग्य
               विधानसभा का कहना है कि दि रिप्रेजेंटेशन आॅफ दि पीपुल एक्ट 1951 की धारा 8(3) में स्पष्ट है कि यदि किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या इससे अधिक सजा हुई है तो वह अयोग्य हो जाएगा। सिर्फ दो साल से कम सजा मिलने पर ही अपील, सुनवाई और फैसला होने तक सदस्यता बरकरार रहती है। इसका प्रावधान 8 (4) में है। इसमें 30 से लेकर 60 दिन का वक्त अपील के लिए मिलता है।
ऐसा पहले भी हुआ
               2013 में भैयाराजा की पत्नी भाजपा विधायक आशारानी की सदस्यता हुई थी समाप्त नौकरानी तिज्जी बाई की आत्महत्या के मामले में 2013 में अदालत ने बड़ा मलहरा से भाजपा विधायक आशारानी और उनके पति पूर्व विधायक भैयाराजा को 10-10 साल की सजा सुनाई थी। इसी के बाद आशारानी की सदस्यता समाप्त कर दी गई थी।
 राजनीतिक दुर्भावना से लिया फैसला
            भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय अलोकतांत्रिक और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध है। उन्होंने राजनीतिक दुर्भावना से काम किया। पवई विधायक को  उच्च न्यायालय में जाने का अधिकार है और हम जाएंगे भी।
लोधी को मौका नहीं दिया
             नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को उसका पक्ष रखने का अधिकार है। यह नैसर्गिक न्याय है, लेकिन लोधी को मौका नहीं दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष ने जल्दबाजी की। यह निंदनीय है।
फैसला सरकार को बचाने की कोशिश
              पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को सिर्फ अनुशंसा का अधिकार है। सीट रिक्त तो चुनाव आयोग करता है। लोधी के मामले में अफसरों ने विधानसभा अध्यक्ष को सही जानकारी नहीं दी है। यह राजनीतिक द्वेष के साथ कमलनाथ सरकार को बचाने की कोशिश है।
जो कुछ भी हुआ, नियमों से हुआ : विधानसभा अध्यक्ष
            मप्र विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कहा कि विशेष न्यायालय से प्रहलाद लोधी को सजा हुई है। जैसे ही दो साल की सजा होती है तो संबंधित विधायक की सदस्यता स्वत: ही शून्य हो जाती है। यही प्रावधान है। जो कुछ भी हुआ, वह नियमों के तहत ही हुआ। इसके आदेश जारी कर दिए गए। साथ ही नोटिफिकेशन की प्रक्रिया हो रही है। ’
 राजनीतिक फायदे के लिए फैसला
             पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय एकतरफा है। लोधी को उच्च न्यायालय में अपील करने का अधिकार है। विधानसभा अध्यक्ष विधायकों के संरक्षक होते हैं। यह फैसला एक पार्टी को राजनीतिक लाभ पहुंचाने के लिए लिया गया है।
 सदन की तस्वीर..
              भाजपा : 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी के 109 विधायक थे। झाबुआ उपचुनाव में हार और लोधी की सदस्यता समाप्त होने के बाद अब उसके 107 विधायक बचे हैं।
             कांग्रेस : झाबुआ चुनाव जीने के बाद पार्टी ने 115 विधायकों के साथ बहुमत को छुआ था। अब पवई सीट रिक्त होने से विधानसभा सदस्यों की संख्या घटकर 229 हो गई है। ऐसे में कांग्रेस अब पूर्ण बहुमत में है।

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