झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने भाजपा के भानू भूरिया को 27804 वोटों से हराया
कांग्रेस के कांतिलाल 96155 मत मिले, जबकि भानू काे 68351 वोटों से संतोष करना पड़ा
डाक मतपत्रों में भाजपा को 304, कांग्रेस को 166 वोट मिले
इस बार 62.01% वोट पड़े, पिछले चुनाव से 2.54% कम, महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया
संजय शर्मा संपादक
हैलो -धार पत्रिका
झाबुआ/इंदौर. -झाबुआ में पहली बार हुए विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने भाजपा के भानू भूरिया को 27804 मतों से हरा दिया।इस बड़ी जीत ने जहां कांग्रेसियों को दीपावली से पहले जश्न मनाने का मौका दिया। वहीं, विधानसभा में कांग्रेस को और मजबूती प्रदान की। कांतिलाल के जीतते ही 230 विधायकों वाली मप्र विधानसभा में अब कांग्रेस के 115 विधायक हो गए हैं। कांग्रेस काे 96155 मत मिले, जबकि भाजपा काे 68351 वोट प्राप्त हुए। नोटा को 3088 मत मिले।
झाबुआ विधानसभा उपचुनाव के लिए गुरुवार सुबह 8 बजे से पॉलीटेक्निक कॉलेज में वोटों की गिनती शुरू हुई। सबसे पहले डाकमत पत्रों की छंटनी की गई। इसके बाद ईवीएम खुलीं। पहले रुझान ने तो भाजपा के भानू भूरिया को मुस्कुराने का मौका दिया, लेकिन जैसे ही ईवीएम खुलती गईं, कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया मुस्कुराने लगे। 10 राउंड के बाद तो कांतिलाल की मुस्कुराहट ठहाकों में बदल गई। 20वें राउंड में कांतिलाल 20 हजार से ज्यादा मतों से आगे निकल गए। अंतिम राउंड तक ये लीड 95741 पर जा पहुंची। मतगणना के बाद प्रशासन ने कांतिलाल को 16वें विधायक होने का प्रमाण पत्र साैंपा।
परिणाम के बाद भानू और कांतिलाल भूरिया ने कहा-
भाजपा के भानू भूरिया ने कहा कि पार्टी ने बहुत अच्छे तरीके से चुनाव लड़ा। चुनाव में हमने कहीं भी कोई चूक नहीं की। कांग्रेस प्रत्याशी की जीत 40 साल से जनता के लूटे रुपयाें के चलते हुई है। कांग्रेस सरकार और उनके प्रत्याशी ने भ्रष्टाचार कर जमा धन के बल पर यह चुनाव जीता है। कांतिलाल भूरिया ने कहा कि जनता ने एक बार फिर से मुझ पर विश्वास जताया है, उनके लिए मैं उनका आभार मानता हूं। यह जीत कमलनाथ सरकार के 10 महीनों के काम की जाती है। उनके द्वारा किए गए कामों ने जनता के समक्ष हमें मजबूत बनाया है। फिर चाहे वह किसानों की कर्जमाफी हो या फिर बिजली बिल पर लिए गए निर्णय।
कमनलाथ के 10 महीने के काम पर जनता ने लगाई मुहर
झाबुआ उपचुनाव कांग्रेस-भाजपा दोनों के लिए ही काफी अहम था। इस चुनाव से जहां कमलनाथ सरकार के 10 महीने के कामों का आकलन होना था। वहीं, भाजपा के लिए यह चुनाव विस चुनाव में मिली हार से आगे बढ़ने का एक रास्ता था। कांतिलाल के जीत के साथ ही यह तय हो गया है कि जनता कमलनाथ सरकार के कामों से खुश है और वह सरकार के साथ खड़ी है। भाजपा ने इस चुनाव में किसान कर्जमाफी, बिजली बिल के साथ ही पाकिस्तान तक का जिक्र किया था।
जनता ने छीनी सांसदी पर विधायक का सौंपा ताज
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में झाबुआ सीट पर कांतिलाल भूरिया के बेटे डॉ. विक्रांत भूरिया कांग्रेस से और गुमानसिंह डामोर भाजपा की ओर से प्रत्याशी थे। इस चुनाव में कांग्रेस के जेबियर मेड़ा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, उन्हें 20 हजार से ज्यादा मत मिले, जो कांग्रेस की हार का मुख्य कारण बना। भाजपा के गुमान सिंह को 66558 मत मिले थे, जबकि कांग्रेस के विक्रांत भूरिया को 56161 वोट से संताेष करना पड़ा।
बागी मेड़ा को 20140 वोट मिले। इसके बाद डामोर मई 2019 के लाेकसभा चुनाव में रतलाम सीट से भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी बने और जीत के बाद विधायकी पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद कांग्रेस ने कांतिलाल को अपना उम्मीदवार बताया। इसके पहले कांतिलाल भूरिया यहां से सांसद थे। इस प्रकार जनता ने उनसे सांसद का ताज तो छीन लिया, लेकिन विधायकी की पदवी उन्हें सौंप दी।
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