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Wednesday 25 September 2019

पद्मश्री वाकणकर स्मृति प्रसंग पर संगीत, चित्रकला, लोक गायन और नृत्य की हुई सुमधुर प्रस्तुतियां

पद्मश्री वाकणकर स्मृति प्रसंग पर  संगीत, चित्रकला, लोक गायन और नृत्य की हुई सुमधुर प्रस्तुतियां 

  संस्कार भारती के कला संगम में कलाकारों ने किया प्रभावित  

  संजय शर्मा संपादक 
हैलो धार पत्रिका 
                     धार - मध्यप्रदेश विशेषकर मालवा के कलाकारों ने इतिहास, संस्कृति और कला के क्षेत्र में  अपनी अमिट पहचान स्थापित की है। पुरातत्वविद इतिहासवेत्ता पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर जी उनमें अग्रज रहे हैं। धार शहर में संस्कार भारती संस्था के द्वारा पद्मश्री विष्णु श्रीधर वाकणकर के स्वर्ण जयंती वर्ष को मनाते हुए कला संगम का एक आयोजन किया। जिसमें आयोजन के मुख्य अतिथि संस्कार भारती के मध्य क्षेत्र संगठन मंत्री श्री प्रमोद झा थे।
                  इस अवसर पर श्री झा ने कहा कि पद्मश्री विष्णु श्रीधर वाकणकर के जीवन परिचय को बताया। वाकणकर जी ने भोपाल नागपुर मार्ग पर महाभारत कालीन भीमबेठका नामक स्थान की खोज की। भीमबेटका में बने लाखों वर्ष पुराने भित्तीय चित्रों के आधार पर हिंदुओं के ही मूल भारतीय निवासी होने के बारे में कार्बन डेटिंग के आधार पर पता चला। पद्मश्री विष्णु श्रीधर वाकणकर भारत के प्रसिद्ध पुरातत्व खोजकर्ता रहे तथा उन्होंने भारतीय संस्कृति से जुड़ी कई खोजों को विश्व को बताया है। धार की भोजशाला के इतिहास के मामले में भी वाकणकर जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
                वही भोपाल के पास भीमबेठका में की गई उनकी खोज से ही सिद्ध हो पाया था कि हिंदू संस्कृति मानने वाले भारतीय ही मूल भारत के निवासी हैं। भारतवर्ष के महान वेदों की रचना जिस लुप्त सरस्वती नदी किनारे हुई उस नदी की भी खोज वाकणकर जी का एक और महत्वपूर्ण योगदान है। पहले भ्रामक प्रचार के माध्यम से भारत में रहने वाले लोगों को बाहर से आने वाले आर्य वंशी के रूप में प्रचारित किया गया था , उनकी खोज से ही हर भारतीय आज भारत के लाखो वर्ष पूर्व के गौरवशाली इतिहास का खुद को हिस्सा मानने में गर्व महसूस करता है। श्री वाकणकर जी की स्वर्ण जयंती अवसर पर अनेक सांस्कृतिक आयोजन प्रदेश भर में हो रहे हैं जिनमें धार का आयोजन पहला है । कला संगम की अध्यक्षता संस्कार भारती के नगर अध्यक्ष श्री अतुल कॉलभवर ने की।
                     उद्घाटन समारोह में विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हास्य कवि संदीप शर्मा,  भोज शोध संस्थान के निर्देशक डॉ. दीपेंद्र शर्मा उपस्थित थे।  साहिल खान  समूह की सरस्वती वंदना के बाद संस्कार भारती गीत श्री दीपक खलतकर ने प्रस्तुत किया।  प्रथम चरण में धार के वरिष्ठ संगीतज्ञ श्री देशराज वरिष्ठ ने शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति दी। उनके शास्त्रीय  संगीत ने वातावरण को एक नया आयाम प्रदान किया।  प्रसिद्ध कबीर लोक गायक श्री जगदीश बोरियाला ने अपने कबीर भजनों के माध्यम से कला संगम को लोकस्वर प्रदान किया। 2 घंटे चले इस कला संगम आयोजन में विविध विधाओं के साथ नूपुर कला केंद्र की बालिकाओं ने मनोहारी नृत्य की प्रस्तुति वृषाली देशमुख के मार्गदर्शन में दी।
                      कला संगम में धार क्षेत्र के 12 से अधिक सुविख्यात चित्रकारों की चित्र प्रदर्शनी भी लगाई गई जो विशेष आकर्षण का केंद्र रही। नयनाभिराम रंगोली योगेश गावड़े ने निर्मित की।  संचालन कवि दुर्गेश नागर ने किया। आभार सामाजिक कार्यकर्ता पराग भोंसले में माना। इस आयोजन में योगेष षर्मा, विनोद चैहान, पुप्पजीत भौसले, श्रीमती रूपाली साठे, श्रीमती सीमा गायकवाड़, श्रीमती सुनिता देवासकर, श्रीमती रूची नायकवाड़े आदी का योगदान रहा ।
        कला संगम में क्षेत्र की के प्रमुख हस्तियां विभाग कार्यवाह निखिलेश माहेष्वरी, आशीष बसु, अशोक जैन, अरविंद चैधरी, विष्णु शास्त्री, पार्षद मनीष प्रधान, न.पा. उपाध्यक्ष कालीचरण सोनवानिया, वरिष्ठ पत्रकार एवं नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। इस कला संगम में लोग सपरिवार सहभागी हुए हैं। यह जानकारी मीडिया प्रभारी राकी मक्कड़ ने दी है।

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