आजीविका मिशन की सफल कहानियाँ
ग्रामीण महिलायें बनीं स्वावलम्बी - गाँव हुए खुशहाल
संजय शर्मा "संपादक हैलो-धार
धार, 17 फरवरी, 2018 स्कूल में गुड़-मूंगफली चिक्की देने की राज्य शासन की योजना एक पंथ दोकाज साबित हो रही है। गुड़ और मूंगफली से जहाँ बच्चो का हीमोग्लोबिन बढ़ने से कुपोषण खत्म होता है, वहीं आजीविका मिशन के जरिये स्व-सहायता समूह की महिलाअो द्वारा चिक्की तैयार किये जाने से उन्हें रोजगार भी मिल रहा है। धार जिले में तीन स्व-सहायता समूह चिक्की तैयार कर रहे हैं। तिरला में जय गुरुदेव स्व-सहायता समूह, गंधवानी में धारेश्वर और डही विकास खंड में आजाद आजीविका स्व-समूह को प्रशिक्षण दिलवाकर इनसे गुड़ चिक्की का निर्माण करवाया जा रहा है।
प्रदेशो में प्राथमिक शालाअो के बच्चो को सप्ताह में तीन दिन मंगलवार,गुरुवार अ©र शनिवार को 25 ग्राम चिक्की देने का निर्णय लिया गया है। इन तीनो विकास खण्ड के 853 स्कूलो के लगभग 29 हजार छात्र-छात्राअो के प्रति सप्ताह तीन दिन के मान से लगभग 87 क्विंटल चिक्की वितरित करने के लिए तीनो यूनिट द्वारा निरंतर काम किया जा रहा है। स्व-सहायता समूह द्वारा तैयार करने से चिक्की की लागत ब्राण्डेड उत्पाद से आधी आ रही है। बाजार में चिक्की सामान्यतरू 140 प्रति किलो ग्राम में मिलती है। जबकि स्व-सहायता समूह की महिलाअो द्वारा तैयार चिक्की की लागत 70 रूपये प्रति किलो ग्राम में आ रही है जिसकी स्कूलो में 80 रूपये प्रति किलो ग्राम की दर से आपूर्ति की जा रही है। समूह को 10 रुपये प्रति किल¨ ग्राम की बचत हो रही है।
गों -पालन और ब्यूटीपार्लर से 12,000 रूपये कमा रही है
भावना - धार जिले के ग्राम उमरिया निवासी भावना के पति सुरेन्द्र सिंह बिजली सुधारने और कृषि मजदूरी का काम करते हैं। इससे उन्हें हर महिने मात्र 2 से 3 हजार रुपये की ही आमदनी हो पाती है। इससे भावना को घर चलाना बहुत मुश्किल हो जाता था। एक दिन भावना को जय महालक्ष्मी आजीविका स्व-सहायता समूह की जानकारी मिली। भावना समूह से जुड़ी और अपनी छोटी-मोटी आवश्यकताअो के लिए छोटा-छोटा ऋण लिया। मिशन की सहायता से भावना ने ब्यूटीपार्लर और पति ने डेयरी का प्रशिक्षण लिया। उन्होने वर्ष 2014 में एक गाय खरीदी और प्रतिदिन 7-8 लीटर दूध बेचना शुरू किया। एक वर्ष में ही भावना ने तीन गाय और खरीद ली आज वह प्रतिदिन 20 लीटर दूध बेच रही है। भावना ने वर्ष 2015 में गाँव में ही ब्यूटीपार्लर शुरू किया।
आजीविका मिशन के सहयोग से भावना ने साँची दुग्ध संघ डेयरी भी गाँव मे शुरू की। जिससे दूध आसानी से बिक जाता है। भावना समूह से लिये गये 60 हजार रूपये और बैंक के 20 हजार रुपये के ऋण को भी आसानी से चुका रही है। समूह की मदद से भावना ने पक्का मकान बनवा लिया है। भावना कहती है पैसा बढ़ने से समाज में भी इज्जत बढ़ी है और समूह से जुड़ने के कारण सरकारी योजना का भी लाभ लेना भी आसान लगने लगा है।
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