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Tuesday 13 February 2018

सावित्री के अभिनय और कथानक ने किया सबको प्रभावित जनयोद्धा नाट्य समारोह के नाटकों ने जीता दर्षकों का दिल

सावित्री के अभिनय और कथानक ने किया सबको प्रभावित  जनयोद्धा नाट्य समारोह के नाटकों ने जीता दर्षकों का दिल                
        नाट्य समारोह  
 संजय शर्मा "संपादक हैलो-धार

   धार  - अषिक्षा, असमानता, रुढ़ीवादिता के खिलाफ एक जन आंदोलन का आविर्भाव। स्त्री का एक लाचार स्त्री के प्रति संवेदनषील लगाव। तन से कमजोर महिला का मन से हिमालयी प्रभाव। सामाजिक एक जुटता को बनाये रखते हुए सेवा और समर्पण से मनोऐच्छिक बदलाव। सावित्री के रुप में कमजोर, पीढ़ित और मजबुरों को मिला स्वाभिमान स्वभाव। जीवंत अभिनय सर्वव्यापी कथानक ने किया दर्षकों को बहुविधि प्रभावित। एक नाटक ने पुनर्घाटित किया बीते दिनों का लेखाजोखा। आखिर कैसे एक महिला संघर्षो से निकलकर और विजयी इतिहास रच देती है ये सब साकार रुप में प्रस्तुत हुआ जब जनयोद्धा नाट्य समारोह के दूसरे दिन सावित्री के मंच ने मंचजयी अभिनय से धार के नाट्य इतिहास में एक स्वर्णिम पृष्ठ की अभिवृद्धि की। वर्षो से अनुत्तरित प्रष्नोें स्त्री होना अभिषाप क्यों ? कब तक असमानता मानवता को कलंकित करती रहेगी ? वर्ग भेद में महिलाओं और बच्चों के साथ भेदभाव आखित कब तक ? जैसे प्रष्नों को समाधानकारी जवाब क्रमषः मिलते गये। कभी श्रोताओं की तालियों की बौछार हुई तो कभी नारी पीड़ा ने उपस्थित समुदाय की आॅखें की नम। कभी गुंजे ठहाके तों कभी सिसकियों ने किया षब्दविहीन संवाद। 19 वी षताब्दी के सावित्री बाई फूले के जीवन दर्षन ने 21 षताब्दी को दिये समानता, षिक्षा और नारी संचेतना के मंत्र। मध्यप्रदेष षासन संस्कृति विभाग और स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा प्रतिवर्ष स्वाधीनता संघर्ष और जनचेतना पर केन्द्रित तीन दिवसीय का श्रृंखला के ने नाटक जनप्रियता के नये आयाम स्थापित कर रहे है। धार में स्थानीय संेट टेरेसा स्कूल परिसर में इन महनीय आयोजनों की दूसरी सांझ एक नये वैचारिक सूर्य का उदय करने में समर्थ सिद्ध हुई। स्थानीय सहयोग भोज षोध संस्थान धार का रहा।
अभिनय ने जीता दिल - सावित्री नाटक के कलाकारों ने अपने जीवंत अभिनय से उपस्थित दर्षकों का दिल जीत लिया। सावित्री का सषक्त अभिनय सोनम उपाध्याय ने किया। गोविंदराम की भूमिका में षिवकांत वर्मा का अभिनय प्रभावी रहा। मंच पर अभिनय, कला और संगीत की विजयी पताका पूरे समय फहराती रही। बालकलाकारों ने भी खासा प्रभावित किया। लेखक देवेष षर्मा के कथानक को संगीत से और प्रभावकारिता अनिल संसारे ने प्रदान की।  कलाकारों का सम्मान - नाट्य कलाकारों के परिचय के दौरान लगातार तालियाॅ गुंजती रही। नाटक के अंत में कला समूह त्रिकर्षि के संचालक और सावित्री के निर्देषक श्री के जी त्रिवेदी का सम्मान धार के वरिष्ठ गीतकार श्री बद्रीलाल मालवीय और राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हास्य कवि श्री संदीप षर्मा ने किया। इस अवसर पर संस्थान के पराग भौंसले और रणजीत विषेष उपस्थित थे। कई दर्षक सपरिवार सहभागी हो रहे है। नाटकों के प्रति जनमानस का लगाव उल्लेखनीय है।  चित्र प्रदर्षनी इस अवसर पर स्वाधीनता संग्राम की एक दूर्लभ चित्र प्रदर्षनी ने भी दर्षकों को प्रभावित और आकर्षित किया। धार में पहली बार इस प्रदर्षनी का प्रदर्षन भी हुआ है। स्वाधीनता संग्राम समर के सेनानियों और उनसे जुड़े कई छूऐ अनछूऐ पहलुओं को धार की जनता को देखा और स्वाधीनता आंदोलन को महसूस किया।

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