पंडित प्रदीप मिश्रा ने कोटेश्वर में आयोजित शिव महापुराण कथा के चौथे कहा की किसी को हल्के में व छोटा मत समझो
कोटेश्वर में आयोजित पंचपुष्प शिवमहापुराण कथा में दो दिन में पांडाल 50 हजार वर्ग फीट बढाया
संजय शर्मा संपादक हैलो धार पत्रिका/ हैलो धार न्यूज़ पोर्टल
बदनावर/कोद । आप जिसकी निंदा कर रहे है एक बार उससे जाकर मिलना जरूर कि क्या वो निंदा के लायक है भी की नही। किसी को हल्के में व छोटा मत समझो, यह समय का च्रक है कब किसी को पलट कर दे जिदंगी का भरोसा नही। इसलिए जब तक उस व्यक्ति से आप नही मिल लेते तब तक उसकी निंदा मत करना। उक्त उदगार सीहोर के अंतराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कोटेश्वर में आयोजित पंचपुष्प शिवमहापुराण कथा के चौथे दिन व्यक्त किए।
आपने आगे कहा कि मंदार (आंकड़ा) का पौधा जहरीला हो गया जिसे पशु पक्षी भी नही खाते है। शमी कांटेदार होकर दोनों ही वृक्ष हो गए। जिस जगह पर मंदार और शमी का पौधा 21 वर्ष तक साथ रहेंगे उसकी जड में 33 कोटी देवी देवता विराजित रहेंगे और उस घर में अष्ट सिद्धी नव निधी की कमी नही होगीं गणेश जी कहते है कि मेरी आराधना करने वाले शमी व मंदार का पुष्प, दुर्वा के साथ जिस कामना से लाकर अर्पित करेंगे तो उनकी मनवांछित कामना पूर्ण करूगा।
मंदार में दो कलर के पुष्प होते है उनमें एक आसमानी व दूसरा सफेद। विषम परिस्थिती में फंस कर जब लगने लगे कि कुछ बुरा होने वाला है तब आसमानी फूल लाकर अशोक सुंदरी की जगह छुआ कर शिवजी को समर्पित करदे तो किसी भी प्रकार से अनिष्ट होने का भय नही रहेगा। शमी का फूल गलती से भी शिवजी समर्पित हो जाता है तो वह खडडे में नही गिरता है बल्कि उभर जाता है। शमी की एक पत्ती के अंदर से एक पत्ती तोडने पर उसमें भी बहुत सारी पत्तिया होती है। जो सोमवार की अष्टमी, प्रदोष, शिवरात्रि को एक शमी का पत्ता अर्पित करता है तो जितनी एक पत्ती में पत्तिया होती है, तो 84 लाख योनियांें में उतनी योनियों में जन्म मृत्यु लोक में नही लेना पड़ते है।
पूंजी से किया पुण्य साथ जाएगा लेकिन पूंजी नही।
कोटेश्वर महादेव धाम में मुख्य आयोजक शरद सिंह सिसोदिया ने स्ंांपूर्ण क्षेत्रवासियों के कल्याण हेतु पंचपुष्प शिवमहापुराण कथा का आयोजन किया है। जनसमुदाय आनंद की अनुभूमि प्राप्त कर रहा है। दुर्लभ है भगवान की कथा और मनुष्य का शरीर। आपने कितनी पूंजी कमाई है कोई मतलब नही। आपकी पूंजी से पुण्य कर लो क्योंकि मृत्यु उपरांत पूंजी साथ नही जाएगी। लेकिन पूंजी से किया हुआ पुण्य जरूर साथ जाएगा। जिस तरह बीमा कराने से कुछ लाभ बीमा एजेंट को प्राप्त होता है वैसे ही धार्मिक कार्य में सेवा देेने वालों को भी मिलता है। देवताओं के दानियों में गिनती महादेव की होती है। शिव महापुराण कथा कहती है कि पूजा भक्ति के साथ भाव होना चाहिए। वरना लंकापति के पास सोने की लंका थी लेकिन नीयती साफ नही थी तो परिणाम स्वरूप सर्वनाश हो गया।
बेटी पिता को एवं बेटा माता को प्रिय होता है। मां को लडका प्रिय होता है। बेटी को थोडा सा भी दुख होता है तो पिता सबसे ज्यादा दुखी होता है। बेटी का माता के प्रति स्नेह होता है इसलिए बेटी का मायका कहलाता है। पुत्र एक कुल को सुधारता है जबकि बेटिया दो कुल सुधारती है। बेटियों को इतना ध्यान रखना चाहिए कि उनके माता पिता उन्हें उच्च शिक्षा व आजादी दे रहे है तो बेटी को भी अपने संस्कारों को ध्यान रखते हुए माता पिता को कन्यादान से वंचित मत करनां। भारत की भूमि की बेटिया हो तुम अपने माता पिता को नीचा दिखाना मत। बेटी मांबाप के कहने पर विवाह करे, अनुकूल चले, खूब दोस्ती हो पर संस्कारों से बंधे हो। अपनी बेटियों के प्रति जो आदर, सम्मान का भाव होता है वहीं संपूर्ण विश्व की बेटियों के प्रति भी चाहिए। लोग महिला दिवस मनाते है, पुरस्कार बांटते है, सम्मानित करते है लेकिन सही मायने में सर्वश्रेष्ठ महिला दिवस तब मनेगा जिस दिन भारत की बेेटिया किसी भी रास्ते से आनंद के साथ निकले, किसी की गलत दृष्टि ना पडे।
सरकारी उचित मूल्य की जो दुकान होती है, जहां शक्कर, चावल, घासलेट मिलता है। महीने के अंदर एक से तीस तक दिया जाता है। मना नही करेंगे महीना बीत जाने के बाद तुम कार्ड लेकर जाओगो तो कुछ नही मिलेगा क्योंकि महीना निकल चुका होता हेै उसी तरह बचपन,जवानी,बुढ़ापा निकल गया और अंत समय वैंकुठ धाम मांगोगे तो नही मिलेगा ये सब निर्धारित समय सिमा मेें किये गये कर्माे से ही मिलना है। संसार के किसी भी व्यक्ति में इतना सामर्थय नही है कि वह पूंजी लेकर अपने साथ वैकुठ में चले जाए। ना आप, ना हम और ना ही संसार का कोई व्यक्ति। देवता दूसरो को खिलाते है, बांटकर खाते है और राक्षस स्वयं खाते है। हम दूसरों के लिए अच्छा मांगने का प्रयास करेंगे तो हमारा अपने आप अच्छा हो जाएगा।
वर्षा का समय आए तो एक बिल्वपत्र का पेड जरूर लगाए, ताकि जो भी इसकी छांव में ंजाएगा तो उसका पुण्य आपको मिलेगा। घर के बाहर सीधे हाथ पर एक छोटा सा शमी का पौधा लगाया जाए। प्रतिेदिन देखकर निकलेगो तो सब कार्य सफल होंगे। शमी में शनि भी है, गणेश भी है और शिव भी है।
चौथे दिन कथा में ये रहे उपस्थित
स्व शिवकुमार सिंह सिसोदिया एवं ओमप्रकाश पांडे की स्मृति में आयोजित पंचपुष्प श्री शिवमहापुराण कथा में आयोजक शरदसिंह सिसोेदिया, परिजन के साथ देपालपुर विधायक विशाल पटेल, खाचरोद विधायक दिलीप गुर्जर, पूर्व सांसद गजेन्द्रसिंह राजुखेडी, नपं अध्यक्ष मिना शेखर यादव,उपाध्यक्ष राजेन्द्रसिंह, कमल किशोर पाटीदार, प्रभा गोतम,कुलदीप बुंदेला, मनोज सिंह गोतम, कमलसिंह पटेल, ममता पाटीदार, पाटीदार समाज के प्रांतीय अध्यक्ष कृष्णा पाटीदार आदि ने कथा में शामिल होकर आरती लाभ लिया।
दो दिन में पांडाल 50 हजार वर्ग फीट बढाया।
चौथे दिन श्रद्धालुओं की संख्या बडकर डेढ लाख पार हो गई। चौथे दिन भी पांडाल बढाया गया।सोमवार को तापमान भी अधिक रहा, श्रद्धालू अपने अपने साधनों से हवा करते नजर आए। बढाये गये पांडाल के बाद भी लोग यंहा वंहा बैठकर कथा सुनते रहे। सोमवार को पंडित मिश्रा एवं कथा आयोजक शरदसिंह सिसोदिया का पाटीदार समाज, राजपूत समाज,त्रिवेणी धाम शिव मदिर समिति कडौदकलां सहित अनेक संगठन ने साफा बांधकर स्वागत किया। यह जानकारी आयोजन समिति के मीडिया प्रभारी गोवर्धनसिंह डोडिया खिलेडी ने दी।
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