मनुष्य जन्म मे बाधाये एवं झंझट बहुत है लेकीन मनुष्य योनी मे ही परम पिता परमेश्वर से साक्षातकार होता है -संत प्रभुजी नागर
संजय शर्मा संपादक
हैलो धार पत्रिका/ हैलो धार न्यूज़ पोर्टल
बदनावर /संदला - सनातनी संस्कृती के पोषक गौ भक्त परम पुज्य संत प्रभुजी नागर ने ग्राम संदला मे भागवत कथा के तिृतीय दिवस खचा खच भरे श्रोताओ के बिच पांडाल को और अधीक बडाना पडा श्रोताओं का ताता निरंतर बडता ही जा रहा है। आज आस पास के अन्य जिलो से भी श्रोताओ का आगमन बड रहा है। भागवत कथा का महत्व सरल शब्दो मे बताया अपने प्रवचन मे
संत श्री ने कहा की मनुष्य योनी ही एक ऐसी योनी हे जिसमे भगवत गीता कि प्राप्ती होती है। अन्य जिव को बस दो ही कष्ट रहते है। एक तो भुख और दुसरा भय। परंन्तु मनुष्य को कई प्रकार के कष्ट रहते है। क्योकी मन बडा चंचल रहता है। जो आसानी से भोगविलास मे पड कर भजन नही करता है। संसार सागर को पार करने के लिये संसारी बनना ही पडता है। जिस प्रकार आकाश मे उडने के लिये पक्षी जेसा बनना पडेगा और पानी मे तेरना हे तो मछली जेसा ही बनना पडेगा।
संत श्री ने मनुष्य जन्म मे बाधाये एवं झंझट बहुत है लेकीन मनुष्य योनी मे ही परम पिता परमेश्वर से साक्षातकार होता है। भगवत प्राप्ती के लिये अपनी सारी ईद्रीयो को वश मे करके भगवत प्राप्ती का लक्ष्य बनाना चाहीये। गंगा मैया तो सिर्फ पाप धो ती है लेकीन श्रीमद् भगवत गीता मनुष्य के पापो के साथ विकारो को भी धो ती है। इससे बचने का और ईश्वर के प्रति आस्था और विश्वास रखने का श्रृद्धलुओ से अनुरोध किया बिच बिच मे
संत श्री द्वारा सुंदर मधुर भजनो जैसे प्रभु तेरा द्वार ना छुटे, छुट जाये संसार प्रभु तेरा द्वार ना छुटे रे सदा सुहागन द्वार तुम्हारे डेली पुजे रे डेली छोड कर जो कोई जावे के भजन से उपस्थीत जन समुदाय झुम उठा। यजमान 6 परिवारों द्वारा रात को रूके हुऐ श्रृद्धालुओ की निशुल्क भोजन कि व्ययस्था कि गई है। उक्त कार्यक्रम मे किसी भी प्रकार का कोई चंदा नही लिया गया है।
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