लॉकडाउन के चलते औद्योगिक नगरी पीथमपुर से हजारों की संख्या में मजदूर पैदल अपने गांव के लिए पलायन
संजय शर्मा संपादक
हैलो धार पत्रिका
धार- कोरोना वायरस के महा संक्रमण अन्य लोंगो में न फैले, सुरक्षा की दृष्टि से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्पूर्ण भारत को लॉकडाउन किया है यह देश हित में सराहनीय कदम है। लेक़िन मध्यप्रदेश की औद्योगिक नगरी पीथमपुर की आबादी 2 लाख से ज्यादा है, यहां पर हजारों फैक्ट्रियां है, जिसमें ग़रीब व मध्यमवर्गीय परिवार के एक लाख से ज़्यादा लोग दो वक्त की रोटी बड़ी मुश्किल से जुटा पाते है। इस औद्योगिक क्षेत्र में देश के क़रीब 10 राज्यों के लोग मजदूरी करने आते हैं।
अचानक बंद का ऐलान होने से सभी फैक्ट्रियां बंद कर दी गई और उन्हें कहा गया कि अपने घर चले जाओ लेक़िन अब किराये के मकान में रहे तो वह बेरोजगार परिवार दो वक्त की रोटी भी नहीं जुटा पा रहा है। साथ ही हर सामान महँगा मिल रहा हैं। मजदूर अपने गांव वापस जाना चाहता है तो कोई वाहन नही मिल रहे हैं। वह अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ सैकड़ों किलोमीटर सिर पर सामान लादकर चल रहा है। और यही हाल गुजरात में धार - झाबुआ जिले के आदिवासी लोगों का वह गुजरात के कई जिले से पैदल मध्यप्रदेश की ओर पलायन कर रहे है। यह देखकर हर किसी का मन विचलित हो सकता है। ऐसा लगता है कि जितने लोग कोरोना से नही मरेंगे उससे ज्यादा तो भुखमरी से मर जाएंगे?
मध्यप्रदेश सरकार व जिला प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। भुखमरी के कारण कहीं जाने अनजाने में कोई बड़ा अपराध नही कर बैठे? सामाजिक कार्यकर्ता और संगठनों से भी यह निवेदन है कि इन बेकसूर लोगो की मदद कर इन्हें वाहन ओर पेट की भूख मिटाने के लिए आगे आए। वर्तमान समय में मध्यप्रदेश का मौसम भी बिगड़ा हुआ है कहीं पानी के साथ ओलावृष्टि, कही तेज रफ्तार से हवा चल रही हैं।
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