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Sunday 22 April 2018

डॉ भय्यूजी महाराज ने नर्मदा नदी के मौजूदा हालातों पर एक विस्तृत रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी.

डॉ भय्यूजी महाराज ने नर्मदा नदी के मौजूदा हालातों पर एक विस्तृत रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी.

संजय शर्मा 
हेलोधार न्यूज़ पोर्टल 
           भोपाल- भय्यूजी महाराज ने नर्मदा नदी के मौजूदा हालातों पर एक विस्तृत रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। इसमें उन्होंने साफ कर दिया है कि नर्मदा के कैचमेंट में तेजी से हो रही वनों की कटाई से खतरनाक स्थिति बन रही है। कई इलाके उजाड़ हो गए हैं। इतना ही नहीं, अमरकंटक की पहाड़ियों से नीचे आने के दौरान ही नर्मदा प्रदूषित हो रही है। डिंडोरी में नदी की स्थिति चौंकाने वाली है। भय्यूजी महाराज ने यह रिपोर्ट तब दी है, जब उन्होंने सार्वजनिक रूप से राज्यमंत्री का दर्जा नहीं लेने की बात की। इस बारे में उनका कहना है कि वे सिस्टम में रहकर नहीं, बल्कि सिस्टम के साथ काम करना चाहते हैं। 
        यह रिपोर्ट उनके काफी वक्त पहले से चल रहे अध्ययन से जुड़ी है, जो उन्होंने तीन दिन पहले ही सरकार को सौंपी है। इसमें सभी पैरामीटर की पड़ताल की गई है, जिससे नर्मदा नदी प्रभावित हो रही है। बहरहाल, भय्यूजी महाराज की रिपोर्ट को लेकर शासन ने फिलहाल कुछ भी नहीं कहा है।रिपोर्ट में बताया कि नर्मदा का पानी ‘बी’ कैटेगरी का हो गया है, जिसे सीधे नहीं पिया जा सकता। इसमें उन्होंने ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टेंडर्ड 2296 के प्रावधानों का भी जिक्र किया है 
ऐसे बचाई जा सकती है नर्मदा
.  नर्मदा नदी के कैचमेंट में जो भी कोर एरिया हैं, उनको संरक्षित करने के साथ बढ़ाना होगा। 
.  बायोस्फियर के साथ एग्रीकल्चर लैंड में इजाफा करना होगा। 
.  ग्राउंड वाटर रीचार्ज की राह पर चलने के साथ नर्मदा के किनारे निर्माणों को रोकना होगा। 
.  पहाड़ों की मिट्टी को कटने से रोकने के साथ उसे नदी में न जाने दिया जाए। 
.  नर्मदा की 41 सहायक नदियां हैं। इन्हें जोड़ने के साथ ग्राउंड वाटर बढ़ाने व बारिश के पानी के इस्तेमाल के लिए नालों को जोड़ा जा सकता है। 
. शुष्क भूमि में जिस तरह से खेती होती है, वही पैटर्न अपना होगा। नई तकनीक से खेती करने के लिए किसानों को प्रेरित करना होगा। 
. स्थानीय आदिवासियों को जागृत करने के साथ घरेलू और विदेशी पर्यटकों को भी पौधरोपण करने के लिए प्रेरित किया जाए। 
. ‘नक्षत्र वन’ नर्मदा के तटीय क्षेत्र में बनाने होंगे। 
. धार्मिक और ईको टूरिज्म को बढ़ावा देना होगा। नदी के किनारे आश्रम बनें तो अच्छा होगा। 
. मनरेगा से तटीय इलाकों में काम कराया जा सकता है।

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