धन को धर्म से जोड़े, आपकी जय-जयकार होगी- पूज्या जयाकिशोरीजी
श्रीमद् भागवत कथा का चौथा दिन कलमखेड़ी में कथा के दौरान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मना
संजय शर्मा "संपादक हैलो-धार
धार। विद्यार्जन से नम्रता आती है। यहां से धर्नाजन का मार्ग खुलता है। धन हो तो उसे धर्म से जोड़े। सेवा कार्यों से जोड़े। फिर देखना चारों और आपकी जय-जयकार होगी। दुख, संकट प्रभु के मारे गए पत्थर होते हैं। लोग आज-कल पर्वत गिरने पर भी परवाह नहीं करते हैं। प्रभु संकट देकर हमें चेतना दिलाते हैं, कर्तव्य याद दिलाते हैं। सद्मार्ग, सत्कर्म करने का इशारा करते हैं। कुछ इस तरह से सोमवार को संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कथा वाचक पूज्याश्री जयाकिशोरी जी ने दान, धर्म का महत्व बताया। इसके लिए उन्होंने राजा परीक्षित, राजा इंद्र को मिले ऋषि दुर्वासा के श्राप, राजा बली और वामन अवतार के प्रसंग सुनाकर बुद्धि से धन, धन से धर्म और अहंकार से दूर रहने के लिए कहा।
कोठड़ी में जन्में, नंद घर जन्मोत्सव मना सुजानगढ़ राजस्थान की कथावाचक पूज्या जयाकिशोरीजी के मुखारविंद से भागवत कथा के चौथे दिन श्रीनारायण सेवा संस्थान उदयगढ़ द्वारा गरीब, मंदबुद्धि और बीमार जरूरतमंद बच्चों के आॅपरेशन के लिए चलाए जा रहे सेवा प्रकल्प में श्रद्धालुओं ने सेवा दान में राशि भेंट की। कुछ ग्रामीणों ने एक-एक बच्चे के आॅपरेशन का खर्च उठाया। तो कई श्रद्धालुओं ने सहायता के तौर पर संस्थान को राशि भेेंट की। पूज्या जयाकिशोरीजी द्वारा श्रीमद् भागवत कथा के वाचन में मुख्य तौर पर श्री नारायण सेवा संस्थान के लिए दान राशि जुटाकर जरूरत मंदों की संस्थान के माध्यम से मदद करना मुख्य लक्ष्य रहता है। इधर सोमवार को कथा के दौरान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव भी मनाया गया। काल कोठड़ी से देवकी पुत्र श्रीकृष्ण के मथुरा में नंद के घर पहुंचने तक का वृतांत सुनाया गया। श्रीकृष्ण के जन्म पर उत्सव के दौरान माखन, मिश्री का प्रसाद वितरित किया गया। ‘तेरे द्वार खड़ा भगवान, भगत भर दे रे झोली’ इस भजन की प्रस्तुति के माध्यम से वामन अवतारधारी भगवान द्वारा राजा बली से यज्ञ के दौरान दान में इंद्र के लिए गए तीनों लोक वापस लेने का वृतांत सुनाया।
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