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Friday 26 June 2020

नर्सरी के पौधे वाटर शेड के प्लांटेशन में इस्तेमाल कर लिए जाए- कलेक्टर आलोक कुमार सिंह

   नर्सरी के पौधे वाटर शेड के प्लांटेशन में इस्तेमाल कर लिए जाए-  कलेक्टर आलोक कुमार सिंह

घाटी है तो जगह के हिसाब से पौधों का चयन करना

संजय शर्मा संपादक 
हैलो धार पत्रिका 

       धार - सुनो महाराज,पौधों की देखभाल बच्चों की तरह की जाती है,थोड़ी सी लापरवाही से इनका जीवन संकट में पड़ जाता है, कलेक्टर आलोक कुमार सिंह के उलाहना भरे स्वर सरदारपुर नर्सरी प्रभारी के प्रति थे। नर्सरी के अवलोकन के दौरान जामुन के पौधों में पर कीड़े लगे देख कलेक्टर ने यह बात कही। पूछताछ के दौरान जब यह पता चला कि नर्सरी के लगभग साढे चार हजार पौधों का कोई खरीदार नहीं मिला है और वे अपनी पूरी बढ़त पा चुके हैं तब कलेक्टर ने नाराजगी जाहिर करते हुए यहां मौजूद जिला पंचायत के एपीओ गणेश सेन को निर्देश दिए कि यहां के पौधे वाटर शेड के प्लांटेशन में इस्तेमाल कर लिए जाए। मजदूरों से चर्चा कर कलेक्टर ने समय पर पूरा भुगतान मिलने की कैफियत ली। उप संचालक उद्यानिकी केआर मंडलोई साथ थे। उन्होने बताया फिलहाल यहां 40 हजार पौधे उपलब्ध हैं। यह पौधे आम,जामुन, आंवला,अमरूद और आर्नामेंटल हैं। इसके अलावा एक लाख और पौधे लगाने की योजना को स्वीकृति मिली है। इसे मनरेगा से लगाया जाएगा। नर्सरी के कुल क्षेत्रफल ढाई हेक्टेयर है।
घाटी है तो जगह के हिसाब से पौधों का चयन करना
तारा घाटी पर चल रहे मृदा और जल संरक्षण प्रोजेक्ट का कलेक्टर ने किया निरीक्षण
           मालवा को निमाड़ से जोड़ने वाली सरदारपुर जनपद की तारा घाटी पर मृदा और जल संरक्षण का एक बड़ा प्रोजेक्ट चल रहा है। एक ही साल में इस पहाड़ी के 2475 मीटर पर कंटूर बनाए जा चुके हैं, जबकि 1200 मीटर की बोल्डर वाल भी तैयार है। शुक्रवार को कलेक्टर आलोक कुमार सिंह ने तारा घाटी पर चल रहे प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया तो पहाड़ी इलाका देख बोल पड़े, जगह ढाल मिट्टी देख कर ही पौधों की प्रजाति का चयन करना।
                  जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी संतोष वर्मा ने बताया कि नर्मदा पुनर्जीवन, मृदा और जल संरक्षण का प्रोजोक्ट काफी बड़ा है, जिसकी लागत करीब 8 करोड़ रुपए है। इस प्रोजेक्ट को 5 वर्ष में पूरा करना है, जबकि पहले ही साल में लगभग 30 फीसदी काम हो चुका है। सरदारपुर जनपद की सब इंजीनियर बबीता राज के अनुसार कोरोनावायरस के बीच लॉकडाउन के चलते भारी बेरोजगारी में जीवन यापन कर रहे आदिवासी लोगों को तारा घाटी प्रोजेक्ट से बड़ा रोजगार मिला है। इस वर्ष 9200 मानव दिवस में 2475 मीटर पर कंटूर, 1200 मीटर पर बोल्डर वाल, 980 मीटर की फील्ड बंडिंग के अलावा 600 पौधे रोपे जा चुके हैं जबकि 400 पौधे रोपने की तैयारी हो चुकी है. साथ ही 1000 से ज्यादा बीज का रोपण भी किया जा रहा है।

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