महिला एवं बाल विकास विभाग धार की सराहनीय पहल "पोक्सो और जेजे एक्ट बाल विवाह पर अभिमुखिकरण सह प्रशिक्षण आयोजित"
संजय शर्मा संपादक
हैलो धार पत्रिका
धार - महिला एवं बाल विकास विभाग धार एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा बाल कल्याण समिति, चाइल्ड लाइन, बाल गृह के सहयोग से बाल कल्याण समिति के सदस्यगण,पैरालीगल वालिंटीयर,चाइल्ड लाइन,विभाग की बाल संरक्षण इकाई के स्टाफ , शिक्षा विभाग तथा बाल गृह के स्टाफ के लिए पाक्सो एवं जे.जे एक्ट पर अभिमुखिकरन सह प्रशिक्षण आयोजित किया गया।
अभिमुखीकरण कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए श्रीमति भारती दांगी (एडी ) ने अपनी बात प्रतिभागियों के साथ साझा करते हुए कहा कि पोक्सो एवं जे जे एक्ट को बच्चो के मद्दे पर काम करने वालो के साथ साथ आमजन को भी समझना आवश्यक हो गया है आपने कहा कि बाल संरक्षण के मुद्दे को हमें गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ समझने और इस पर काम करने की जरुरत है जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और महिला बाल विकास विभाग साथ मिलकर कुछ आगामी कार्योजना पर भी सकारात्मक रूप से सक्रियता के साथ काम कर रहे है।
यूनिसेफ मध्यप्रदेश के प्रतिनिधी एवं बाल मुद्दों के विषय विशेषज्ञ अमरजीत सिंह द्वारा पोक्सो एक्ट पर चर्चा करते हुए बताया गया कि पोक्सो एक्ट 18वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चो चाहे वो लड़की हो या लड़का जिनके साथ किसी भी प्रकार का लैंगिक शोषण हुआ हो या करने का प्रयास किया गया है वो इस क़ानून के दायरे में आते है ।ये क़ानून लिंग निरपेक्ष है तथा इसके अंतर्गत आने वाले मामलो की सुनवाई विशेष न्यायालयो में होती है इसमें विशेष बात है कि इसमें आरोपी को सिद्ध करना पड़ता है कि उसने अपराध नहीं किया है पीड़ित को इसमें कुछ भी साबित करने की आवश्यकता नहीं है पोक्सो एक्ट 9 भागो में है जिसमे धारा 1 से धारा 46तक समाहित है।
जे जे एक्ट पर प्रतिभागियों को बताया कि जे जे एक्ट 10 भागो में विभक्त है इसमें धारा 1से धारा 112 को शामिल किया गया है
जो भी बच्चा श्रम क़ानून का उलंघन करते हुए,भीख मांगते हुए,सड़क पर रहते हुए,बिना घर के,बिना जीविका, मानसिक व शारीरिक रूप से विशेष जरुरत वाले,जिनके साथ अत्याचार- दुर्व्यवहार-शोषण हुआ हो,नशीली दवाओ में संलिप्तता तथा अल्प आयु में जिसका विवाह (बाल विवाह )कर दिया जाता है वो सभी बच्चे जे जे एक्ट के अंतर्गत शामिल है
जे जे एक्ट को लागू कराने में जेजे बोर्ड और बाल कल्याण समिति की महत्वपूर्ण भूमिका है चाइल्ड लाइन के माध्यम से या सीधे आये हुए प्रकरनों पर समिति अपने विवेकानुसार तथा विधि सम्मत निर्णय ले सकती है लेकिन उसमे बच्चे के सर्वोत्तम हित के सिद्धांत को ध्यान में रखना आवश्यक है
चाइल्ड लाइन टीम के सदस्यों ने अपने फ़ील्ड के अनुभव साझा किये तथा पैरालीगल वालिंटियर और विभाग की बाल संरक्षण ईकाई के सदस्यों ने अपनी जिज्ञासाओ का समाधान भी प्रश्नोत्तरी सत्र के दौरान किया।
कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन मेघा दुबे,जिला समन्वयक, ममता संस्थान( यूनिसेफ समर्थित) द्वारा किया गया ।
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