मोदी से मिलने के बाद सिंधिया का कांग्रेस से इस्तीफा; भाजपा राज्यसभा टिकट देगी, मंत्री भी बनाए जा सकते
सिंधिया के इस्तीफे के बाद उनके गुट के 14 विधायकों ने भी विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा भेज दिया
विधायकों के इस्तीफे स्वीकार होने पर कमलनाथ सरकार के पास विधानसभा अध्यक्ष को छोड़कर 106 विधायकों का समर्थन रहेगा
भाजपा के पास 107 विधायक हैं, 16 मार्च को शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में कमलनाथ के लिए सरकार बचाना मुश्किल होगा
संजय शर्मा संपादक
हैलो धार पत्रिका
नई दिल्ली/भोपाल- करीब 22 घंटे की ना-हां, हां-ना के बाद आखिरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया का इस्तीफा आ ही गया। होली के दिन दोपहर 12.10 बजे सिंधिया ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से अपने इस्तीफे की चिट्ठी ट्वीट कर दी। हालांकि ये चिट्ठी 9 मार्च को ही लिख ली गई थी। इसके महज 20 मिनट बाद ही कांग्रेस ने सिंधिया को पार्टी से बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया। इसके 5 मिनट बाद ही 12.35 बजे सिंधिया समर्थक 14 विधायकों ने अपना इस्तीफा विधानसभा को ईमेल कर दिया। ये सभी विधायक सोमवार से ही बेंगलुरू में हैं। अभी कुछ और भी विधायक इस्तीफा दे सकते हैं।
इस्तीफे में लिखा- कांग्रेस में रहकर काम नहीं कर पाऊंगा
सिंधिया ने इस्तीफे में लिखा-
‘‘डियर मिसेज गांधी, मैं पिछले 18 वर्षों से कांग्रेस पार्टी का प्राथमिक सदस्य हूं। अब वक्त हा गया कि मुझे नई शुरुआत के साथ आगे बढ़ना चाहिए। मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा दे रहा हूं और जैसा कि आप जानती हैं, यह वह रास्ता है, जो पिछले वर्ष खुद बनना शुरू हो गया था। हालांकि, जन सेवा का मेरा लक्ष्य उसी तरह का बना रहेगा, जो शुरुआत से ही हमेशा रहा है, मैं अपने प्रदेश और देश के लोगों की उसी तरह से सेवा करता रहूंगा। मुझे लगता है कि मैं आगे यह काम इस पार्टी (कांग्रेस) में रहकर करने में सक्षम नहीं हूं। अपने लोगों और अपने कार्यकर्ताओं की भावनाओं को प्रदर्शित करने और उसे जाहिर करने के लिए, मुझे लगता है कि यह सबसे अच्छा होगा कि मैं आगे की ओर देखूं और एक नई शुरुआत करूं। मुझे देश सेवा के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए मैं आपको बहुत धन्यवाद देता हूं और आपके माध्यम से कांग्रेस पार्टी के मेरे साथियों को भी धन्यवाद देता हूं।’’
सादर,
आपका ज्योतिरादित्य सिंधिया।
अल्पमत में कमलनाथ सरकार
14 विधायकों के इस्तीफा भेजने के बाद कमलनाथ सरकार संकट में आ गई है। इस्तीफे स्वीकार होने की स्थिति में कांग्रेस के पास सिर्फ 100 विधायक रह जाएंगे, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष भी शामिल हैं। फिलहाल कमलनाथ सरकार के पास 4 निर्दलियों समेत सपा के एक और बसपा के 2 विधायकों का समर्थन है। ऐसे में कमलनाथ के पास 106 विधायकों का समर्थन होगा। अभी भाजपा के पास भी 107 विधायक हैं। 16 मार्च को शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में अगर भाजपा अविश्वास प्रस्ताव लाती है, तो कमलनाथ के लिए सरकार बचाना मुश्किल होगा।
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