जब हमारे मन की कोई बात होती है तो अच्छा है और यदि नही होती है तो और अच्छा है क्योंकि यही भगवान की इच्छा है - जया किशोरी
कलम खेड़ी का निकुंभ परिवार धार में करवा रहा जया किशोरी की भागवत कथा, 13 से 19 दिसंबर तक होगा आयोजन
स्वास्थ्य ख़राब होने पर भी जया किशोरी ने भक्तों को 3 घंटे कथा सुनाई
संजय शर्मा संपादक
हैलो - धार पत्रिका
धार- सत चित आनंद मतलब सच्चिदानंद... सच क्या होता है ...सच की क्या परिभाषा है....सच और झूठ में क्या अंतर है....सच वह होता है जो किसी भी परिस्थिति में बदलता नही है...ब्रह्मांड में सिर्फ भगवान ही है जो कभी नहीं बदलते है...इसीलिए सत्य ही शिव है..! जीवन में हमेशा दो ही चीजों पर भरोसा करो..पहला भगवान पर और दूसरा अपने आप पर...खुद पर किया हुआ यही भरोसा आपको जीवन में आगे ले जाता है....अपने जीवन का कोई सा भी फैसला कभी भी दूसरों की सोच से मत करना...हर व्यक्ति में ईश्वर का वास होता है ...इसीलिए कहा जाता है आत्मा सो परमात्मा....
ये सारी बातें भारत की प्रसिद्ध भागवत वक्ता जया किशोरी जी ने निकुंभ परिवार द्वारा आयोजित भागवत सप्ताह के पहले दिन व्यासपीठ से श्रोताओं को कहीं...!
कलम खेड़ी के निकुंभ परिवार द्वारा धार में भागवत कथा सप्ताह का आयोजन किया गया है! इस आयोजन की शुरुआत शुक्रवार को दोपहर 1:00 बजे से हुई! भागवत सप्ताह की मुख्य वक्ता देश की जानी मानी भागवत वक्ता जया किशोरी जी है! दोपहर 1:00 बजे जया किशोरी ने नो गांव स्थित बड़ा गणपति मंदिर पहुंचकर दर्शन किए! दर्शन के बाद वे कथा स्थल जेएमडी पैलेस परिसर पहुंची! दोपहर 2:00 बजे दो बजे व्यासपीठ पूजन के बाद जया किशोरी ने कथा का वाचन शुरू किया !कथा के पहले दिन शिव पार्वती का अमर कथा प्रसंग व रसखान व भगवान कृष्ण प्रसंग को जया किशोरी जी द्वारा श्रोताओं को सुनाया! प्रसंगों के बीच में जया किशोरी जी ने जीवन संस्कार व मूल्यों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर भी प्रकाश डाला !
कथा सुनने के लिए धार के अलावा आसपास के क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग आए थे! श्याम 5 बजे कथा का समापन भागवत आरती के साथ हुआ! आरती में निकुंभ परिवार के सदस्यों व लोग व जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के प्रशासक कुलदीप सिंह बुंदेला साथ ही योगेश अग्रवाल द्वारा की गई!
शनिवार को भागवत कथा के दूसरे दिन शिव पार्वती विवाह का प्रसंग सुनाया जाएगा व कथा का समय 1 से 5 रहेगा!
संस्कार ही बदल सकते हैं माहौल
श्रीमद भागवत कथा की वक्ता जया किशोरी ने कथा के दौरान देश के बच्चों में संस्कारों की कमी पर महत्वपूर्ण प्रकाश डाला! उन्होंने कहा कि ये संस्कारों की ही कमी है जो हर दूसरे दिन हमें किसी बच्ची, महिला या अधेड़ महिला के साथ दुष्कर्म की खबरें देखने और सुनने को मिलती है! हम लोग कितने भी कानून बना ले पर इन घटनाओं को नहीं रोका जा सकता! इन्हें रोकने के लिए हमें अपने बेटों को संस्कार देना होगा हम कहते हैं कि... 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' लेकिन अब शायद हमें यह कहना होगा कि "बेटा पढ़ाओ बेटे को सिखाओ" ! देश में महिलाओं व बच्चों के साथ हो रही है दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ी चिंता का विषय है!
कहीं ना कहीं इंसान के अंदर की गंदगी अपने चरम पर है और इन घटनाओं को रोकने के लिए हमें कानून बनाने की नहीं अपने अंतर्मन की सफाई व संस्कार की जरूरत है! संस्कार ही वह शक्ति है जो इंसान को इंसान बना सकती है जब तक हम हमारे बच्चों में संस्कार नहीं डालेंगे तब तक इस बदलते माहौल को बदला नहीं जा सकेगा!
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