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Friday 22 November 2019

धार में भजन सम्राट जलोटा गाते रहे लोग गुनगुनाते रहे, स्वर सरिता में डूबे कई सुधी श्रोता

धार में भजन सम्राट जलोटा गाते रहे लोग गुनगुनाते रहे, स्वर सरिता में डूबे कई सुधी श्रोता 

सातवां पद्मश्री फड़के कला सम्मान और श्रोताओं के प्यार से अभिभूत हुए पद्मश्री जलोटा 

संजय शर्मा संपादक 
हैलो  धार पत्रिका 
            धार -    एक विश्व विख्यात व्यक्तित्व का सानिध्य था। सुरों का माधुर्य था। भजनो की आध्यात्मिक आभा थी । क्या नहीं था इस वर्ष फड़के संगीत समारोह में ? सुर , गति , ताल , छंद सबने मिलकर ऐसा माहोल बनाया कि श्रोताओं के हृदयतल से सिर्फ वाह - वाह ही निकल रही थी । अनूप जलोटा जी के भजनो में कभी शबरी के बेर की मिठास लगी तो कभी कृष्ण की बाँसुरी की मधुरता। नए और स्थापित कलाकारों के संगम ने जैसे एक गंगा का प्रवाह पैदा कर दिया।  स्वतः सिद्ध हो गया कि संगीत शाश्वत अवधारणा है। वक्त बदलता है पर संगीत का मुख्य भाव नहीं। सदियों से ये सुर, लय और ताल नाद का प्रभाव मोहक और आत्मसात करने योग्य है। आज भी भजनों में वही असीम शक्ति विद्यमान है। संगीत निराकार की  साकार  अनुभूति करवाता है। संगीत और भजन संस्कारों की भी संवाहक है। अवसर था भोज शोध संस्थान के देश के ख्यातनाम पद्मश्री फड़के संगीत समारोह का। 
               पिछले चार पांच दशक से जनप्रिय भजन भी जब भजन सम्राट अनूप जलोटा के मोहक कंठ से पुनः निर्झरित हुवे तो सैकड़ों श्रोता भी सहज ही भजन गुनगुनाने लगे। ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन में मीरा तो क्या पूरा सदन ही मगन और मोहित हो गया। भजन के साथ  गजलों ने भी सभी का मन मोह लिया। होठों से छुलों तुम और तुम इतना क्यों मुस्करा रहे हो ने सभी को अन्तःकरण की यात्रा भी करवा दी। श्री जलोटा जी लगभग 31 वर्ष बाद धार आये पर उनका व्यक्तित्व और प्रस्तुति उतना ही जागृत और प्रभावी प्रतीत हुआ। 
धारनाथ पूजे - प्रस्तुति के पहले भजन सम्राट अनूप जलोटा जी ने भोज शोध संस्थान के निर्देशक डॉ दीपेंद्र शर्मा और हास्य कवि संदीप शर्मा के साथ धारनाथ धारेश्वर महादेव का लघुरुद्र पूजन अर्चन किया। 
कला सम्मान - 
                पद्मश्री फड़के कला सम्मान से सातवे अलंकरण  पद्मश्री अनूप जलोटा को धार महाराज हेमेंद्र सिंह पवांर, समिति सदस्य राकेश राजपुरोहित और समारोह समिति के संयोजक डॉ दीपेंद्र शर्मा ने प्रदान किया। 

नवोदित प्रस्तुति - 
             युवा भजन गायक केसुर निवासी यश शर्मा से अपने भजनों से एक आस्थापूरित धरातल तैय्यार किया। तबला संगत शुभम व्यास और गिटार पर क्रीतैश शुक्ला थे। 
                  इंदौर से पधारी शास्त्रीय गायिका स्मिता मोकाशी ने अपने गायन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया उन्होंने राग बिहाग में दो बंदिशें द्रुत तीन ताल में माने ना जियरा मोरा व द्रुत एक ताल में मानू नहीं तोरी बात की सधी पेशकश की। तबला संगत पं रविशंकर भट्ट और हारमोनियम संगत संगीत शिक्षक दीपक खलतकर ने की। अपनी प्रभावी गायिकी का समापन राग भटियार के एक भजन से किया। 
              समारोह का समयबद्ध संचालन अरुणा बोड़ा ने किया। आभार कवि संदीप शर्मा ने माना। यह जानकारी पराग भोसले ने दी।

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