मांडू में शोभायात्रा के साथ मानस सम्मेलन की शुरुआत, 300 से अधिक संतों का आगमन
मांडू के संत महामंडलेश्वर नरसिंह दासजी महाराज को पीठाधीश की उपाधि, श्रीराम तारक ब्रह्म महायज्ञ में रोजाना 20 जोड़े देंगे आहुति
संजय शर्मा संपादक
हैलो धार पत्रिका
धार / मांडू - चतुर्भुज श्रीराम मंदिर में बुधवार से पांच दिनी मानस सम्मेलन की शुरुआत शोभायात्रा के साथ हुई। चतुर्भुज श्रीराम मंदिर से निकाली गई शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए वापस मंदिर पहुंची। शोभायात्रा में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के करीब 300 से ज्यादा साधु-संत शामिल हुए। शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत कि या गया। साधु-संतों के दर्शन एवं आशीर्वाद लेने के लिए लोग उत्साहित नजर आए। सम्मेलन के दौरान और भी साधु-संत नगर में पधारेंगे।
विश्व प्रसिद्ध मांडू के चतुर्भुज श्रीराम मंदिर में प्रारंभ हुआ मानस सम्मेलन 1 दिसंबर तक चलेगा। मानस सम्मेलन के साथ श्रीराम तारक ब्रह्म महायज्ञ का आयोजन कि या जा रहा है। इसकी शुरुआत सुबह 11 बजे शोभायात्रा निकालकर की गई। यह आयोजन महंतश्री रामनारायण दासजी की पुण्य स्मृति में कि या जाता है। पिछले 21 वर्षों से आयोजन हो रहा है।
शोभायात्रा के प्रारंभ में अश्व पर ध्वजा के साथ रामायण मंडल द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी गई। यात्रा के दौरान बच्चे मलखंभ पर आकर्षक करतब दिखा रहे थे। शाही पालकी भी इसमें शामिल हुई। यात्रा में धार से हेमेंद्रसिंह पंवार उपस्थित रहे। शोभायात्रा में मांडू के स्कूलों के छात्र-छात्राएं, नागरिक व आसपास क्षेत्र के लोग शामिल हुए। रामचरित मानस पर प्रतिदिन सुबह 11 से शाम 5 बजे तक प्रवचन होंगे। रात 8 बजे से प्रतिदिन अयोध्या से आए कलाकारों द्वारा रामलीला का मंचन मंदिर प्रांगण में कि या जाएगा।
20 जोड़े रोजाना देंगे यज्ञ में आहुति
श्रीराम पंच कुण्डात्मक श्रीराम तारक ब्रह्म महायज्ञ में 20 जोड़ों द्वारा प्रतिदिन सुबह 8 से 11 बजे तक आहुति दी जाएगी। क्षेत्रीय विधायक पांचीलाल मेड़ा भी यज्ञशाला में 5 दिनों सपत्नीक आहुतियां देंगे। यज्ञ के पूर्व सभी जोड़ों को ब्राह्मणों द्वारा मंत्रोच्चार से शुद्धिकरण कर हेमाद्री जनेऊ संस्कार कराया गया।
संत पारस पत्थर के समान होते हैं
सम्मेलन में जगतगुरूद्वाराचार्य अनन्त बिभूषित पूज्यश्री रामरिछपाल दास जी महाराज ने कहा कि संतों का सान्निाध्य तथा उनके द्वारा दिए गए प्रवचन को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। संत पारस पत्थर की तरह होते हैं, जिसके छूने से लोहा भी सोने में बदल जाता है। उसी प्रकार संत के सान्निाध्य में आने से मनुष्य जीवन जीना सीख जाता है। पश्चात आचार्य राघव कीकर ने प्रवचन देकर मानस सम्मेलन की शुरुआत की।
मांडू के संत महामंडलेश्वर नरसिंह दासजी महाराज को पीठाधीश की उपाधि दी
कम्प्यूटर बाबा ने संत गोपालदासजी महाराज, यशवंतदासजी महाराज, संत राधेबाबा जी , रामकृपाल दासजी महाराज और पूरे प्रदेश के संत समाज की ओर से मांडू के महामंडलेश्वर नरसिंह दासजी महाराज को पीठाधीश की उपाधि देने की घोषणा की। मांडवगढ़ पीठाधीश महामंडलेश्वर नरसिंह दासजी महाराज के नाम से नामकरण कि या गया। महंत त्रिलोकीदासजी व नरसिंह दासजी द्वारा उपस्थित साधु-संतों का पुष्पमाला पहनाकर स्वागत कि या गया। मांडू की तिलक संस्था ने साधु-संतों का पुष्पवर्षा के साथ ही जलपान करवाकर स्वागत किया।
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