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Sunday 22 September 2019

प्रशासन से आजादी के बाद से रोड की मांग कर रहे किसानों ने,सकारात्मक रूप से कार्य को स्वयं करने का बीड़ा उठाया

प्रशासन से आजादी के बाद से रोड की मांग कर रहे किसानों ने,सकारात्मक रूप से कार्य को स्वयं करने का बीड़ा उठाया

संजय शर्मा संपादक 
हैलो धार पत्रिका 
                    कोद -( अनिल मारू ) ग्राम मुंडला के मां उमिया पाटीदार संगठन  के बद्रीलाल पाटीदार,विष्णु पटेल,गणेश पाटीदार, गोपाल पाटीदार, लक्ष्मण पाटीदार, दीपक पाटीदार, किशोर पाटीदार, संतोष पाटीदार,दिलीप पाटीदार सहित 20 से ज्यादा रहवासी किसानो एवं ग्रामीणों ने मिलकर जन सहयोग से हजार फिट से ज्यादा रोड पर पत्थर-मुरम डलवा कर मुंडला बाबेडा मार्ग को दुरुस्त करवाया,इन सभी किसानों ने बताया कि -"जब जन समुदाय की  परेशानियां  प्रशासनिक रूप से हल नहीं होती है तो  सभी आम  जनों को भी  देश निर्माण में  अपनी सहभागिता  देनी चाहिए,अपने खेतों पर जाने के मार्ग एवं ग्राम पंचायत बाबेड़ा से मुंडला मेन रोड की दुर्दशा एवं उस मुख्यमार्ग पर मौजूद बड़े नाले पर बारिश में निकलने में दिक्कत वर्षों से चली आ रही है,किंतु इस और किसी भी जनप्रतिनिधि एवं पंचायती स्तर पर इतने वर्षों में इस मार्ग को दुरुस्त करने की कोई पहल नहीं की गई,इसलिए सभी किसानों ने मिलकर इस समस्या को हल करने का निर्णय लिया, यह मुख्य मार्ग आजादी के बाद से निर्माण की कई चुनावी वादों के बावजूद भी नहीं बनाया गया है, इसीलिए हम सभी ने इस समस्या को सकारात्मकता के साथ हल करने का बीड़ा उठाया।"
             
           मुंडला बाबेडा मार्ग के दुरस्तीकरण के लिए प्रति किसानो ने अपनी कृषि भूमि के प्रति बीघा का 150 रुपए के हिसाब से जनसहयोग प्रदान किया,जिसमें किसानों ने पत्थर मुरम के 7 से ज्यादा डंपर को डालकर जेसीबी की सहायता से कीचड़ युक्त मार्ग को दुरुस्त किया। ग्राम मुंडला के अन्य पीपलू मार्ग एवं दोतरु मार्ग के हालात भी बिल्कुल इसी तरह है,मुंडला के ग्रामीणों ने पीपलू मार्ग को भी दुरुस्त करने का निर्णय लिया है, जिसे आगामी कुछ दिनों में ठीक किया जाएगा।
                  अन्य रहवासियों ने बताया मुंडला बाबेडा मार्ग बारिश में किसानों का खेतों पर जाना मुश्किल हो जाता है बारिश के दौरान मार्ग में स्थित नाले में बाढ़ आ जाती है एवं आने जाने वाले को नाला उतरने तक इंतजार करना पड़ता है, साथ ही पूरा मार्ग कीचड़ से भरा होने पर भी कई बार किसानों एवं अन्य यात्रियों को जान माल का खतरा बन जाता है।

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