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Saturday 25 May 2019

मोदी का नया नारा- सबका साथ-सबका विकास के बाद अब सबका विश्वास

मोदी का नया नारा- सबका साथ-सबका विकास के बाद अब सबका विश्वास

एनडीए संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद मोदी ने आडवाणी, जोशी और प्रकाश सिंह बादल के पैर छुए
 मोदी ने सांसदों से कहा- अल्पसंख्यकों के साथ अब तक छल हुआ, इस छल में छेद करना है
सांसदों को मोदी की नसीहत- वीवीआईपी कल्चर छोड़ें, अखबार में ‘छपास’ और टीवी पर ‘दिखास’ की प्रवृत्ति से बचें
संजय शर्मा 
हैलो -धार पत्रिका 
               नई दिल्ली -  नरेंद्र मोदी को एनडीए संसदीय दल का नेता चुना गया। नेता चुने जाने के बाद मोदी ने वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और अकाली दल के प्रमुख प्रकाश सिंह बादल के पैर छुए। अमित शाह और बादल ने मोदी को संसदीय दल का नेता चुनने का प्रस्ताव रखा। इसका सभी सहयोगी दलों और सांसदों ने समर्थन किया। मोदी ने कहा- 2014 से लेकर अभी तक पांच साल हमने गरीबों के लिए सरकार चलाई है। 2019 में गरीबों ने हमारी सरकार बनाई है।
                 बताया जा रहा है कि बैठक के बाद मोदी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। एनडीए के इस बार 352 सांसद हैं, जिसमें से 303 अकेले भाजपा के हैं। मोदी 28 मई को वाराणसी जा सकते हैं। 30 मई को नए सांसद शपथ ले सकते हैं।
इस चुनाव ने दीवारें तोड़ने और दिल जोड़ने का काम किया- मोदी

             मोदी ने कहा, "आम तौर पर आचार्य विनोबा भावे इस पर बात करते थे कि चुनाव बांट देता है और दूरियां पैदा करता है, दीवार बनाता है, खाई बना देता है, लेकिन इस चुनाव ने दीवारों को तोड़ने का काम किया है। 2019 के चुनाव ने दिलों को जोड़ने का काम किया है। ये चुनाव सामाजिक एकता का आंदोलन बन गया। समता भी, ममता भी। समभाव भी, मम भाव भी। ये समता और ममता बढ़ाकर चुनाव को नई ऊंचाई मिली। शायद भारत के लोकतांत्रिक जीवन में देश की जनता ने एक नए युग का आरंभ किया है और हम इसके साक्षी हैं। रचयिता हैं, इसका दावा नहीं करते। साक्षी भाव से इन चीजों को देखेंगे और समझेंगे तो जन सामान्य की आशा-अपेक्षाओं के अनुसार हम अपने जीवन को ढाल पाएंगे।''
हमें अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतना है- मोदी

              "2014 में मैं नया था, उस वक्त मैंने कहा था कि मेरी सरकार इस देश के दलित, पीड़ित, शोषितों-वंचितों को समर्पित है। जिस जगह भारत का संविधान बना, जहां अंबेडकर-नेहरू-पटेल बैठे थे, आज वहां खड़े होकर फिर मैं कहता हूं कि 5 साल बाद जो बात हमारे दिल से निकली थी, उससे हम नहीं डिगे। ना डाल्यूजन आया और ना डायवर्जन आया।'
                   "हमारे देश में गरीब एक राजनीतिक संवाद-विवाद का विषय ही रहा। फैशन का हिस्सा बन गया था, भ्रमजाल फैला था। हमने जो घनघोर बादल थे, उनमें छेद कर दिया। छल में छेद कर दिया और सीधे गरीब के पास पहुंचे। सच्चे अर्थ में गरीब को ताकतवर बनाकर हम राजनीति की दिशा में आगे बढ़े। हमें जो रास्ता मिला है, वह सफलता है। देश को गरीबी के टैग से मुक्त करना है। आजादी के इतने साल बाद घर-बिजली-पानी की वे मांग करें, उनका हक बनता है। इसी हक के लिए हमें लड़ना है। जो साथी मिले हैं, वह अपनी जिम्मेदारी हम पूरी करेंगे, यह विश्वास है।''
                      "जैसा छल गरीब के साथ हुआ, वैसा ही अल्पसंख्यक के साथ हुआ। उन्हें भ्रमित-भयभीत रखा गया। उनके शिक्षा की चिंता होती, आर्थिक-सामाजिक विकास होता.. तब अच्छा रहता। वोट बैंक की राजनीति में छलावा, काल्पनिक भय बनाया गया और उन्हें दबाकर रखा गया। वोट बैंक के लिए इस्तेमाल किया गया। हमें इस छल में भी छेद करना है। हमें विश्वास जीतना है। 1857 का स्वतंत्रता संग्राम इस देश की हर कौम, जाति, पंथ ने कंधे से कंधा मिलाकर लड़ा था। देश की एकता और अखंडता के लिए संविधान की शपथ लेने वालों का दायित्व है कि उस आजादी की भावना को जिंदा करें। अब सुराज्य, गरीबी के लिए लड़ना है और सबको साथ लेकर चलना है।''
                               "ये वह संविधान है, जिस पर देश के महापुरुषों के हस्ताक्षर हैं। पुराने तरीके काम नहीं आएंगे। एकमात्र मार्ग है कि 21वीं सदी में सभी को आगे ले जाना है। किसी को पंथ, जाति, भेदभाव के आधार पर पीछे छूटना नहीं चाहिए। छल को छेद करना है। हम उनको हैंडओवर करके बैठे रहें, यह मंजूर नहीं है। इस जिम्मेदारी को निभाएंगे तभी तो आगे बढ़ सकते हैं। सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास हमारा मंत्र है।''
'गठबंधन की राजनीति को आदर्शों का हिस्सा बनाना पड़ेगा'
                     मोदी ने कहा, "देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए गठबंधन की राजनीति को हमें अपने आदर्शों का हिस्सा बनाना पड़ेगा। वाजपेयीजी की देश को सबसे बड़ी देन है कि उन्होंने इस राजनीति को सफलता पूर्वक आगे बढ़ाया। आज इस सदन में उनकी मूर्ति हमें आशीर्वाद दे रही है। एनडीए एक अभियान बन गया। इस प्रयोग को हमें और अधिक सशक्त करना है।'
                  "एनडीए की विशेषता क्या है? अटलजी, जोशीजी, आडवाणीजी से जो यात्रा शुरू हुई, उसमें सबसे बड़ा ल्युब्रिकेटिंग एजेंट विश्वास है। पीढ़ी बदल गई। आडवाणीजी बुजुर्ग हो गए, बालासाहेब नहीं हैं, हम उद्धव से सलाह लेते हैं। अटलजी नहीं है, मोदी को कहना पड़ता है। एनडीए के पास दो महत्वपूर्ण चीजेंं हैं। एक एनर्जी और दूसरा सिनर्जी। एनर्जी-सिनर्जी ऐसा केमिकल है, जिससे हम सामर्थ्यवान हुए हैं। भारत के लोकतंत्र के लिए सभी पार्टियों को जोड़कर चलना समय की मांग है। उसमें आज सफलतापूर्वक कोई गठबंधन चला है, तो वह है एनडीए है।''
वीआईपी कल्चर से देश को नफरत- मोदी
              "वीआईपी कल्चर, देश को इससे नफरत है। ये चीजें कह रहा हूं आपको अच्छा-बुरा लगेगा, मैं नहीं जानता। एयरपोर्ट पर चेक-इन करने में क्या परेशानी है? हमारा चेक-इन क्यों नहीं होना चाहिए? नियमों से चलने में क्या परेशानी है? लाल लाइट हटाना कोई बड़ी चीज नहीं थी, लेिकन लोगों ने कहा कि मोदी ने इसे उतार दिया। मनोहर पर्रिकरजी की पहचान ही यही थी, यह बहुत बड़ी ताकत थी। वीआईपी कल्चर से जितना बच सकते हैं, बचें। राष्ट्रीय दृष्टिकोण से फैसला लीजिए। आप कुछ भी करें, खुद को कसौटियों पर कसें, तो गलतियां कम होंगी।''
'पूरे विश्व का ध्यान भारत के चुनाव पर था'

            उन्होंने कहा, ''भाजपा और एनडीए के सभी सांसदों और दलों ने सर्वसम्मित से मुझे संसदीय दल का नेता चुना इसके लिए मैं आपका हृदय से बहुत आभारी हूं। ये सेंट्रल हॉल की घटना असामान्य घटना है। हम आज नए भारत के संकल्प को एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ाने के लिए एक नई यात्रा आरंभ करने वाले हैं।''
''देश की राजनीति में जो बदलाव आया है, उसमें अपने-अपने स्तर पर आप सभी ने उसका नेतृत्व किया है। आप बदलाव की प्रक्रिया के साक्षी हैं। जो पहली बार चुनकर आए हैं, वे विशेष अभिनंदन के अधिकारी हैं।''
                  ''पूरे विश्व का ध्यान भारत के इस चुनाव पर था। ये विश्व के लिए बहुत बड़ा अजूबा है। इस काम को चुनाव आयोग, राज्यों के चुनाव आयोग, सरकार से संबंधित सभी अधिकारी-कर्मचारी और सुरक्षाबल के कठोर परिश्रम का ये कालखंड था। सुचारु रूप से लोकतंत्र के इस उत्सव को विश्व के सामने प्रतिष्ठित बनाने वाले इन सभी लोगों का धन्यवाद करता हूं।''
मोदी ने भाजपा सांसदों को नसीहत दी
              मोदी ने भाजपा सांसदों को नसीहत भी दी। उन्होंने किसी का नाम न लेते हुए कहा, "बड़बोलापन जो होता है, टीवी के सामने कुछ भी बोल देते हैं। बोल देते हैं तो 24-48 घंटे तक उनकी दुकान चलती है और अपनी परेशानी बढ़ती है। कुछ लोग सुबह उठकर राष्ट्र के नाम संदेश नहीं देते हैं, उन्हें चैन नहीं पड़ता। मीडिया को भी पता होता है कि 6 नमूने हैं, इनके गेट के सामने पहुंच जाओ कुछ ना कुछ बोलेंगे ही। ऐसी-ऐसी चीजें होती है, जिनका हमसे लेना-देना नहीं होता।''
                 उन्होंने कहा, ''यह बात मैं ये बात सदन चलते वक्त कहता तो लोग सोचते कि मेरे लिए कह रहा है। लेकिन, आज न्यूट्रल कह रहा हूं। आपको इससे बचना चाहिए। अटल-आडवाणी कहते थे कि छपास और दिखास से बचना चाहिए। खुद को भी बचा सकते हैं और दूसरों को भी बचा सकते हैं।''
                  "आज भी कई आ जाएंगे, पूछेंगे कि पहली बार जीतकर आए हैं, क्या कहेंगे? आपभी सोचेंगे कि देश देखेगा। भ्रम में ना रहें, शुरू में ये खींचता है और बाद में हम इसके शिकार हो जाते हैं। हम जितना इन चीजों को बचा सकते हैं तो बचाएं। कोई पूछे तो उसे रोकें कि एक घंटा रुको मैं जांच करता हूं। मूल बात रह जाएगी और रात तक आपका बयान और ना जाने क्या-क्या बयान आ जाएंगे। नए और पुराने जो साथी आए हैं, उनसे मेरा आग्रह है.. इनसे बचें। देश माफ नहीं करेगा। हमारी बहुत बड़ी जिम्मेवारियां हैं, इन्हें हमें निभाना है।''
भारत का मतदाता सेवाभाव को स्वीकार करता है- मोदी
                मोदी ने कहा, ''मतदान अनेक रंगों से भरे थे, लेकिन विजयोत्सव उससे भी अधिक शानदार था। ना सिर्फ भारत में, बल्कि पूरे विश्व में फैले भारतवासियों और भारतप्रेमियों ने उमंग और उत्साह के साथ विजयोत्सव में हिस्सा लिया। मैं उन सभी का अभिनंदन करता हूं। प्रचंड जनादेश जिम्मेदारियों को भी बहुत बढ़ा देता है। जिम्मेदारियों को सहर्ष स्वीकार करने वाले लोग हम हैं।''
                  "भारत के लोकतंत्र को हमें समझना होगा। भारत का लोकतंत्र, मतदाता, नागरिक उसका जो विवेक है.. शायद किसी मानदंड पर उसे नापा नहीं जा सकता। दिन-ब-दिन भारत का लोकतंत्र इतना मेच्योर होता चला गया है कि सत्ता, सत्ता का रुतबा भारत के मतदाता को कभी प्रभावित नहीं कर पाया। भारत का मतदाता सत्ताभाव को स्वीकार नहीं करता है।''
                "कभी-कभी दबाव में वह स्वीकार कर ले, लेकिन मन से स्वीकार नहीं करता। भारत का मतदाता सेवाभाव को स्वीकार करता है। जनता ने हमें भी सेवाभाव के कारण ही स्वीकार किया है। सत्ताभाव से अलिप्त रहने के लिए हमें प्रयास करना होगा। जितना प्रबल सेवाभाव होगा, सत्ताभाव सिमटता जाएगा और जनता का भाव बढ़ता जाएगा।'' 
शाह ने कहा- मोदीजी ने 20 साल में एक भी छुट्टी नहीं ली
             अमित शाह ने अपने भाषण में कहा- 20 साल से नरेंद्र मोदी ने एक भी छुट्टी नहीं ली है। एक भी दिन मैंने उनके जीवन में जरा सा भी आलस नहीं देखा। 24 घंटे में 18 घंटे काम करने वाले व्यक्ति हैं। हमने एक पारदर्शी नेता को चुनने का काम किया है। दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ और वोटबैंक की राजनीति से ऊपर उठकर फैसला लेने वाला देश ने चुना है। मोदीजी ने कठोर से कठोर फैसले लिए, मगर ये फैसले लोगों को फायदा पहुंचाने वाले थे वोट बैंक को देखकर नहीं लिए गए थे। भारत माता को जो उचित सम्मान मिलना चाहिए वह हम मोदीजी के नेतृत्व में हासिल करेंगे। गांधीजी की 75वीं जयंती पर हम 75 संकल्प रखेंगे। ये संकल्प हमारा मिशन बने और मोदीजी के नेतृत्व में हम इन्हें इसी समयसीमा में पूरा करेें।
कल गुजरात जाएंगे मोदी
इसी बीच मोदी ने ट्वीट कर कहा कि वे रविवार शाम को मां हीराबा से आशीर्वाद लेने गुजरात जाएंगे। इसके बाद 28 तारीख की सुबह अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लोगों का आभार जताने पहुंचेंगे।

ट्रम्प-जिनपिंग को भेजा जा सकता है शपथ ग्रहण का न्योता
                रिपोर्ट्स के मुताबिक- मोदी के शपथ ग्रहण में शामिल होने के लिए मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को न्योता भेज सकते हैं। शपथ ग्रहण में दुनिया के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी मोदी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि को और मजबूत करेगी।
कैबिनेट में नए चेहरों को जगह मिल सकती है
           नई कैबिनेट में कई नए चेहरों को जगह मिल सकती है। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया था कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को कैबिनेट में अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। वहीं हारे गए मंत्रियों (हरदीप पुरी, केजे अल्फोंस और मनोज सिन्हा) की जगह कुछ नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं। कांग्रेस के गढ़ अमेठी में राहुल गांधी को हराने वाली स्मृति ईरानी को भी कैबिनेट में अहम पोर्टफोलियो दिया जा सकता है।

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