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Wednesday, 3 April 2019

निराशा को आशा में परिवर्तित कर पाया मुकाम, खेत खलिहान से लेकर सब-इंस्पेक्टर बनने तक का सफर

निराशा को आशा में परिवर्तित कर पाया मुकाम, खेत खलिहान से लेकर सब-इंस्पेक्टर बनने तक का सफर 

गांव से पहली बार किसी युवा का पुलिस अधिकारी पद पर हुआ चयन
हैलो धार 
नागदा (धार) पवन वैष्णव
          नागदा- जिंदगी में कई मुकाम पर कड़वे अनुभव होतें हैं, ठोकरें लगती हैं और इन्हीं से भविष्य के लिए नई सीख भी मिलती हैं, बदकिस्मत होते हैं वे प्रतिभागी जो बिना ठोकर खाए मंजिल तक पहुंच जाते हैं, क्योंकि उनके हाथ अनुभव से खाली ही रह जाते हैं, जब हमें जीवन के कड़वे अनुभव होते हैं या कोई ठोकर लगती है तो उस समय हम हो सकता है कि विचलित हो जाएं, लेक़िन इससे उबरकर सीख भी मिलती है और जीवन में मुश्किलों का सामना करने का साहस भी आता है, फिर हम पाते हैं कि हमारी क्षमता भी बढ़ गई है और जीवन में हम और भी सफलता हासिल कर सकतें हैं, तो मुश्किलों से घबराएं नहीं बल्कि उनका सामना करें, आप पाएंगे कि आपको उन मुश्किलों ने और भी निखार दिया है, ऐसा मानना है सुनील पाटीदार का जिनका चयन विशेष सशस्त्र बल भोपाल में सब इंस्पेक्टर के पद पर हुआ है, सुनील ग्रामीण क्षेत्र के उन विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत साबित हुए हैं जो कि प्रतियोगी परीक्षाओं में असफ़ल होने के बाद हताश हो जातें हैं, और निराशा की गर्त में चले जाते हैं, ग्राम बालोद के सुनील पाटीदार का जीवन कई विपरीत परिस्थितियों से गुज़र कर आज सफलता के मुक़ाम पर पहुंचा हैं, सुनील ने शासकीय विद्यालय से अपनी पढ़ाई पूर्ण कर रोजगार के अवसर तलाशने के लिए चिकित्सा क्षेत्र में डीएमएलटी डिप्लोमा किया, डिप्लोमा पूर्ण करने के बाद सुनील को पैथोलॉजी लैब में 15 सो रुपए मासिक सैलरी पर भी कार्य मिलना मुश्किल था, सुनील के मन में कुछ कर गुजरने की चाह निरंतर घर करती रही एवं वांछित लक्ष्य पाने की टिस हमेशा उनको लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर करती रही, उन्होंने भोज मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा दूरस्थ पाठ्यक्रम माध्यम में अपनी  स्नातक शिक्षा को पूर्ण किया, जो यह सिद्ध करती है कि सफलता के लिए नियमित विद्यालयों या प्रतिष्ठित विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करना जरूरी नहीं है। इसके पश्चात प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए प्रयास करना प्रारंभ किए, शुरुवाती दौर में परीक्षाओं में असफल होने के बाद मन में निराशा घर कर गई, पुश्तैनी जमीन में खेती-बाड़ी कर पिता एवं भाई का हाथ बटाना प्रारंभ कर दिया, साथ ही ग्राम के विद्यालय में अतिथि शिक्षक के पद पर 3500₹ मासिक सेलेरी पर कार्य करना शुरू किया, लेकिन सुनील के मन में बार-बार एक ही बात उभर कर आने लगी कि मुझे कुछ बड़ा करना है जिससे कि मैं अपने गांव के युवाओं को एक प्रेरक संदेश दे सकूं। उन्होंने मध्य प्रदेश सब इंस्पेक्टर परीक्षा में तीन प्रयास किए पहले दो प्रयासों में क्रमशः 2 एवं 1 नंबर में मेरिट लिस्ट से पीछे रह गए और अंततः तीसरे प्रयास में उन्होंने सफलता अर्जित कर यह सिद्ध कर दिया कि निरंतर प्रयास करने वाले एवं नकारात्मक घटनाओं से उभरकर प्रयासरत रहने से सफलता एक दिन निश्चित ही प्राप्त होती है। गाँव का पहला सब इंस्पेक्टर युवा जब वर्दी में गांव लौटा तो गांववासियों ने उत्साहपूर्वक उनका जोरदार स्वागत किया, सुनील ने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता चंदूलाल पाटीदार, माता पार्वती बाई, मार्गदर्शक देवेंद्र पाटीदार, बड़े भाई अनिल एवं जीवन संगिनी सुमन को दिया है जिन्होंने कई असफलताओं के बाद भी हमेशा सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरणा प्रदान की।

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