HelloDharNews

HelloDharNews Hindi news Website, Daily Public News, political, crime,filmy, Media News,Helth News

Breaking

Friday 8 March 2019

प्रीम कोर्ट ने मामला मध्यस्थों के पास भेजा, प्रक्रिया 4 हफ्ते में शुरू और 8 हफ्ते में खत्म होगी मध्यस्थता की बातचीत फैजाबाद में होगी, पैनल की अध्यक्षता जस्टिस खलीफुल्ला करेंगे

प्रीम कोर्ट ने मामला मध्यस्थों के पास भेजा, प्रक्रिया 4 हफ्ते में शुरू और 8 हफ्ते में खत्म होगी
मध्यस्थता की बातचीत फैजाबाद में होगी, पैनल की अध्यक्षता जस्टिस खलीफुल्ला करेंगे

मध्यस्थता पैनल में श्री श्री रविशंकर और वकील श्रीराम पंचू भी शामिल 
चीफ जस्टिस ने कहा कि मध्यस्थता प्रक्रिया पूरी तरह से गोपनीय रहे, इस पर कोर्ट की नजर रहेगी
संजय शर्मा 
हैलो -धार न्यूज़ 
            नई दिल्ली -  अयोध्या विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्यस्थों को सौंप दिया। मध्यस्थता की बातचीत फैजाबाद में होगी। जस्‍टिस खलीफुल्‍ला मध्‍यस्‍थता पैनल की अध्‍यक्षता करेंगे। इस पैनल में श्री श्री रविशंकर और वकील श्रीराम पंचू भी होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैनल 4 हफ्ते में मध्यस्थता के जरिए विवाद निपटाने की प्रक्रिया शुरू करे। 8 हफ्ते में यह प्रक्रिया खत्म हो जानी चाहिए। 
'पूरी प्रक्रिया गोपनीय होगी'
        चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि मध्यस्थता प्रक्रिया कोर्ट की निगरानी में होगी और इसे गोपनीय रखा जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जरूरत पड़े तो मध्यस्थ और लोगों को पैनल में शामिल कर सकते हैं। वे कानूनी सहायता भी ले सकते हैं।
मध्यस्थों को उत्तरप्रदेश सरकार फैजाबाद में सारी सुविधाएं मुहैया कराएगी।
'लक्ष्य की ओर चलना है'
            श्रीश्री रविशंकर ने ट्वीट किया, "सबका सम्मान करना, सपनों को साकार करना, सदियों के संघर्ष का सुखांत करना और समाज में समरसता बनाए रखना - इस लक्ष्य की ओर सबको चलना है।"'मुस्लिमों को अयोध्या पर दावा छोड़ना चाहिए'
            अयोध्या मामले को मध्यस्थ को सौंपे जाने को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर मुस्लिमों में अयोध्या पर अपना दावा नहीं छोड़ा तो भारत सीरिया बन जाएगा। श्रीश्री को मध्यस्थ पैनल में शामिल करने पर ओवैसी ने कहा कि यह बेहतर होता कि सुप्रीम कोर्ट किसी तटस्थ व्यक्ति को नियुक्त करता।  
14 अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
         सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर हो रही है। अदालत ने सुनवाई में केंद्र की उस याचिका को भी शामिल किया है, जिसमें सरकार ने गैर विवादित जमीन को उनके मालिकों को लौटाने की मांग की है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 9 साल पहले फैसला सुनाया था

            इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने 30 सितंबर 2010 को 2:1 के बहुमत से 2.77 एकड़ के विवादित परिसर के मालिकाना हक पर फैसला सुनाया था। यह जमीन तीन पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला में बराबर बांट दी गई थी। हिंदू एक्ट के तहत इस मामले में रामलला भी एक पक्षकार हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि जिस जगह पर रामलला की मूर्ति है, उसे रामलला विराजमान को दे दिया जाए। राम चबूतरा और सीता रसोई वाली जगह निर्मोही अखाड़े को दे दी जाए। बचा हुआ एक-तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया जाए।
           इस फैसले को निर्मोही अखाड़े और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने नहीं माना और उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।
शीर्ष अदालत ने 9 मई 2011 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट में यह केस तभी से लंबित है।

No comments:

Post a Comment