रोजगार देने की जगह रोजगार छीनने की तैयारी में नई सरकार ?
संजय शर्मा
हैलो -धार पत्रिका
भोपाल- अपने वचन पत्र में संविदा कर्मियों को नियमित करने और प्रदेश में रोजगार बढ़ाने के वचन को लेकर सत्ता में आई कांग्रेस अब जल्द ही 615 परिवारों को बेरोजगार कर उनको बेघर करने जा रही है कांग्रेस ने योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के अंतर्गत आने वाले मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद को भंग कर उनके कर्मचारियों और अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए पूरी तरह से योजना तैयार कर ली है, और इस माह के अंत तक इन सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देकर बाहर कर परिषद में ताला लगाने का प्लान तैयार कर लिया है।
यहां आपको जानकर अजीब लगेगा कि जन अभियान परिषद का गठन तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के शासनकाल में मध्यप्रदेश सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1973 के अंतर्गत 4 जुलाई 1997 को किया गया था इसके बाद से परिषद ने ग्राम विकास के क्षेत्र में अविस्मरणीय कार्य कर विशिष्ट पहचान बनाकर ग्राम विकास की अवधारणा को साकार करने में सरकार का पूर्ण सहयोग किया है। अब उनकी इसी सेवाभाव का प्रतिफल मौजूदा सरकार इनको बाहर करके देने जा रही है। विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि सरकार ने निर्ममता का परिचय देते हुए परिषद में कार्यरत सभी अधिकारियों कर्मचारियों को उनके हितों और अपने वचन पत्र को दरकिनार कर सभी को बाहर करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली है।
संभवतः यह देश में ऐसा पहला मामला होगा कि 10 साल से अधिक सेवा देने के बाद अलोकतांत्रिक एवं अमानवीय तरीके से इन्हें बेरोजगार किया जा रहा है। ज्ञातव्य है कि योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के अंतर्गत मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के 615 पदों के विरुद्ध कार्यरत 523 अधिकारी कर्मचारियों को 5 माह पूर्व ही नियमित किया गया है यह अधिकारी कर्मचारी विगत 2007-08 से संविदा आधार पर कार्य कर रहे थे , इनकी भर्ती भी उच्च स्तरीय समिति का गठन कर सभी की नियुक्ति की गई थी, इनके सेवाकाल को देखते हुए माह सितंबर 2018 में शासन द्वारा नियमानुसार असाधारण राजपत्र प्रकाशित कर प्रक्रिया अनुसार नियमित किया गया था। कांग्रेस सरकार द्वारा अब 5 माह पहले नियमित हुए कर्मचारियों अधिकारियों को आनन-फानन में अलोकतांत्रिक तरीके से सेवा समाप्त करने की कार्रवाई की जा रही है जबकि शासन द्वारा इन अधिकारियों कर्मचारियों का विकास कार्यों में सकारात्मक उपयोग किया जा सकता है यदि इस प्रकार का अलोकतांत्रिक मानवीय और अनैतिक निर्णय होता है तो प्रदेश का युवा किसी भी निगम, मंडल, परिषद में सेवा देने से घबराएगा तथा इस प्रकार से इन संस्थाओं के गठन और उनके औचित्य पर भी प्रश्नचिन्ह लगेगा । अतः इस प्रकार से भविष्य में प्रदेश की कोई भी चुनी हुई सरकार आप की इस कार्रवाई को आधार बनाकर प्रदेश के किसी भी निगम,मंडल,परिषद को भंग कर सकेगी। यदि ऐसे ही बदले की भावना से पूर्व सरकार द्वारा कार्य किया जाता तो, कांग्रेस शासन काल में बने नेहरू युवा केंद्र तो अब तक बंद हो गया होता लेकिन ऐसा ना करके उनसे विकास कार्यों में पूर्ण सहयोग लिया गया और आज भी निरंतर गतिविधियां संचालित कराई जा रही हैं, परंतु जन अभियान परिषद से कार्य लेने की बजाय उसे बन्द किया जा रहा है जो कि पूर्णतः गलत होगा। यदि अनैतिक रुप से इसे बंद करते हैं तो निश्चित ही भविष्य में प्रदेश की स्थिति भयावह होगी। पूर्व में भी दिग्विजय सिंह सरकार ने एमपी ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन को बंद कर कई लोगों का रोजगार छीना था अब कांग्रेस सरकार पुनः उसी ढर्रे पर कार्य कर रही है जिसके तहत परिषद के 523 कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।
एक समय 1971 के युद्ध में हथियार डालने वाले एक लाख सिपाहियों को वापस करने वाली सरकार से यह पूछना चाहिए क्या इन 523 परिवारों का अपराध इतना बड़ा है जो इनको लेकर रोजी-रोटी छीन उनके जीवन को संकट में डालने के लिए वचनबद्ध है। इस कृत्य से यह प्रमाणित है कि दुर्भावनावश ऐसा करके नई सरकार न केवल सब के जीवन से खिलवाड़ कर रही है बल्कि अपने रोजगार के वायदे से भी मुकर रही है।
उम्र के बीच पड़ाव मैं 12 वर्ष पूर्ण निष्ठा से कार्य करने के उपरांत बिना किसी दोष के 523 परिवारों को आजीविका के संकट मैं डालना किसी भी द्रष्टिकोण से उचित नही,सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए वचनबद्ध है,फिर ऐसा निर्णय कैसे ले सकती है ?
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