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Sunday, 6 January 2019

कश्मीर जैसे हालात देश के कई हिस्सों में बन रहे है जो भारत के सामने चुनौती- पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ

कश्मीर  जैसे हालात देश  के कई हिस्सों में  बन रहे है जो भारत के सामने चुनौती-  पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ

राजाभोज स्मृति व्याख्यानमाला के पहले दिन कश्मीरी  आतंकवाद और भारत के सामने चुनौती विषय पर हुआ व्याख्यान
संजय शर्मा संपादक 
हैलो -धार पत्रिका 
               धार-  हमारे समक्ष जो इतिहास रखा जा रहा है वह सत्य के निकट नहीं है। शिक्षा पद्धति और इतिहास हमें भ्रम में रखे हुए है। जो हमें आजादी मिली है वह वास्तव में आजादी न होकर शक्ति का हस्तांतरण मात्र है। सत्ता आएंगी जाएंगी लेकिन समाज स्थिर है। अब समय आ गया है कि समाज उठ खडा होकर सत्ता चलाने वालो से प्रष्न करे। बहुसंख्यक समाज आज भी ज्यादा सहिष्णु है। भारत जैसा सहिष्णु देश  दुनिया में कहीं भी नहीं मिल सकता। कश्मीर  में 68 प्रतिशत आबादी मुस्लिमों की है। सत्ता से लेकर हर क्षेत्र में उनका कब्जा है। साढे तीन लाख पंडितों पर जमकर अत्याचार हुआ। आज वे दर-दर भटक कर श रणार्थी का जीवन जी रहे है। फिर भी बहुसंख्यक हिन्दुओं पर असहिष्णु होने का आरोप लगाया जाता है, ये कहां तक उचित है ? कश्मीर  में वाल्मिकी ;दलितद्ध समाज के ढाई लाख लोग आज भी बदहाली का जीवन जीने को विवश  है न उन्हें नागरिकता दी गई न हीं वे कष्मीर में नौकरी या अन्य रोजगार पा सकते है। ये दौहरा रवैया क्यों ? कश्मीर  की समस्या पर हम देशवासी सवाल क्यों नहीं पूछते। सरकार और देश की सर्वोच्च न्यायपालिका को इस दिशा  में गहन चिंतन मनन करने की आवष्यकता है। 
                उक्त उद्गार स्व. दत्ताजी उननगाॅवकर स्मृति सेवा न्यास धार द्वारा पंचम राजाभोज स्मृति दो दिवसीय व्याख्यानमाला के पहले दिन कश्मीरी आतंकवाद और भारत के सामने चुनौती विषय पर राजनीतिक विष्लेषक एवं पाकिस्तानी मामलों के जानकार पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने मुख्य वक्ता के रूप में व्याख्यान देते हुए कहे।  श्री कुलश्रेष्ठ ने कहा कि कश्मीर  में जो हो रहा है वह बेहद चिंताजनक है। उन्होंने आषंका व्यक्त करते हुए कहा कि देश  में पांच सौ कष्मीर बन गए है। ये हालात देश  के लिए चिंताजनक है। 
        श्री कुलश्रेष्ठ ने कहा कि देष की सर्वोच्च न्यायालय महाकाल, षबरीमला पर अपना फैसला त्वरित सुना देता है किंतु बहुसंख्यक समाज की आस्था के विषय राम मंदिर पर फैसला देने में  इतनी देरी क्यों ? रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती बताते हुए कहा कि रोहिंग्या मसले पर बर्मा ने अपना काम कर दिया अब भारत को भी रोहिंग्या मसले पर त्वरित फैसला लेना चाहिए। आज कश्मीर  में देश  की सीमा की सुरक्षा के लिए तैनात सैनिकों पर अपने ही देश  के कष्मीरी हमले कर रहे है कई सैनिक मारे जा रहे है ये हालात चिंताजनक है। श्री कुलश्रेष्ठ ने आष्चर्य जताया कि देश  की सर्वोच्च न्यायालय राफेल पर प्रष्न पूछ रहा है पर अनुच्छेद 35ए पर चुप्पी क्यों ?

          दीप प्रज्जवलन कर मुख्य वक्ता पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे धार के प्रसिद्ध चिकित्सक डाॅ. यूसी व्यास ने दो दिवसीय व्याख्यानमाला का शुभारंभ किया। मंच पर राजाभोज स्मृति व्याख्यानमाला समिति के अध्यक्ष डाॅ. दिनेश  कर्मा भी मंचासीन थे। सरस्वती वंदना दीपक खलतकर और उनके साथियों ने प्रस्तुत की। अतिथि परिचय समिति के अनिल बोरदिया ने दिया। अतिथियों का स्वागत समिति के अनिल जैन और ओमप्रकाश  त्रिवेदी ने किया। कार्यक्रम की भूमिका समिति के संरक्षक अरविंद चौधरी ने प्रस्तुत की। अतिथियों को स्मृति चिन्ह समिति के संरक्षक विजयसिंह राठौर एवं सचिव सिद्धार्थ जैन ने भेंट किया। आभार सिद्धार्थ जैन ने माना। वंदेमातरम् गीत की प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। 
यह जानकारी राजाभोज स्मृति व्याख्यानमाला के सचिव सिद्धार्थ जैन ने दी। 

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