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Monday 7 January 2019

लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार का बड़ा फैसला, आर्थिक रुप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा

लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार का बड़ा फैसला, आर्थिक रुप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा

 जिनकी सालाना आय 8 लाख से कम हो उन्हें मिलेगा आरक्षण
संजय शर्मा संपादक 
हैलो -धार पत्रिका 
          नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से चंद महीने पहले मोदी सरकार ने बड़ा दांव चलते हुए आर्थिक रुप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने का फैसला किया है. सरकार के फैसले के मुताबिक आर्थिक रुप से पिछड़े सवर्णों को नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की जाएगी और आरक्षण मौजूदा आरक्षण व्यवस्था में बिना किसी छेड़छाड़ के दी जाएगी. सरकार मंगलवार को संसद में आर्थिक रुप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण पर संविधान संशोधन विधेयक ला सकती है
        आपको बता दें कि फिलहाल देश में 49.5 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. इसमें अनुसूचित जाति के लिए 15 फीसदी, अनुसूचित जन जाति के 7.5 फीसदी और ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है.
सरकार के इस फैसले के बाद सविधान में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा हो जाएगी. सरकार इस आरक्षण को लागू करने के लिए सविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन लेेकर आएगी. सविधान में इन्हीं दो अनुच्छेद में संसोधन के बाद आर्थिक रूप सेे पिछड़े हुए सर्वणों को 10 फीसदी आरक्षण का लाभ मिल पाएगा.
सरकार के इस फैसले का मतलब ये हुआ कि जनरल कैटेगरी में जो भी लोग आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं वो सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण का लाभ ले पाएंगे. मोदी सरकार के इस फैसले से पहले सविधान में सवर्णों को किसी भी तरह के आरक्षण नहीं मिलता था.
किन्हें मिलेगा लाभ?
        जिस व्यक्ति के पास तय सीमा से अधिक संपत्ति होगी, उसे इस संशोधन का लाभ नहीं मिल पाएगा. सूत्रों की मानें तो ये आरक्षण 8 लाख सालाना आमदनी और 5 एकड़ से कम जमीन वाले सवर्णों को मिल सकता है. इसके अलावा जिनके पास सरकारी जमीन (DDA, निगम की जमीन) पर अपना मकान होगा, उन्हें भी इसका लाभ नहीं मिल पाएगा.
इन सभी को मिलेगा लाभ
> जिनकी सालाना आय 8 लाख से कम हो
> जिनके पास 5 लाख से कम की खेती की जमीन हो
> जिनके पास 1000 स्क्वायर फीट से कम का घर हो
> जिनके पास निगम की 109 गज से कम अधिसूचित जमीन हो
> जिनके पास 209 गज से कम की निगम की गैर-अधिसूचित जमीन हो
> जो अभी तक किसी भी तरह के आरक्षण के अंतर्गत नहीं आते थे
किस जाति की कितनी संख्या है इसका सही आंकड़ा नहीं

          भारत में किस जाति की कितनी संख्या है इसका सही आंकड़ा नहीं है, क्योंकि आजाद भारत के जनगणना में जाति को लेकर कोई जानकारी नहीं दी जाती. हालांकि, 1931 के जनगणना में जातियों की स्थिति जानी गई है, लेकिन उसके बाद ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है जिससे सवर्णों की संख्या का सटीक अंदाज़ा लगाया जा सके. हालांकि, ये माना जाता है कि करीब 15 फीसदी आबादी सवर्णों की है. इन सवर्णों में कितनी फीसदी सवर्ण गरीब हैं और इनकी संख्या क्या है इसके बारे में आधिकारिक जानकारी नहीं है.

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