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Monday 31 December 2018

मन मोहक नृत्य प्रस्तुतियों से हुआ पद्मश्री फड़के संगीत समारोह का समापन

समापन समारोह                                                                                             

 भरतनाट्य ने मोक्षदायिनी गंगा को धार की धरा पर अवतरित किया 

मन मोहक नृत्य प्रस्तुतियों से हुआ पद्मश्री फड़के संगीत समारोह का समापन

संजय शर्मा 
हैलो -धार  
          धार - संगीत के विविध आयाम एकात्मता के पर्याय है। गायन, वादन और नृत्य की त्रिधारा ने पद्मश्री फड़के संगीत समारोह में एक बार फिर पावन त्रिवेणी को साक्षात किया। संगीत प्रकृति का प्रतिनिधित्व करता है। नृत्य प्रकृति के गतिवंत स्पंदन का प्रतीक है। कलाकार की मानवीय देह जब अलंकृत होकर लय, ताल के अनुरुप नर्तन करने लगी तो कभी ब्रह्मांड दषर््िात हुआ है तो कभी साक्षात देवी देवता। सांस्कृतिक परिधान धारण करके जब साधक की साधना मंचित हुई तो परम्पराएं उमगने लगी। ठहरने लगा मानवीय चंचल मन का ठहराव। सुखद समय कपूर की भाॅति गंध बिखेरता अन्र्तधान हो गया। कल्पनाओं से परे आभासित दृष्य आॅखो के रास्ते हृदयस्थ होने लगे। यह सब साकार हुआ जब देश   की प्रसिद्ध नृत्यांगना डाॅ गौरीप्रिया सोमनाथ ने भरतनाट्य के माध्यम से गंगा को अवतरित किया तो सदन में बार बार तालियाॅ गूुजती रही। आदिषक्ति के नौ रुपों को नवरसों के रुप में मंचस्थ को सराहा। श्रीराम चन्द्र कुपालु भजमन ने मर्यादा पुरुषोत्तम और बाबा तुलसी के भावों को साकार कर दिया।
                  देश  के ख्यात नाम संगीत समारोहो में से एक पद्मश्री फड़के संगीत समारोह के छटे आयोजन के अंतिम दिन नृत्य कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियाॅ प्रस्तुत की। तीसरे दिन संगीत समारोह का आरंभ सुश्री नेहा मकवाने और डाॅ गौरीप्रिया सोमनाथ के द्वारा पद्मश्री फड़के जी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप रोशन से हुआ। प्रथम प्रस्तुति में नेहा मकवाने ने राधाकृष्ण की लीला को प्रस्तुत किया। दूसरी सामुहिक प्रस्तुति में शिव वंदना के माध्यम आदिदेव महादेव के तांडव व स्नेह भाव को बखुबी दर्षाया। नेहा के साथ अमीषा सोलंकी, प्रियांषी खान्डेकर, यामिनी जाधव, महिमा शर्मा, पूनम गुप्ता, अंकिता मालवीया, दृष्टि दौराया नैना रागी, ऋतु सोनाने ने अपनी प्रतिभा दिखायी। मुख्य प्रस्तुतियों में शिव पंचाक्षर के बाद लोकनृत्य ने अपना आलोक विस्तारित किया। रागमालिका, तालमालिका और आदितालममें प्रस्तुतियाॅ हुई। राजस्थान के अलवर से आयी कलाकार कनिका सैनी ने घुमर के रंगों में सबको रंग लिया। कनिका की देहिक चपलता, अभिनय, आॅखों से बात कहने की अदा, पारिवेषिक राजस्थानी अंदाज ने सबका दिल जीता। मुख्य कलाकार दल में आभास शर्मा, संदीप धुर्वे, सुश्री जागृति भटनागर, काजल नेगी, नेहा शुक्ला, कनिका सैनी, प्रतीक्षा पाथरकर ने मंचजयी सहयोग दिया। धार में भरतनाट्म पहली बार हुआ है। 
            स्वागत सम्मान - कलाकारों का सम्मान जिलाधीष धार  दीपकसिंह जी, भोज शोध संस्थान के निदेशक डाॅ दीपेन्द्र शर्मा, उपभोक्ता फोरम की सदस्य श्रीमती हर्षा रुनवाल, इंटेक सदस्य देवेन्द्र जैन, मनीषा  खेड़ेकर   कल्याणी दुबे, जया शर्मा, मीना जैन, गीता बावनिया ने किया। 
            संचालन डाॅ श्रीकांत द्विवेदी ने किया। संचालन समिति तथा संस्थान की ओर से सभी सहयोगियों, दानदाताओं, कलाकारों का आभार व्यक्त किया। सराहनीय कार्य के लिए अतुल कालभवर, राजेन्द्र उपाध्याय, जितेन्द्र पाटीदार, आषीश परिहार, मयूर जैन, जगदीश  बोरियाला का प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया गया। केरल से पधारी नृत्यांगना डाॅ गौरीप्रिया सोमनाथ ने आयोजन की सराहना की व समिति का आभार व्यक्त किया। यह जानकारी मीडिया प्रभारी राकी मक्कड़ ने दी।   

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